घर को घर बनाने के लिए दिन भर घर के ही बाहर रह जाते हैं
न थकते हैं न रूकते हैं बस काम से काम तक रह जाते हैं
ना हैं अब कोई उनका शौक न ही शिकायतें किसी से करतें हैं
धूप छांव हो या हो ठंडी और बरसात उन्हें इससे कोई फर्क नहीं पड़ता
दुःख झेलते हैं हजार चार बात वो दूसरों के भी सुन जातें हैं
हमारी शौक़ को पूरा करने के लिए वो सब कुछ सह जातें हैं
थकतें हैं पर उन्हें सोना आता नहीं
तकलीफें उन्हें बताना आता नहीं
अपनें बच्चों के लिए वो किसी राजा से कम नहीं
माना कि उन्हें तकलीफें होती होंगी पर घर में हमेशा वो हंसते हुए ही आतें हैं
किसी को कुछ पता न चलें वो सोने चलें जातें हैं
नींद न आने पर वो करवटें बदलते रह जाते हैं
पर न वो किसी से कुछ कहते हैं न ही किसी को कुछ बताते हैं
news reporter & writer