भारतीय लोकतंत्र की प्रकृति और संरचना: चुनाव आयोग : Prasbi Sir

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02 Mar '25
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 भारतीय लोकतंत्र की प्रकृति और संरचना: चुनाव आयोग

भारतीय लोकतंत्र विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक शासन प्रणाली है, जो जनता की सहभागिता, स्वतंत्रता, समानता और न्याय के सिद्धांतों पर आधारित है। लोकतंत्र की सफलता निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनाव प्रक्रिया पर निर्भर करती है, जिसे सुनिश्चित करने के लिए भारत में चुनाव आयोग (Election Commission) की स्थापना की गई है। यह आयोग भारत में चुनावों को निष्पक्ष, पारदर्शी और स्वतंत्र रूप से संचालित करने के लिए जिम्मेदार है। इस लेख में हम भारतीय लोकतंत्र की प्रकृति, इसकी संरचना और चुनाव आयोग की भूमिका पर विस्तृत चर्चा करेंगे।

भारतीय लोकतंत्र की प्रकृति

भारतीय लोकतंत्र की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:

1. संप्रभु, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक गणराज्य

भारतीय संविधान की प्रस्तावना में भारत को एक संप्रभु, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित किया गया है। इसका अर्थ यह है कि भारत अपने निर्णय लेने में स्वतंत्र है, आर्थिक और सामाजिक समानता का समर्थन करता है, सभी धर्मों के प्रति समान दृष्टिकोण रखता है, और जनता के शासन को सर्वोच्च मानता है।

2. संसदीय प्रणाली

भारत में संसदीय लोकतंत्र लागू है, जिसमें कार्यपालिका, विधायिका के प्रति उत्तरदायी होती है। केंद्र और राज्य स्तर पर दोहरी सरकार प्रणाली है:

केंद्र सरकार: राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, और संसद (लोकसभा और राज्यसभा)

राज्य सरकार: राज्यपाल, मुख्यमंत्री, और राज्य विधानमंडल (विधानसभा और विधान परिषद)

3. संघात्मक शासन प्रणाली

भारतीय लोकतंत्र संघात्मक प्रणाली पर आधारित है, जिसमें केंद्र और राज्यों के बीच शक्तियों का विभाजन संविधान द्वारा निर्धारित किया गया है। संविधान की सातवीं अनुसूची में संघ सूची, राज्य सूची और समवर्ती सूची के माध्यम से विषयों का वर्गीकरण किया गया है।

4. निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनाव

लोकतंत्र की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता चुनाव प्रक्रिया है, जो जनता को अपने प्रतिनिधियों को चुनने का अधिकार देती है। भारत में चुनाव निष्पक्ष और स्वतंत्र रूप से कराने के लिए चुनाव आयोग की स्थापना की गई है।

भारतीय लोकतंत्र की संरचना

भारतीय लोकतंत्र की संरचना को तीन प्रमुख अंगों में विभाजित किया जा सकता है:

1. विधायिका (Legislature)

केंद्र में: संसद (लोकसभा और राज्यसभा)

राज्यों में: विधानमंडल (विधानसभा और विधान परिषद)

विधायिका कानून बनाने और सरकार की गतिविधियों की निगरानी करने का कार्य करती है।

2. कार्यपालिका (Executive)

केंद्र में: राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद

राज्यों में: राज्यपाल, मुख्यमंत्री और मंत्रिपरिषद

कार्यपालिका कानूनों को लागू करने और शासन संचालन की जिम्मेदारी निभाती है।

3. न्यायपालिका (Judiciary)

भारतीय न्यायपालिका स्वतंत्र और निष्पक्ष है।

इसमें सर्वोच्च न्यायालय, उच्च न्यायालय और अधीनस्थ न्यायालय शामिल हैं।

यह संविधान की संरक्षक होती है और विधायिका व कार्यपालिका की गतिविधियों की समीक्षा कर सकती है।

चुनाव आयोग: भारतीय लोकतंत्र की आधारशिला

भारतीय लोकतंत्र की सफलता का प्रमुख आधार स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव प्रणाली है। इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए संविधान के अनुच्छेद 324 से 329 के तहत चुनाव आयोग (Election Commission of India - ECI) की स्थापना की गई है।

