(1). तुम्हारा इश्क भी इन बारिशों जैसा है
जिसमे अब भीग जाने की चाहत नहीं होती
बस दूर से अच्छा लगता है इन बून्दों का शोर
पत्तों की हरियाली लौटा देने वाली बारिश
तुम्हारा इश्क भी यूं ही
मन के पत्तों का नयापन दिखा जाता है
पर जो जड़े सड़ रही है
वो किसी ने शायद देखी नहीं
खोखला करना किसी ने देखा नहीं
इसलिए शायद
ना ये बारिशें बदनाम हुई
ना तुम।
(2). तुमको या तुमपर लिखने लगूं तो
जी मेरा कभी उकताता नहीं है
ना ही मैं थोड़ा भी परेशान होता हूं
कोई झुंझलाहट नहीं होती
और ना ही कोई बेचैनी
तुममें जाने ऐसा क्या है
जो मुझे मुझसे जुदा करके तुम्हारे जैसा बना देता है
तुम सच में मोहब्बत हो जो मुझे नफरत से निकालकर
मोहब्बत की ओर ले जाओगी ऐसा मेरा दिल कहता है
लेकिन ये कमबख्त मेरा दिल बेवकूफ भी बहुत है
इसलिये पागल बना रहता है
और बारिश के दौरान भी तुम्हारे हाथ को नहीं थामता
मुझे लगता है मेरी बेवकूफी से तुम मुझे
एक रोज जरूर बाहर निकालोगी
पहल करोगी हमारी इस मोहब्बत की
देखना उस दिन बारिश जरूर होगी
मैं तुम्हारे लिये चाय बनाऊंगा जैसा तुम चाहोगी
मोहब्बत की बरसात होगी उस रोज।
हम हमेशा पृथ्वी के दो ध्रुवों की तरह रहे एक दूसरे से बिल्कुल विपरीत जो कभी मिल नही सकते पर उनका होना जरूरी है संतुलन के लिए कभी मांगा ही नही एक दूसरे को एक दूसरे से ना ही ईश्वर से अब वो ही जाने उसने क्यों हमें एक दूसरे के इतना समांतर रख दिया जो साथ चल तो सकते हैं पर हाथ थाम कर नहीं