"मेरे फेस वॉश का ढक्कन"

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29 Jan '25
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कुछ समय पहले मैं मार्केट गई और वहां से अपनी मनपसंद ब्रांड का फेस वॉश लेकर आई।उसका मैंने इस्तेमाल करना शुरू किया।जब भी उसका ढक्कन खोलती  तो आसानी से खुल जाता लेकिन जब भी बंद करती तो बार -बार मुझे परेशानी होती लेकिन  फिर भी जैसे तैसे मैं उसका ढक्कन बंद करने में जीत हासिल कर लेती ।ये बताते हुए मुझे भी हसी आ रही है  और शायद आपको भी पढ़ने में आ रही होगी कि ये सब बता कर मैं क्या बताने की कोशिश कर रही हूं।तो चलिए मैं आपसे अपने इस अनुभव को साझा करती हूं। दो - तीन दिन जब मुझे परेशानी हुई फेस वॉश के ढक्कन को बन्द करने में तो मैंने ध्यान देना शुरू किया की आखिर ये ढक्कन मुझसे इतनी देर में क्यूं बंद होता है जबकि खोलने में मुझे कोई परेशानी नहीं होती ।खोलने में परेशानी इसलिए नहीं होती की क्यूंकि जहां से ढक्कन खुलता है वो प्वाइंट हमें सामने से दिखाई दे रहा है इसलिए हम उसको आसानी से खोल लेते हैं लेकिन जब बन्द करना होता है तो हमें दिक्कत इसलिए आती है कि हमे वो प्वाइंट सामने से दिखाई नहीं दे रहा है जबकि वो प्वाइंट या जगह उसमें मौजूद है  जहां से ढक्कन बन्द होता है।लेकिन हम उस पर ध्यान ही नही दे रहे और बिना ध्यान दिए इधर उधर प्रेस करते हैं तो बंद नहीं होता लेकिन जैसे ही उस प्वाइंट पर हम पहुंच जाते हैं जहां से वास्तविकता में प्रेस करना है तो वह ढक्कन आसानी से बंद हो जाता है।तो मेरे इस अनुभव की तरह कभी आपको भी  अपने दैनिक जीवन में बहुत से अनुभव  प्राप्त हुए  होंगे और क्या आपने सोचा कि ये जो अनुभव हमको प्राप्त होते हैं वो कैसे हमारे जीवन की बहुत सी समस्याओं का समाधान खोजने में हमारी मदद कर सकते हैं? ऐसी बहुत सी समस्याओं का सामना हमें अपने जीवन में आए दिन करना  ही पड़ता है ,जिसके लिए हम खुद को या दूसरों को दोषी समझने लगते हैं और क्रोध और अवसाद जैसी मानसिक तनाव और परेशानियों का सामना करने लगते हैं।जबकि इसके बजाय यदि हम ये देखने का प्रयास करें कि समस्या क्या है और उसके पीछे कारण क्या है और उसके समाधान क्या - क्या हो सकते हैं और उनमें से हम किस विकल्प का चयन कर सकते हैं तो हमें कोई भी समस्या से कोई परेशानी का महसूस नहीं होगी। इस प्रकार के  चिंतन को हम सृजनात्मक चिंतन कह सकते  हैं। यह  सृजनात्मक शक्ति प्रत्येक में किसी न किसी रूप में और कुछ या अधिक मात्रा मे मौजूद होती है।जिसको और विकसित या प्रशिक्षित किया जा सकता है । जो भी अनुभव प्राप्त हुआ है उसको ध्यान पूर्वक समझें तो हमें समझ आएगा की हमारे जीवन में जो भी परेशानी है वो क्यूं है और उसको किस तरह दूर या ठीक किया जा सकता है।इस प्रकार हमें समस्या के मूल कारण को समझने में और उसका समाधान ढूंढने में कोई परेशानी नहीं आएगी और ये तभी संभव है जब हम समस्या की माप पर ध्यान न देकर उसके मूल कारण को ढूंढकर उसका विश्लेषण करें और उसके समाधान पर ध्यान केंद्रित करते हैं। इसके लिए सबसे आवश्यक है मन को शांत रखते हुए ध्यान केंद्रित करना सीखना और इस महत्वपूर्ण क्रिया को अपने दैनिक जीवन में  समाहित करना।
आशा करती हूं अपने इस लेख के माध्यम से आपको मैं जो बताना चाह रही हूं वो मेरा दृष्टिकोण आप तक पहुंचाने में  मैं  थोड़ी बहुत भी सफल हुई हों तो अपने विचार मुझ तक जरूर साझा करें , धन्यवाद।

Category:Personal Experience



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Written by ruchi verma

I am Ruchi Verma and I love to create something motivational articles, story or poem ...

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