Pyara सा احساس (Part 9)

Part ( 9 )

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24 May '24
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               Pyara सा احساس

                  Part (9) 

रेडी हो गई "मिस युनिवर्स"??? 
उज़मा और महीरा एक साथ कमरे में एन्टर हुई थी।
"बिलकुल!!अब बताओ कैसी लग रही हैं " ?
जवाब उसके बजाय किटस ने दिया था।
" ‘परफेक्ट’ बस एक चीज की कमी है"/!!! 
उज़मा उसे सर से पाँव तक देखते हुए बोली
"किस चीज़ की" ??? 
किटस थोड़ा हैरान हुई। 
“इनके वह इनके साथ नही हैं वरना यह कमी भी पूरी हो जाती”
महीरा ने भी उसका साथ दिया। 
लेकिन उस पर कोई असर नहीं था। ऐसा लग रहा था बात उसके बारे में नही किसी और के बारे में हो रही हो। 
"ओ"……
किटस ने ओ को लम्बा खींचा
"अब यह कमी तो मैं पूरी नहीं कर सकती"।
किटस ने भी मुस्कराते हुए जवाब दिया लेकिन उसकी मुस्कुराहट इस वक्त सनाया को ज़हर लग रही थी। 
“अब जल्दी चलो भई बड़ी ममा कब से अपनी लाडली को देखने के लिए बेताब हो रही हैं” !!! 
अहमर शहीर और शायान एक साथ अन्दर आये थे। 
"यार आज सब डिफरेंट - डिफरेंट " सा नहीं लग रहा"। 
शहीर बजाहिर तो बात शायान से कर रहा था लेकिन देख वह महीरा को ही रहा था।
"व्हाइट कलर के गोल्डन एम्बरॉएडरी वाले गाउन के साथ हाथों में  व्हाइट मोतिया के गजरे और लम्बे खुले बालों में हल्के हल्के मेकअप के साथ वह आज वाक़ई ग़ज़ब ढा रही थी"!! 
"क्या बात कर रहे हो मुझे तो कुछ भी डिफरेंट नही  लग रहा है" !!! 
शायान को ऐसी बातें जरा देर में ही समझ में आया करती थीं।
" छोड़ो यह तुम्हारे बस की बात नहीं है"
वह मुस्करा कर बोला और पलट कर बाहर निकल गया। 
“ओहो क्या मुसीबत है ,जिस को भी सनाया को लेने के लिये भेज रही हूं वह यही आकर चिपक जाता है” 
बेगम उसमान गुस्से से बड़बड़ाती हुई अन्दर आईं तो सब चुपचाप एक - एक करके वहाँ से खिसक लिए। 
"यह तैयार हो गई है या अभी कुछ तैयारी बाक़ी हैं" ??? 
अब उनके गुस्से का रुख उन दोनों की तरफ हुआ। 
"जी वह बस हम लोग आ ही रहे थे" !! 
दोनों घबरा कर एक साथ बोली।
"क्या आ ही रहे थे! इतनी देर लगती हैं क्या आने में" ???
"चचीजान आप यहाँ क्या कर रही हैं"??? 
अभी वह कुछ और कहती कि रूहान आँधी तूफान की तरह कमरे में दाखिल हुआ था।
"क्यों तुम्हें मुझसे कोई काम है" ?? 
उनहोंने तिरछी नजरों से उसे घूरा तो वह घबरा गया।
"नहीं वह आपको अम्मी बुला रहीं हैं" 
"ठीक है, आ रही हूं" ।
"ताई जान सनाया को देख कर तो बताएं कैसी लग रही है" ?? 
उज़मा ने उनका ध्यान सनाया की तरफ दिलाया था। 
"अरे वाह! कितनी प्यारी लग रही है मेरी चन्दा"!!! 
बेबी पिंक कलर के गोल्डन एम्बरॉएडरी वाले लहंगे के साथ मैचिंग ज्वैलरी और किटस के माहिर हाथों ने उसकी खूबसूरती को और भी बढ़ा दिया था। 
