दुनिया को बेहतर,
बनाने के लिए,
हमें कुछ कोशिशें करनी थीं,
हमें कुछ जंग लड़नी थीं,
हमको जंग लड़नी थी,
गरीबी के खिलाफ,
हमको जंग लड़नी थी,
भुखमरी के खिलाफ,
हमको जंग लड़नी थी,
अशिक्षा के खिलाफ,
हमको जंग लड़नी थी,
बेरोजगारी के खिलाफ,
हमको जंग लड़नी थी,
मिलावट के खिलाफ,
हमको जंग लड़नी थी,
कालाबाजारी के खिलाफ,
हमको जंग लड़नी थी,
नशाखोरी के खिलाफ,
हमको जंग लड़नी थी,
अन्याय के खिलाफ,
हमको जंग लड़नी थी,
असत्य के खिलाफ,
हमको जंग लड़नी थी,
आतंकवाद के खिलाफ,
हमको जंग लड़नी थी,
रंगभेद के खिलाफ,
हमको जंग लड़नी थी,
जाति-धर्म की कट्टरता के खिलाफ,
हमको जंग लड़नी थी,
क्षेत्र-भाषा के भेदभाव के खिलाफ,
हमको जंग लड़नी थी,
सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ,
हमको जंग लड़नी थी,
आर्थिक असन्तुलन के खिलाफ,
हमको जंग लड़नी थी,
भ्रष्टाचार के खिलाफ,
हमको जंग लड़नी थी,
हथियारों के जमावड़े के खिलाफ,
हमको जंग लड़नी थी,
प्रदूषण के खिलाफ,
हमको जंग लड़नी थी,
स्वच्छता के लिए,
हमको जंग लड़नी थी,
जल संरक्षण के लिए,
हमको जंग लड़नी थी,
अमन कायम करने के लिए,
लेकिन जरा ये सोचिए,
हम लड़ रहे हैं किसलिए,
लक्ष्य से भटक कर,
हम जंग लड़ रहे हैं,
कभी धर्म के नाम पर,
हम जंग लड़ रहे हैं,
कभी जाति के नाम पर,
हम जंग लड़ रहे हैं,
कभी भाषा के नाम पर,
हम जंग लड़ रहे हैं,
कभी क्षेत्र के नाम पर,
हम जंग लड़ रहे हैं,
कभी अपने शक्ति प्रदर्शन के लिए,
हम जंग लड़ रहे हैं,
कभी निज स्वार्थ के लिए,
इसलिए विचार कीजिए,
किस दिशा में ले जा रहे हैं,
अपनी दुनिया को हम,
क्या सही दिशा में जा रहे हैं हम?
- काफिर चंदौसवी (पुनीत शर्मा)
writer, poet and blogger
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