इन दिनों पुणे पोर्शे हादसा सुर्ख़ियों में छाया हुआ है और हर तरफ चर्चा का विषय बना हुआ है. एक नाबालिग द्वारा अंजाम दिए गए इस दुखद हादसे में 2 युवा इंजीनियरों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी. ये घटना 18 मई की रात करीब 2.15 बजे की है, जब दौलत और शराब के नशे में धुत्त इस किशोर ने अपनी ओवर स्पीड पोर्शे कार से 2 लोगों को टक्कर मार दी थी.
बताया जाता है कि 12वीं कक्षा का रिजल्ट आने के बाद अपनी सफलता का जश्न मनाने के लिए इस नाबालिग लड़के ने दो पबों में अपने दोस्तों के साथ पार्टी की और जमकर शराब भी पी. फिर इसी हालत में उसने अपनी गाड़ी भी खुद ही ड्राइव की. घर लौटते समय उसने कल्याणी नगर इलाके में अपनी महंगी पोर्शे कार से एक मोटरसाइकिल को टक्कर मार दी, जिस कारण दोनों बाइक सवार अनीश अवधिया और अश्विनी कोष्टा की मौके पर ही मौत हो गई.
अपने रुतबे के कारण इस नाबालिग को जुविनाइल कोर्ट से आनन-फानन में जमानत भी मिल गई. जिसके बाद जन आक्रोश भड़क उठा और देशभर में लोग अपने गुस्से का इजहार करने लगे. जिसके बाद हमारे सिस्टम को हरकत में आना पड़ा और सिर्फ 300 शब्दों का निबंध लिखकर जमानत पर छूट गए इस नाबालिग को बाद में भड़के जन आक्रोश को देखते हुए बाल सुधार गृह भेज दिया गया.
अब इस केस में आए दिन नित नए खुलासे हो रहे हैं. ये केस एक बार फिर बता रहा है कि कैसे हमारा सिस्टम पैसे वालों और ताकतवर लोगों के आगे बेबस होकर उन्हें बचने के लिए अपने घुटने टेक देता है. हमारा सिस्टम दौलत वालों के आगे कितना लाचार है, ये एक बार फिर साबित हो रहा है. ऐसा लग रहा है कि जैसे पूरा सिस्टम उस रईसजादे के गुनाहों पर पर्दा डालने का काम कर रहा था. क्योंकि अब तक का घटनाक्रम तो यही साबित करता है.
एक ओर जहाँ इस परिवार के एक ड्राइवर को ये साबित करके कि हादसे के वक्त वो गाड़ी चला रहा था, उसे बलि का बकरा बनाए जाने का पूरा प्रयास किया गया. हालाँकि बाद में ये साबित हो गया कि हादसे के वक्त गाड़ी नाबालिग ही चला रहा था. इसका पर्दाफाश होने के बाद किशोर के दादा को अपने ड्राइवर को किडनेप कर धमकाने और लालच देने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया.
तो दूसरी ओर उस किशोर की सीसीटीवी कैमरे में शराब पीते हुए तस्वीरें कैद होने के बावजूद भी रिपोर्ट निगेटिव आने का भी खुलासा हो गया है. अब पता चला है कि इस किशोर की ब्लड रिपोर्ट साजिश के तहत बदल दी गई थी, इसलिए उसकी ब्लड रिपोर्ट शराब पिए होने के बाद भी निगेटिव आई थी. ऐसा इसलिए किया गया जिससे ये साबित न हो सके कि किशोर नशे की हालत में गाड़ी चला रहा था. इसके लिए डॉक्टरों को लाखों रूपये रिश्वत में दिए गए थे. इस काम में लिप्त 2 डॉक्टरों को अब गिरफ्तार कर लिया गया है.
ये सब लोगों की जागरूकता और उनके बढ़ते दबाव के कारण ही संभव हो सका है, वर्ना हमारे सिस्टम ने हमेशा की तरह पैसे और ताकत वालों के सामने घुटने टेकते हुए इस केस में लीपापोती करने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी. हमारे तंत्र की मिलीभगत से उस नाबालिग को बचाने का हर संभव प्रयास किया गया. लेकिन जन आक्रोश के कारण ऐसा संभव नहीं हो सका. इस हादसे ने एक बार फिर हमें ये सबक दे दिया कि हम अगर जागरूक रहें तो प्रशासन चाहकर भी किसी ताकतवर और रसूखदार के सामने नहीं झुक सकता.
writer, poet and blogger
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