बात सिर्फ इतनी नहीं है…
men's emotions समाज में खुशी के लिए बहुत ही कारगर है लेकिन इसके दुश्मन हजार है जबकि चाहते वो भी है अपने इमोशन एक्सप्रेस करने को हैं।
अच्छी क्रिकेट ही नहीं men's emotions ने भी दर्शकों को लुभाया है।
दर्शकों के इमोशन एक साधारण इंसान को भगवान बना देती है।
मैच का सबसे अच्छा पक्ष मुझे जो मेरी आंखो में छप सा गया है वह है बुमराह का उनकी पत्नी के द्वारा इंटरव्यू लेने के अंत में गले लगाना और उनकी पत्नी के चेहरे के ऐसे हाव भाव जैसे उनकी इसकी उम्मीद नहीं थी और थोड़ी सी मुस्कान जो दर्शाती थी जसप्रीत के भोलापन व पब्लिक में गले लगाने की झिझक के साथ कुछ सेकंड के लिए गले लगाकर भाव प्रकट करना और राहुल द्रवीण का झिझकते हुए ट्राफी पकड़ना और पकड़ते ही पागलों जैसा जमीन पर सबके साथ लेट लेट कर सेलिब्रेट करना और रोहित का पंड्या को किस करना।
बात सिर्फ इतनी नहीं है की खिलाड़ियों या अन्य सदस्यों ने अच्छा खेला या अपना काम। अच्छे से किया है इसके साथ साथ भारतीय टीम ने जो खास काम किया है वह है men's emotions को समाज में नार्मलाइज किया है, अक्सर देखा गया है की महिलाएं खुलकर इमोशन दिखा पाती हैं लेकिन मैंने विनिंग सेलिब्रेशन देखा और लगातार चेहरे पर मुस्कान रही और मन किए जा रहा की आज ये बंद ही न हो बार बार वह कोहली का रोहित से गले लगना या बीच इंटरव्यू में पंड्या को रोहित का किस करना खुलकर रोना, राहुल द्रवीण जैसे शांत और अंतरमुखी (एंट्रोवर्ट) व्यक्ति का झिझक के साथ ट्रॉफी पकड़ना और पकड़ने के साथ ही पहले जैसा लेट लेटकर सेलिब्रेट करना मुझे बहुत रास आया और ये केवल मुझे ही नही बल्कि सबको अच्छा लगा मैच से कही ज्यादा तभी मैच के रील से ज्यादा ये रील्स और फोटो वायरल हो रही है। सबसे अच्छी बात मुझे जो लगी बुमराह जो कभी विकेट लेने पर भी ज्यादा सेलिब्रेट नही करते उनका अपनी पत्नी के साथ इंटरव्यू के साथ अंत में सबके सामने झिझक के साथ गले लगना और उनकी पत्नी के चेहरे के एक्सप्रेशन प्राइज लेस लगे मुझे, वो रोहित का मिट्टी खाना और अपनी बच्ची को कंधे पर घुमाना और कोहली का वीडियो कॉल पर बात करना या हारे हुए खिलाड़ियों का मनोबल गिरने से बचाने के लिए उनकी पत्नियों का गले लगाना। ये सब कुछ ने ऐसे नार्मल कर दिया जैसा वास्तव में समाज में बेझिझक होना चाहिए।
अहम(मैं) से हम की ओर.......😊 #Save जल,जंगल,जमीन #सम्मान>समानता