लधुकथा - राजू नंदू
राजू और नंदू आपस में समसामयिक पर विचार विनिमय कर रहें थे । नंदू ने राजू से कहाँ , राजू आपने तो हर क्षेत्र में महारत हासिल कर डिग्रियों का अंबार लगा दीया । हां नंदू , लेकिन आजकल पेपर लीक के बीमारी से हम भी समय के पिछे गये ।
नंदू मन ही मन खुश हो रहा था , अच्छा हैं , मेरे मन की कर बीमारी पार करेंगे , झुका देगें साला , आस्था , विश्वास भावनाओं में डुबों देगें , जनता चमत्कार पर मोहित होती हैं , महिला तो प्रथम मोहित होती हैं । अंंधविश्वास का बाबा समान चश्मा महिलाऐं पहन रखती हैं ।
वह कैसे नंदू , राजू ने उत्साहित होकर पूछा , देख राजू हमारे देश में प्रथम श्रेणी में आनेवाले डॉक्टर या इंजीनियर बनते हैं । व्दितीय श्रेणी वाले IAS, IPS बनते हैं । तृतीय श्रेणी वाले ठेकेदार बन जाते हैं , और जो असफल होते हैं वह राजनीति में जाकर तीनों श्रेणी को कंट्रोल करते हैं । जो बीच में पढ़ाई छ़ोडते हैं , वो अंडरवर्ल्ड DON बनकर चारों को कंट्रोल करते हैं । जो कभी स्कूल गए ही नहीं वो बाबा बनते हैं । बाबाओं का धंधा बहुत फलफूल रहा हैं , अपार महिलाओं का भीड़ तंत्र जत्था के साथ पांडाल भरें जा रहें , रटे – रटाये कथा , संगीत के धुन पर महिलाएं झुम रही हैं , और आश्चर्य की बात हैँ , यही पांच लोग उनके पैर पड़ते हैँ ।
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- राजू गजभिये (सीताराम)
Raju Gajbhiye