मोदी सरकार के लिए नई चुनौतियाँ

9 जून को मोदी सरकार ने एक बार फिर अपने अगले कार्यकाल के लिए शपथ ले ली. ये मोदी सरकार का लगातार तीसरा कार्यकाल है.



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9 जून को मोदी सरकार ने एक बार फिर अपने अगले कार्यकाल के लिए शपथ ले ली. ये मोदी सरकार का लगातार तीसरा कार्यकाल है. देश के पहले पीएम जवाहर लाल नेहरू के बाद पीएम मोदी ऐसा करने वाले केवल दूसरे प्रधानमंत्री हैं. पिछले 10 सालों से केंद्र की राजनीति में सत्तारुढ़ मोदी सरकार के लिए इस बार परिस्थितियां कुछ अलग नजर आ रही हैं, क्योंकि चुनाव परिणाम आने के बाद बदले हुए हालात के कारण इस बार उसके सामने चुनौतियाँ कुछ अलग तरह की होंगी.

इसकी वजह ये है कि सत्तारुढ़ गठबंधन एनडीए को इस बार पिछली दो बार की तरह बम्पर बहुमत नहीं मिला है. इस बार के चुनाव में उसे बहुमत से थोड़ी ही ज्यादा सीटें प्राप्त हुई हैं. जबकि पिछले 2 आम चुनावों में एनडीए को तो छोड़िए खुद बीजेपी ने अकेले दम पर ही बहुमत हासिल किया था. लेकिन इस बार ऐसा नहीं हो सका और इस बार एनडीए को बहुमत के लिए आवश्यक 272 से कुछ अधिक 293 सीटें ही मिल सकीं. बीजेपी भी इस बार केवल 240 सीटों के आंकड़े को ही छू सकी, इसलिए इस बार मोदी सरकार के लिए तस्वीर अलग होगी.

बीजेपी को इस बार अपने सहयोगी दलों के प्रति लचीला रवैया अपनाना पड़ेगा. इस बार बीजेपी को उनकी आवाज सुननी पड़ेगी और उनकी जायज मांग माननी  होंगी, तभी ये सरकार अबाध तरीके से चल पाएगी, अन्यथा मोदी सरकार की राह में कई तरह के विघ्न उत्पन्न होंगे. यदि मोदी सरकार सहयोगी दलों को साधने में विफल रही, तो ये भी हो सकता है कि मोदी सरकार अपना कार्यकाल भी पूरा न कर सके और सरकार बीच में ही गिर जाए!

कुछ भी हो ये तो तय है कि इस बार केंद्र सरकार के लिए राह आसान नहीं रहने वाली. इस सरकार को निर्विध्न रूप से चलाने के लिए पीएम मोदी अपनी पार्टी के दिग्गज नेता और पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी के दिखाए मार्ग को अपना सकते हैं, जिन्होंने अपने सम्पूर्ण कार्यकाल के दौरान गठबंधन धर्म निभाते हुए सभी सहयोगियों को साथ लेकर अपनी सरकार को सुचारू रूप से चलाया था और एक मिसाल पेश की थी. लेकिन इसके लिए इस कार्यकाल में पीएम मोदी को अपनी कार्यशैली में भी परिवर्तन करना होगा.  

Category:India



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Written by पुनीत शर्मा (काफिर चंदौसवी)

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writer, poet and blogger