मेरी किस्मत

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05 Jun '24
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किस्मत की चादर 
फटी मैली सी
गम में रगीं बदरंग
कुछ बेरंग सी

कितने पेबन्द लगाये 
कितना रफु किया
फिर भी मुक्कमल 
मरम्मत न हो सकी

खुशियों के सितारें ,
चाहत का गोटा-किनारी ,
ख्वाइशों के फूल से 
किस्मत न सज सकी

ख्वाब कैसे होते पूरे 
जरूरते भी रह गयी अधूरी
ऐ किस्मत तू मुझे ही
इतनी बेमसरफ क्यूँ मिली

Category:Poem



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Written by Vineeta Bhatia