ओ राही जीवन पथ के,
तू निरन्तर आगे बढ़,
अपनी राह की बाधाओं से,
निडर होकर तू संघर्ष कर।
क्योंकि शूलों के साथ ही,
होते हैं सुमन,
निराशा के साथ ही,
होती है आशा की किरण,
शत्रुओं के साथ ही,
मिलते हैं मित्र,
बिष के साथ ही,
मिलता है अमृत,
पतझड़ के बाद ही,
आती है बहार,
रात्रि के बाद ही,
होती है प्रातः,
युद्ध के बाद,
होता है अमन,
विरह के बाद,
होता है मिलन,
पराजय के बाद,
मिलती है सफलता,
परिश्रम के बाद,
मिलता है परिणाम अच्छा,
अंधकार के बाद ही,
मिलती है रोशनी,
आँसूओं के बाद ही,
मिलती है हँसी,
सफर के बाद ही,
मिलती हैं मंजिल,
मंझधार के बाद ही,
मिलता है साहिल,
अतः ओ राही जीवन पथ के,
तू निरन्तर आगे बढ़,
अपनी राह की बाधाओं से,
निडर होकर तू संघर्ष कर।
– काफ़िर चंदौसवी
writer, poet and blogger