मां जिस मिट्टी की बनी है घर का आंगन उसी से बना है।(वात्सल्य आंगन से)
सवाल घर का.…
जब मैंने इंटर पास किया था तो घर से निकलना चाहता था और आज घर वापस आना चाहता हूं.....!
घर में चैन से रहने के लिए घर से बाहर चैन खोकर रहना पड़ता है।
घर पर आकर जब देखता हूं.…
वही चारदीवारी ,वही छत ,वही आंगन और बहुत सारी जिम्मेदारियां । फिर मन कहता है कहीं तो निकलना है !
और जब मन और तन की यात्रा पूरी करके जैसे ही घर की चौखट को देखा तो थकान ने जूतों में छुपना ही बेहतर समझा ।
घर के आंगन ने अपनी वात्सल्य पूर्ण बाहें फैला दीं ,
और मैं सुस्ताने लगा उस ठंडे आलिंगन में ,।।
पूरी दुनिया की सुंदरता आंखों में बसती है ।
लेकिन घर ,घर का आंगन मन में बसता है ।।।
यह वहीं घर होता है जिसमें व्यक्ति जीना भी चाहता है मरना भी चाहता है।।।
अहम(मैं) से हम की ओर.......😊 #Save जल,जंगल,जमीन #सम्मान>समानता
0 Followers
0 Following