रिश्ते ये कैसे रिश्ते जो देते नहीं दिखाई
आवाज़ भी जिनकी अब लगने लगी पराई
दिल टूटने की जिनको आवाज़ भी न आई
दिल तोड़कर जो देते हैं वक़्त की दुहाई
ऐसे तो कोई रिश्ता निभाया नहीं जाता
जब तक किसी का दर्द अपनाया नहीं जाता
कैसे बनेगी कोई रिश्तों की परिभाषा
जब तक किसी पे हक़ अपना जताया नहीं जाता।