जहरीली सब्जियां और हमारा स्वास्थ्य

चारों ओर फ़ैलता जा रहा है जहर

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13 May '24
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वर्तमान में जिस प्रकार से चकाचौंध भरी दुनिया की चीजों के प्रति हम सहज ही आकर्षित हो जाते हैं। उसके पीछे हमारी सोच और मानसिकता ही मूल कारण मानी जा सकती है। कहते हैं कि हर खरी चीज सोना नहीं होती, लेकिन हम उसे सोना समझने की भूल कर बैठते हैं। आजकल बाजार में सभी चीजों के प्रति लोगों का आकर्षण बढ़ाने के लिए सोने जैसी दिखाने का फैशन चल रहा है। इससे लोग तो आकर्षित हो जाते हैं, लेकिन उसका स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। वर्तमान में हम देखते हैं कि साफ सुथरी सब्जी खरीदने के प्रति लोग आकर्षित हो रहे हैं। लेकिन इन सब्जियों के बारे में हमने यह भी नहीं सोचा कि यह चमकने वाली सब्जियां हमारे शरीर को कितना नुकसान पहुंचा रही हैं। इसका अध्ययन करने पर हम पाएंगे कि इस चमक के पीछे तमाम ऐसे रासायनिक तत्व छिपे हुए हैं जो हमारे स्वास्थ्य को सीधे तौर पर नुकसान पहुंचा सकते हैं।
वर्तमान में हमें बाजार में कई ऐसी सब्जियां देखने को मिल जाती हैं, जिनका उपयुक्त मौसम न होते हुए भी आसानी से उपलब्ध हो जाती हैं, लेकिन सामान्य जानकारी वाला व्यक्ति भी अगर थोड़ा भी सोच ले तो यह तो पता चल ही जाएगा कि यह सब्जी संरक्षित तरीके से अभी तक सुरक्षित रखी गई है। हम इस बात पर गौर करें कि इसका संरक्षण कैसे किया जाता है तो यह बात खुलकर सामने आ जाएगी कि इसमें तमाम प्रकार के रासायनिक तत्वों का समावेश हुआ है। ये रासायनिक तत्व मानव जीवन को अत्यंत ही हानि पहुंचा रहे हैं।
देश में आजकल पैसा कमाने के लिए परस्पर प्रतियोगिता जैसी चल रही है। हर कोई खेती करने वाला किसान जल्दी और ज्यादा पैसा कमाने के चक्कर में राष्ट्र जीवन से सरोकार रखने वाले मानवों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ कर रहे हैं। इसमें सबसे ज्यादा खराब बात यह है कि किसान खेती के माध्यम से जितनी कमाई कर रहा है, उससे कहीं अधिक वह अपने स्वास्थ्य को सही रखने पर दवाओं पर व्यय कर रहा है। खराब स्वास्थ्य को अपनाकर पैसा कमाना किसी भी प्रकार से ठीक नहीं कहा जा सकता।
खेती में जिस प्रकार से रासायनिक तत्वों का प्रयोग किया जा रहा है वह हम सभी को मीठा जहर ही प्रदान कर रहा है। देश में खेती की जगह कम और जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है। ऐसे में ज्यादा पैदावार बढ़ाने के लिए किसान सब्जियों में केमिकल और कीटनाशक धड़ल्ले से डाल रहे हैं। सब्जियों में पाए जाने वाले पेस्टिसाइड और मेटल्स पर अलग-अलग शोध किया गया। शोध के अनुसार सब्जियों के साथ हम कई प्रकार के पेस्टिसाइड और मेटल खा रहे हैं। इनमें केडमियम, सीसा, कॉपर और क्रोमियम जैसी खतरनाक धातुएं और एंडोसल्फान, एचसीएच व एल्ड्रिन जैसे घातक पेस्टीसाइड शामिल हैं। 
