फिजिक्स वाला प्यार

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22 Jun '24
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पलायन वेग वह वेग है जिस प्रकार किसी वस्तु को  

किसी वेग से ऊपर फेंका जाता है तो वह हमेशा 

पृथ्वी पर ही आकर गिरती हैं 

वैसे ही प्रेम में होता है प्रेम करते व्यक्ति को जब 

उसके प्रेमी द्वारा तिरिस्कृत किया जाता है तब 

वह अपने प्रेम की ओर ही जाता है 

अन्यत्र कहि नही भटकता लेकिन

इसकी भी एक सीमा होती है

जिस प्रकार पृथ्वी से वस्तु को पलायन वेग से 

फेंका जाएगा तो वस्तु पृथ्वी के वायुमंडल को छोड़कर 

अंतरिक्ष मे कहि चली जाती हैं

उसी प्रकार यदि बार बार तिरस्कार ही मिलेगा तो 

एक समय अंतराल के बाद वह व्यक्ति की 

सहनशीलता की सीमा को पार कर जाता है और 

व्यक्ति प्रेमी से दूर कहीं खुद  में ही खो जाता है 

फिर उसे वापस कितना भी लाना चाहो 

उसका लौटकर आना असम्भव ही होता है ।

- फिजिक्स वाला प्यार ✍✍✍

Category:Poem



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Written by vishvash gaur

हम हमेशा पृथ्वी के दो ध्रुवों की तरह रहे एक दूसरे से बिल्कुल विपरीत जो कभी मिल नही सकते पर उनका होना जरूरी है संतुलन के लिए कभी मांगा ही नही एक दूसरे को एक दूसरे से ना ही ईश्वर से अब वो ही जाने उसने क्यों हमें एक दूसरे के इतना समांतर रख दिया जो साथ चल तो सकते हैं पर हाथ थाम कर नहीं

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