कविता_प्यार_वाली_2

कविता_प्यार_वाली_2

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22 Jun '24
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मेरे संग रहती सदा , कितना अच्छा होता प्रिए ! ,

रोजाना जलाता , दिल में खुशी के दिए ! , ।।1।।

हम दोनों की दूरी यह , पल में कट क्यों नहीं जाती ! ;

जब भी बैठता कलम ले , यह बात दिल में आती ! । ।।2।।

दोनों बैठे होते , सुगंधी , फूलों के बगीचे में ! ,

रहती है , सदा , प्रिए , छवि तेरी मेरे सीने में ! , ।।3।।

तुम बैठी होती हंसती , मुलायम घास पर ! ;

गोदी में लेटा रहता , पूरी शाम , रात भर ! । ।।4।।

चांद सा शीतल मुख , ठंडे सुखों की वर्षा करे ! ,

उस वर्षा में भीगने को , मेरा मन तरसा करे ! , ।।5।।

सदा तेरे मेसेज या कॉल की राह देखा करता हूं ! ,

कुछ ना मिले तो रात भर , फोटो देखता रहता हूं ! । ।।6।।

मुझे कुछ नहीं चाहिए , बस तेरे साथ रहना है ! ,
तेरे साथ खुशियां मनाना और झगड़ा करना है ! । ।।7।।

_Meet_J

Category:Poetry



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Written by Meet J

मैं अहमदाबाद में diploma engineering करता हूं, मुझे कविता लिखने का शौक है!

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