Pyara सा احساس (Part 1)

(Part 1)

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07 May '24
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Pyara सा احساس

Part (1) 

वलीद भाई की शादी हो रही है” !!!! 

महीरा ने धड़ाम से दरवाज़ा खोल कर कमरे में दाखिल होते हुए ऐलान किया तो वहां बैठी सारी लड़कियों के मुंह हैरत से खुले रह गए। 

क्या़……..…?????

मलीहा के मुंह से तो इतना भी निकल गया जबकि सनाया तो अभी मुंह पर हाथ रखे अपनी हैरत पर क़ाबू पाने की कोशिश ही कर रही थी।

"कौन से कुत्ते पीछे पड़ गए तुम्हारे जो यूं हौलती कांपती आ रही हो " ??? 

उज़मा ने हाथ में पकड़ी मैगज़ीन साइड करते हुए उसकी तरफ़ देखा। 

ये सब छोड़ो तुम यह बताओ तुम्हे यह न्यूज़ मिली कहां से ??? 

मलीहा के पूछने पर सारी लड़कियों ने महीरा को सवालिया अंदाज़ में देखा था। 

बस मिल गई लेकिन क्या फ़ायदा???? 

महीरा अफसुर्दगी से मुंह लटका कर सोफे पर बैठ गई। 

"तुम यह ससपेंस क्रीएट करना बंद करोगी तो ही हमें कुछ पता चलेगा और तब ही हम उसका कोई सॉलयूशन भी निकाल पाएंगे ऐसे हमें इलहाम तो आने से रहे"!! 

उज़मा जिसके नॉवल का ससपेंस चल रहा था महीरा के इस तरह चुप रहने पर चिड़ कर बोली। 

"अभी मैं ताईजान के कमरे में गयी थी किसी काम से लेकिन उन की और वलीद भाई की बातें सुनकर बाहर ही रूक गयी थी तब जाकर पूरी बात मालूम हुई" 

"अब भौंको भी क्या सुन कर आई हो" ?? 

अबकी बार मलीहा भी उसके यूं लम्बी तम्हीद बांधने (बात शुरू करने) पर उक्ता गयी। 

"वह वलीद भाई से रिशते का पूछ रही थीं "। 

महीरा ने सर झुका कर बताया। 

"वली ने क्या बोला फिर" ??? 

सब ने तजस्सुस (Qureousity) से पूछा सिवाए सनाया के जो दोनो हाथों की अंगुलियों को आपस में फंसाए किसी सोच में गुम थी। 

"छोड़ो दफ़ा करो"!!! 

वह सनाया के सामने बात करना नही चाह रही थी। 

"तुम बताओ तो सही यार"  !!! 

मलीहा को अब बेचैनी होने लगी थी। 

“ऐसी क्या स्पेशल क्वालिटी है अम्मी उस लड़की में जो सिर्फ आपको ही दिखाई देती है मुझे नही" ????

वलीद के लहजे से झुंझलाहट साफ ज़ाहिर थी।

"खराबी क्या है, वह ही बता दो घर की बच्ची है घर में ही रहेगी और सच बताउं तो मुझे तो बहुत ही प्यारी लगती है" !!!! 

अम्मी के लहजे से मुहब्बत झलक रही थी।

“बस मुझे नही पसंद है सो प्लीज़ आप इन लोगो को मना कर दें"

वलीद ने साफ इंकार कर दिया।

"इंकार की कोई वजह भी तो हो" ??? 

अम्मी को उससे यूं साफ इंकार की बिल्कुल उम्मीद नही थी। 

“वक्त आने पर बता दूंगा”

उस ने कह कर बात खत्म कर दी|

“आई कान्ट बलीव दिस” !!! 

उज़मा बेयक़ीनी से बोली। 

" तुम्हे अब भी शक है तो खुद पूछ लो जाकर "!!!! 

महीरा पहले ही जली भुनी बैठी थी

"गाइज़ लीव दिस टॉपिक प्लीज़, और अब मैं इस टॉपिक पर कोइ बात ना सुनूं और  वलीद ने मुझसे एसी कोइ कमिटमेंट कभी की ही नही थी तो आप लोग क्यों ऐसे रिएक्ट कर रहे हैं" ??? 

सनाया जो बहुत देर से चुपचाप बैठी उन सबकी बातें सुन रही थी बोल पड़ी। 

"लेकिन यह ताया जान की और खुद तुम्हारी भी तो ख्वाहिश है" !!!! 

उज़मा अब भी अपनी बात पर क़ायम थी। 

"जिसको जिंदगी गुज़ारनी है उसकी तो नही है ना तो फ़िर और किसी के चाहने से क्या फ़र्क पड़ता है" ??? 

उसने दो टूक अंदाज़ में कहकर बात ख़त्त्म की और बाहर निकल गई। 

To Be Continued…… 

© Afariya Faruqui

Category:Stories



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Written by Afariya Faruqui

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