Pyara सा احساس
(Last Part)
"लेकिन आपने तो बोला था कि आपको कोई और पसंद है" ???
उज़मा के ज़हन में जो सवाल बहुत देर से घूम रहा था उसने पूछ ही लिया।
"हाँ तो तुम्हें बोला था मैंने कि मेरी पसंद से मिल तो लो लेकिन तुम्हे पता नही कौन सा इतना ज़रूरी काम याद आया कि तुम ने मना ही कर दिया"!!!
उस का इतमीनान देखने लायक़ था।
"कौन थी आपकी पसंद" ???
बहुत देर से खामोश बैठी महीरा ने पूछा
“वही थी जो मुझे बिना मांगे मिल गई है” !!!
वलीद ने दिलचस्पी से बनी संवरी सनाया को देखा जो बार बार फिसलते दोपट्टे को संभालती परेशान हो रही थी।
" साफ झूट बोल रहे हैं भाभी यह महीरा ने खुद सुना था जब यह ताईजान को रिश्ते के लिए इन्कार कर रहे थे" !!!
सनाया किसी भी तरह यक़ीन करने को तैयार नही थी।
“गुड जॉब महीरा यही काम करो तुम छुप कर बाते सुनना और वह भी आधी बाते” !!!
वलीद ने अब महीरा की क्लास ली।
" ‘एक्सक्यूज़मी मैंने कोई छुप कर बाते नही सुनी मैं रूम में ताई जान के पास किसी काम से गई थी तो आप लोग बात कर रहे थे मैंने तब सुना था सब" !!!
महीरा ने अपनी सफाई में कहा।
"हाँ और आधी बात सुन कर तुमने आ कर सबको बता दिया" ???
"तो ठीक है पूरी बात तुम बता दो, क्योंकि अब तक हम लोगों ने वही किया है जो तुमने कहा जबकि मुझे तो यह भी नही पता मुआमला क्या है" ???
तानिया भाभी सबसे ज़्यादा क्यूरियस थीं।
"बात ये है कि हमारी छोटी खाला की यह ख्वाहिश थी कि मेरी शादी उनकी बेटी उबैर से हो। और क्योंकि पापा की ख्वाहिश सनाया थी जिस पर मुझे भी एतराज़ नही था। लेकिन हमारी अम्मी अपनी एक्लोती भांजी पर दिल ओ जान से फिदा हैं, और उस दिन भी वह मुझे उबैर के ही लिए कनविंस करने की कोशिश कर रही थी जिसके लिए मैंने उनको मना किया था क्योंकि वह लड़की दुनिया में बस ऐक ही मक़सद ले कर आई है खाना" !!!
वलीद ने आखिर में बुरा सा मुंह बना कर उबैर के मोटापे पर चोट की तो सबको बेइखित्यार हंसी आ गई ।
"तो आप ताईजान से डाइरेक्ट सनाया का नाम ले कर भी तो कह सकते थे की आपकी च्वाइस ये हैं" ???
अबकी बार अहमर के दिमाग़ ने भी काम किया।
"हाँ बिलकुल कह सकता था लेकिन उस्से अम्मी को यह लगता की मैं उनकी च्वाइस को नेगलेक्ट और पापा की च्वाइस को परेफर कर रहा हूं"
उस ने बात पूरी की।
"उफ्फ अल्लाह कितनी मिसअन्डरस्टेंडिगस थीं और इस सब की वजह से मैंने अपने नॉवल का क्लाइमेक्स भी अधूरा छोड़ा हुआ है" !!!
उज़मा ने माथे पर हाथ मार कर कहा।
“यह नॉवल पढ़ पढ़ कर ना तुम पूरी पागल हो जाना ,साइको तो हो ही गई हो”
शायान ने हमेशा की तरह उसके नॉवल पढ़ने पर टोन्ट किया था।
"शायान सर फाड़ दूंगी तुम्हारा मैं इस बार कुछ बकवास की होगी तुमने तो" !!!!
उसने अपने हमेशा वाले अंदाज़ में धमकी दी।
"वजूद के हिसाब से भी बात कर लिया करो कभी तुम अपने" !!!
शायान कह कर सीधा बाहर निकल गया जिस पर वह गुस्से से मुठ्ठियां भींचकर रह गई।
" देख रहे हैं आप लोग इसे" ???
उसने वलीद और तानिया को देखा।
"तुम सब यहां मीटिंग कर रहे हो और बाहर मेहमानो को कौन देखेगा" ???
बेगम अहसन अंदर आईं तो उन सबको यूं इकट्ठे बैठा देख कर बोलीं।
“जी आ रहे हैं हम लोग” !!!
वलीद ने सबको खड़े होने का इशारा किया।
"चलो तुम लोग मैं सनाया से दो मिन्ट बात करके आता हूं" ।
बेगम अहसन के निकलते ही उसने कहा।
"हां ठीक है, बिलकुल कर लो बात लेकिन सारी गलतफहमियां दूर कर लेना अभी बाद में फिर कोई मसला ना हो" !!!
तानिया भाभी ने हंसते हुए उसको वार्न किया और सबके साथ बाहर निकल गईं।
"जी मैडम अब बताएं और कोई शिकायत मुझ से" ???
सबके जाने के बाद उसका रूख अब सनाया की तरफ हुआ।
"यह कौन सा तरीक़ा है बात करने का अगर किसी बड़े ने देख लिया तो" ???
सनाया ने उसका सवाल नज़र अंदाज़ करके कहा
"जवाब दे दो मेरे सवाल का फिर चली जाना" ।
“जी हां कोई शिकायत नही है अब” !!!
उसने सर झुका कर जवाब दिया।
"शर्माती हुई अच्छी लगती हो वैसे" !!!
वलीद ने उसे दिलचस्पी से देखा था।
"मेहमान आ गए हैं बाहर उनको देखें जाकर , घर के सबसे बड़े बेटे और यहां खड़े बाते बना रहे हैं" !!!
उसने बाज़ू से पकड़ कर वलीद को बाहर की तरफ धकेला था।
"तुमने तो यार अभी से बीवियों की तरह हुक्म चलाने शुरू कर दिये"!!
वलीद उसकी तरफ शरारत से झुक कर कहते बाहर निकल गया तो वह खुशियों भरे इन लम्हों के प्यारे से एहसास में घिर कर मुस्कुरा दी।
The End
© Afariya Faruqui
फनी स्टोरी राइटर
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