उनहोंने चटाचट उसकी बलाएं ले डाली। 
"अब चलें ताईजान" !! 
वह दोनों एक साथ बोलीं तो बेगम उसमान उसके सर पर हाथ फेर कर चली गई। 
वह दोनों उसे ले कर बाहर आ गई।
"चलो भई ,हटो इधर से" !!! 
एक खातून उसके जाने के लिए जगह बनाते हुए बोलीं। 
" चलो सनाया इधर बैठो"। 
महीरा ने उसका हाथ पकङ कर स्टेज पर रखी हुई चेयर पर बैठा दिया। 
बराबर वाली चेयर खाली देख कर उसने सुकून का सांस लिया क्योंकि अभी तक जाज़िब के बराबर में बैठने की हिम्मत वह खुद में  पैदा नही कर पाई थी।
थोड़ी ही देर में वह आकर बराबर वाली चेयर पर बैठ गया। सब तरफ से उन दोनों को वाहवाही मिल रही थी लेकिन वह मुस्कुरा तक न सकी। 
"तुम्हें क्या हुआ, थोड़ा सा स्माइल तो करो वरना ऐसा लग रहा है जैसे तुम्हारी मंगनी नहीं हो रही बल्कि तुम्हें किसी कुएं में धकेला जा रहा है"!!! 
उज़मा उसके कान में बोली़। 
“चलो भई जल्दी करो, फिर मलीहा को उबटन भी लगाना है”
ममा और बड़ी ममा ने जल्दी की तो सबनें ही उनकी ताईद (हां में हां मिलाना) की थी ।
"यह लो भई दुल्हा मियां जल्दी से पहना दो" 
चची जान उसके हाथ में रिंग की डिबिया पकड़ाते हुए बोलीं । 
"अपना हाथ आगे करो यार" 
महीरा ने कहा तो उसने एक बेजान कठपुतली की तरह अपना हाथ आगे कर दिया। 
उसके रिंग पहनते ही पूरा घर तालियों के शोर से गूंज उठा था। 
"चलो अब तुम भी जल्दी से रिंग पहना दो"
उज़मा रिंग उसकी तरफ बढ़ाते हुए बोली!!! 
"उसे लग रहा था कि अगर वह अब ज्यादा देर यहां रही तो शायद बेहोश हो कर गिर जाएगी।
"सानि रिंग पहनाओ"  !!!
अम्मी ने उसके कांधे पर हलका सा दबाव डाला तो उसने हां में सर हिलाते हुए नीचे ही देख कर हाथ बढ़ा दिया। 
"जी नहीं। ऐसे नही! मेरी तरफ देख कर पहनाइये"!!! 
वलीद की आवाज पर उसने झटके से सर उठाया तो सब का कहकहा एक साथ गूँज गया और अहमर ने यह लम्हा कैप्चर कर लिया। 
"आप" ??? 
उसके मुहं से बस इतना ही निकल सका। 
"क्यों,किसी और के होने की उम्मीद थी यहाँ पर"  ??? 
वलीद नें सरगोशी (बहुत आहिस्ता से पूछना )की। 
उसका दिल तो चाह रहा था कि सब कुछ छोड़ छाङ कर यहाँ से चली जाए! मगर अम्मी और पापा का सोच कर उसने जल्दी से रिंग पहना दी क्योंकि वह अपनी किसी भी बात से उनका सर नीचा नही देख सकती थी। 
ऐक बार फिर से मुबारकबाद का शोर उठा था।
चलो लड़कियों अब जल्दी करो उबटन से फारिग होकर फिर खाने का भी देखना है ।
चची जान ने जल्दी का शोर मचाया और ममा ने भी कहा तो वह सब  उसे ले कर उसके कमरे में वापस आ गईं। 
**********

To Be Continued……. 

© Afariya Faruqui

Category:Entertainment



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Written by Afariya Faruqui

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