भूख नहीं मिलती रुपयों से, रुपयों से मिलते पकवान।
रुपयों से मिलती औषधियां, रुपए करें न शक्ति प्रदान।।
रुपयों से आरोग्य न मिलता, व्यक्ति नहीं बनता बलवान।
शान्ति नहीं मिलती रुपयों से, भले आप हों अति धनवान।।
रुपयों से चश्मा मिलता है, दृष्टि नहीं होती है प्राप्त।
रुपयों से शय्या मिलती है, नींद नहीं मिलती पर्याप्त।।
रुपयों से सौन्दर्य न मिलता, अलंकार हो सकते प्राप्त।
रुपयों से आनन्द न मिलता, हर्ष न होता हिय में व्याप्त।।
स्वास्थ्य प्रदायक सादा भोजन, करें, करें नियमित व्यायाम।
मिलता आया सदा-सदा से, सदाचार का शुभ परिणाम।।
असफलता अभिशाप नहीं है, और नहीं है पूर्ण विराम।
सिद्धि-सफलता पग चूमेगी, अनथक कर्म करें निष्काम।।
मिलना हमको नित्य चाहिए, स्वच्छ वायु, पर्याप्त प्रकाश।
प्रकृति हमें नि:शुल्क दे रही, भले न धन हो अपने पास।।
उत्तरोत्तर आगे बढ़ने, का हम करते रहें प्रयास ।
मृदु वाणी निष्काम कर्म से, रच सकते हैं हम इतिहास।।
- महेश चन्द्र त्रिपाठी