किस्मत की चादर
फटी मैली सी
गम में रगीं बदरंग
कुछ बेरंग सी
कितने पेबन्द लगाये
कितना रफु किया
फिर भी मुक्कमल
मरम्मत न हो सकी
खुशियों के सितारें ,
चाहत का गोटा-किनारी ,
ख्वाइशों के फूल से
किस्मत न सज सकी
ख्वाब कैसे होते पूरे
जरूरते भी रह गयी अधूरी
ऐ किस्मत तू मुझे ही
इतनी बेमसरफ क्यूँ मिली
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