वास्तविकता कभी खुद के सर्वश्रेष्ठ परिदृश्यों के अनुसार नही चलती है.....।
हम सभी अनुमान लगाने में बहुत बुरे होते हैं। हम सोचते हैं कि हम यह अंदाज़ा लगा सकते हैं कि किसी चीज़ में कितना समय लगेगा की क्या होगा, जबकि हमें दरअसल ज़रा भी पता नहीं होता। दरअसल हम हर चीज को अपने अनुसार सर्वश्रेष्ठ परिदृश्य के अनुसार होते देखते हैं और उनके प्रतिरोंधो पर ध्यान नहीं देते हैं जो अवस्यभावी रूप से टपक पड़ता है। वास्तविकता कभी खुद के सर्वश्रेष्ठ परिदृश्यों के अनुसार नही चलती है।
इसलिए जो अनुमान भविष्य में कई सप्ताह, महीने और वर्ष आगे तक के होते हैं वो मात्र फंतासी होते हैं। सच तो यह है की कोई नही जानता की भविष्य में कहा क्या होगा। इसके साथ हम यह अंदाजा लगाते है की वह इंसान ऐसा है वो भविष्य में ऐसा ही रहेगा या में ये कर लूंगा तो हम गलत ही नही बल्कि बहुत ज्यादा गलत हैं।
अहम(मैं) से हम की ओर.......😊 #Save जल,जंगल,जमीन #सम्मान>समानता