मेरी खामोशी….
कभी_कभी चुपके से
मुझसे आकर बातें करती है।
क्या खोया, क्या पाया?
मुझसे ही सवाल करती है।
मेरी खामोशी….
याद दिलाती है, गुजरे हुए पलों को।
याद दिलाती है, मेरी मोहब्बत की।
मगर, यही सच्चाई है।
खामोश इंसान कुछ छिपाता है,
या कुछ यादें बुनता है।
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