1. चुनाव आयोग का गठन

चुनाव आयोग एक स्वतंत्र और संवैधानिक निकाय है, जो भारत में सभी चुनावों को निष्पक्ष रूप से संचालित करने के लिए उत्तरदायी है।

यह 1950 में स्थापित किया गया था।

2. चुनाव आयोग की संरचना

चुनाव आयोग में निम्नलिखित पदाधिकारी होते हैं:

मुख्य चुनाव आयुक्त (Chief Election Commissioner - CEC)

दो अन्य चुनाव आयुक्त (Election Commissioners)

चुनाव आयोग का कार्यकाल छह वर्ष या 65 वर्ष की आयु (जो पहले हो) तक होता है।

इनकी नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।

3. चुनाव आयोग के प्रमुख कार्य और शक्तियाँ

चुनाव आयोग को भारतीय लोकतंत्र को सुदृढ़ बनाने के लिए विभिन्न अधिकार और शक्तियाँ प्राप्त हैं। ये निम्नलिखित हैं:

(i) लोकसभा, राज्यसभा, विधानसभा और राष्ट्रपति-उपराष्ट्रपति चुनावों का संचालन

चुनाव आयोग संसद और राज्य विधानमंडलों के चुनावों को निष्पक्ष रूप से आयोजित करने के लिए उत्तरदायी होता है।

यह राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनाव भी करवाता है।

(ii) आदर्श आचार संहिता (Model Code of Conduct)

चुनावों के दौरान आचार संहिता लागू करना ताकि सभी राजनीतिक दल निष्पक्ष रूप से चुनाव लड़ सकें।

इसमें जाति, धर्म, भाषा और संप्रदाय के आधार पर वोट मांगने पर रोक लगाई जाती है।

(iii) राजनीतिक दलों का पंजीकरण और मान्यता

चुनाव आयोग राजनीतिक दलों को मान्यता देने और रजिस्ट्रेशन करने का कार्य करता है।

यह राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय दलों की मान्यता एवं निशान आवंटन करता है।

(iv) चुनावों की निगरानी और अनियमितताओं पर कार्रवाई

चुनाव आयोग चुनावी खर्चों की सीमा तय करता है।

यह धांधली, भ्रष्टाचार और गलत तरीकों से चुनाव लड़ने वालों पर कार्यवाही कर सकता है।

(v) मतदाता सूची का अद्यतन और मतदान प्रक्रिया का प्रबंधन

आयोग मतदाता सूची तैयार करता है और समय-समय पर इसे अपडेट करता है

यह इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) और वीवीपैट (VVPAT) का उपयोग सुनिश्चित करता है

4. चुनाव आयोग की चुनौतियाँ

यद्यपि चुनाव आयोग स्वतंत्र और निष्पक्ष रूप से कार्य करता है, फिर भी इसे कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है:

धनबल और बाहुबल का प्रभाव

फर्जी मतदान और बूथ कैप्चरिंग

राजनीतिक दबाव और स्वायत्तता की कमी

सोशल मीडिया और फेक न्यूज का प्रभाव

भारतीय लोकतंत्र अपनी संप्रभुता, समावेशिता और निष्पक्षता के कारण विश्व में एक अनुकरणीय उदाहरण है। इसकी सफलता स्वतंत्र चुनाव प्रक्रिया पर निर्भर करती है, जिसे सुनिश्चित करने में चुनाव आयोग की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। निष्पक्ष चुनावों के माध्यम से जनता की भागीदारी को मजबूत किया जाता है और लोकतांत्रिक सिद्धांतों को बनाए रखा जाता है।

हालाँकि, समय के साथ चुनाव आयोग को नई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जिनका समाधान करना आवश्यक है। यदि चुनाव आयोग अपनी निष्पक्षता, पारदर्शिता और स्वायत्तता बनाए रखता है, तो भारतीय लोकतंत्र अपनी सुदृढ़ता को और अधिक बढ़ा सकता है।

Category:History



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Written by Rajkumar Prasbi

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