Pyara सा احساس
Part (7)
इंगेजमट के दिन करीब आ रहे थे और उसकी परेशानी बढ़ती ही जा रही थी।
अब न उसका घर में दिल लग रहा था और ना ही कॉलेज जाने को दिल चाह रहा था।
घर में फंक्शन की तैयारियां शुरु हो गई थी माहिरा और उज़मा घर में कम बाजार में ज्यादा नजर आ रही थी कभी उसे फारिग देखती तो उसके लाख मना करने पर भी उसे अपने साथ घसीट ले जातीं।
उसे तो महीरा पर हैरत होती थी ! कहाँ तो वह उसके दुख में बराबर की शामिल थी और कहाँ उसकी इंगेजमेंट की तैयारियां इतनें शौक से कर रही थी।
“तुम्हें बड़ी खुशी हो रही है इस इंगेजमेंट से" ???
उस दिन उसने कह ही दिया।
"हाँ तो हम तुम्हारी तरह पागल थोङी है कि जिसे हमारी परवाह नही है उसके पीछे पागल हों" !!!
जवाब उज़मा की तरफ से आया तो एक पल को वह हैरान रह गई। वह तो वलीद के अगेन एक वर्ड भी नहीं सुनना नही चाहती थी।
यह "तुम" कह रही हो????
वह अभी भी हैरान थी।
"हाँ क्योंकि मैं हकीकत में जीने वाली लड़की हूं और हकीकत यही है की वलीद भाई को कोई और लड़की पसंद है तो वह तुम्हें कैसे खुश रख सकते हैं" ????
उज़मा का अगला जवाब उसे और ज़्यादा हैरान कर गया।
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To Be Continued….. .
© Afariya Faruqui
फनी स्टोरी राइटर