सब्जियों के साथ शरीर में जाकर ये स्वास्थ्य को भारी नुकसान पहुंचाती हैं। सब्जियां तो हजम हो जाती हैं लेकिन यह जहर शरीर के विभिन्न संवेदनशील अंगों में जमा होता रहता है। इससे उल्टी-दस्त, किडनी फेल, कैंसर जैसी बीमारियां सामने आती हैं। पालक, आलू, फूल गोभी, बैंगन, टमाटर आदि में इस तरह का जहर पाया गया है। शोध के अनुसार खेतों में फसलों पर रासायनिक पेस्टिसाइड का उपयोग बहुतायत में किया जा रहा है। इस रासायनिक जहर में एंडोसल्फान जैसे खतरनाक पेस्टिसाइड का उपयोग आम है।
सब्जियों के साथ शरीर में जाकर एंडोसल्फान, एचसीएच व एल्ड्रिन जैसे पेस्टिसाइड वसा उत्तकों में जम जाते हैं। बायोमैनीफिकेशन प्रक्रिया से शरीर में इनकी मात्रा बढ़ती रहती है। यह लंग्स, किडनी और कई बार दिल को सीधा नुकसान पहुंचाते हैं। इनकी अधिक मात्रा जानलेवा बन जाती है। केडमियम धातु लीवर, किडनी में जमा होकर इन्हें डेमेज करती है। यह धातु प्रोटीन के साथ जुड़कर उसका असर खत्म कर देता है। इससे कैंसर का खतरा रहता है। इटाई-इटाई नामक बीमारी होने से हड्डियां मुड़ जाती हैं। जिंक से उल्टी-दस्त, घबराहट होना आम है। ज्यादा मात्रा में जमा होने पर लीवर पैन की शिकायत हो जाती है। ज्यादा मात्रा होने पर इसे जिंकचीली कहा जाता है। सीसा की मात्रा शरीर में ज्यादा होने पर असहनीय दर्द होता है। किडनी पर इसका असर सीधा होता है और वह फेल हो सकती है। मानसिक संतुलन भी बिगड़ सकता है। खून में इसकी मात्रा बढ़ने पर एनिमिया हो जाता है। लीवर को भी यह प्रभावित करता है। इससे लकवा होने की आशंका भी रहती है। क्रोमियम से चर्मरोग व श्वास संबंधी बीमारियों के साथ शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता खत्म होने की समस्या रहती है।
सब्जी की खेती में हो रहे खतरनाक तत्वों से हमारे स्वास्थ्य पर तो प्रभाव पड़ ही रहा है, साथ ही हम जाने अनजाने में भूमि के स्वास्थ्यवर्धक तत्वों को भी नुकसान पहुंचा रहे हैं। हमें यह बात ध्यान रखनी होगी कि मानव शरीर के लिए जिस प्रकार से चाय और शराब घातक है ठीक उसी प्रकार से रासायनिक तत्व भूमि को भी शक्तिहीन बना रहे हैं। 

 


खेती और हमारे स्वास्थ्य को हानिकारक रसायनों से बचाने का तरीका हमारी जागरूकता ही है। सबसे पहले हमें इस बात का ध्यान रखना होगा कि हम अपनी सब्जियों के उत्पादन में रासायनिक खाद का प्रयोग कतई नहीं करें। वर्तमान में इसके विकल्प के रूप में कई प्रकार की जैविक खाद विद्यमान हैं। अगर फिर भी आसानी से उपलब्ध नहीं होती तो हम इसे बहुत ही सरलतम विधि से तैया कर सकते हैं। नाडेप पद्धति, वर्मी कम्पोस्ट आज प्रचलित पद्धतियाँ हैं। जिनके माध्यम से देश के हजारों किसानों ने भूमि की उर्वरा शक्ति को बढ़ाया है तो मानव जीवन को स्वास्थ्य वर्धक पौष्टिकता प्रदान की है।

Disclaimer: The views expressed in this article are solely those of the author and do not represent the views of Ayra or Ayra Technologies. The information provided has not been independently verified. It is not intended as medical advice. Readers should consult a healthcare professional or doctor before making any health or wellness decisions.
Category:Health and Wellness



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Written by Suresh Hindusthani

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