Pyara सा احساس
Part (5)
"ताई जान ने उसके लिए वलीद का रिशता दिया है"!
उज़मा ने उसके सर पर बम फोड़ा तो वह झटके से उठ बैठी थी।
"क्या" ???
उसे बहुत ज्यादा शॉक लगा था।
"क्या हुआ । तुम्हें खुशी नही हुई"?
उसने पूछा ।
"किसी की जबरदस्ती से नही होते है यह काम वलीद को ताया जान ने फोर्स किया होगा इसलिए वह मना नही कर सका लेकिन तुम मना कर दो अम्मी को"।
वह कह कर बाहर निकल गई तो उज़मा हैरानी से वही बैठी सोचती रह गई ।
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वह किचन से पानी पी कर निकल रही थी कि वलीद को रास्ते में खड़ा देख रुकना पड़ा था।
"क्या हो रहा है" ?
वह यूं मुस्कुराकर पूछ रहा था जैसे कुछ हुआ ही ना हो।
"रास्ता छोड़ें प्लीज़" !!!
वह गुस्से से बोली।
“कसम से तुम ना गुस्से में किरतास इलाही को भी मात दे देती हो”
दूसरी तरफ साफ दिख रहा था कि उसके गुस्से का कोई असर नही है उससे कुछ भी कहना बेकार था इसलिए वह साइड से होकर जाने लगी।
"सानि प्लीज़ एक बार मेरी बात सुन लो फिर जहाँ चाहे चली जाना मैं नही रोकूंगा" ।
वह रास्ते में से एक तरफ हटते हुए बोला।
"वलीद प्लीज़ मेरे पास ना तो फालतू बातों के लिए वक़्त है और ना मैं सुनना चाहती हूं" ।
वह दो टूक अंदाज़ में कह कर निकल गई।
वलीद खड़ा अफ़सोस से उसे देखता रह गया!
To Be Continued ………………
© Afariya Faruqui
फनी स्टोरी राइटर