अंतरमन गहराई का सागर से
निकले विचारों का मंथन
साक्षात शब्दो की फूलमाला
साकार रुप हैं “कविता ”
दिल से दिल को जोड़ने वाली
हर युग में , हर युग की
नई चेतना , नई दिशा हैं “कविता "
अंधकार भ्रम से दूर ,
यथार्थ के करीब
सत्य की समर्थक
है “कविता "
शब्द सृजन कल्पना के पंख लगाकर
लय-ध्वनि को आकार -प्रकार देकर
शब्दों का मेलजोल सांमजस्य बिठाकर
कलात्मक भावनाओं का साहित्यकार
जो पाठक की कल्पना भावनाओं को
जगाने का प्रयास कर ,
करुणा - मानवता से ,
प्यार - स्नेह से ,
विश्वास - एहसास से ,
प्राकृतिक आनंद का
स्त्रोत हैं “कविता "
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स्व-रचित / मौलिक
राजू गजभिये (सीताराम)
Raju Gajbhiye
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