.........................मां की ममता.........................
आज राजू न जाने क्यूँ परेशां सा लग रहा था.जब से हॉस्पिटल से अपनी मां का इलाज़ कराकर वापस लौटा तब से उसकी पेशानी पर शिकन साफ़-साफ़ दिख रही थी.
हालांकि अब उसकी माँ की तबीयत बिल्कुल ठीक है बीते दो माह की अपेक्षा.
दरअसल दो महीने पहले पहली बार राजू अपनी माँ को लेकर हॉस्पिटल गया था,
राजू घर में अकेला कमाने वाला है, पिता का साया कब उठ गया उसके ऊपर से उसे याद भी नहीं, सायद अब तो पापा का चेहरा भी भूल गया है वो.
माँ अकेली घर को चलाने बाली है छोटी बहन छुटकी अभी सात साल की है.
खांसी के चलते राजू को अपनी माँ को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था आज से दो महीने पहले. तक़रीबन तीन दिन भर्ती रहने के बाद डॉक्टर ने ये कह कर डिस्चार्ज किया कि- बीमारी के चलते तुम्हारी माँ के दोनों फ़ेफ़डे 95 फ़ीसदी तक डैमेज़ हो चुके हैं. सिर्फ़ 5 फ़ीसदी पर अब तक जिन्दा कैसे हैं? ये सब देखकर डॉक्टर भी हैरान थे .
राजू को हिदायत ये दी गयी कि मां को कुछ न बताया जाए और अब माँ की अच्छे से देखभाल करो, वो(मां) कुछ ही दिनों की मेहमान हैं.
राजू सारी बात समझ गया था और ये सब सुनकर अंदर ही अंदर टूट भी गया था कि अब उसके ऊपर से उसकी माँ का साया भी उठने बाला है.
राजू मां को बिना कुछ बताये घर ले आया था.अब राजू मां की देखभाल में कुछ ज़्यादा ही दिलचस्पी दिखाने लगा जैसे- समय पर दवाईयां देना,उनके काम मे हाथ बटाना, ज़्यादा से ज़्यादा उनके साथ समय बिताना बगैरह....बगैरह......
मां के सामने मुस्कान बाला नक़ली चेहरा लेकर घूमने बाला राजू अब कुछ ज़्यादा ही परेशान और दुःखी रहने लगा था. राजू अब ऐसे दर्द के साये तले जी रहा था जिसको वो, जिसे सबसे बेइन्तहां प्यार करता था उसे भी नहीं बता सकता था.
मां के पूछने पर हमेशा वो यही कहता था कि पापा की याद आ रही है. और इस पर मां की ओर से वही सुनने को मिलता था कि- अभी मैं ज़िंदा हूँ.
तू क्यूँ परेशान होता है तेरी मां अभी मरी नहीं है. तेरे पापा तेरे पास नहीं हैं तो क्या हुआ, मैं तो हूँ ना.
मां के मुंह से ये मरने बाली बात सुनकर राजू की अक़्सर आंखे भर आया करती थी.क्यूंकि उसे पता था कि मां भी उसे छोड़कर जाने बाली है वो भी बहुत ज़ल्दी. और परेशान हो भी क्यूँ नहीं आख़िर दवाईयों के बलबूते पर कब तक ज़िन्दा रख पाता.
मां इस बात से बेख़बर कि चंद साँसे बची हैं उसके पास, हमेशा ख़ुश रहती थी, मुस्कुराती थी, मां और बाप दोनों के हिस्से का प्यार अपने बच्चों को देतीं.
मां को ऐसे दिन ब दिन मरता देख राजू अब अपने आप को भी खोने लगा था उसे अब तन्हापन घेर रहा था, मां के साथ साथ अब उसे छुटकी की भी चिंता सताने लगी थी कि मां के जाने के बाद अपनी छोटी बहन की परवरिश कैसे करेगा.
दो महीने पहले राजू जितना परेशान और हतास था उससे कहीं दो गुना अचम्भित आज है. दरअसल आज दो महीने बाद डॉक्टर के कहे अनुसार दवाई ख़तम होने पर मां को फ़िर लेकर हॉस्पिटल आया है, जहां पर आज फ़िर फ़ेफ़डों की जाँच होनी है
डॉक्टर;- हाउ इस पॉसिबल ? इट्स अनबिलीवल, इट्स मिरेकल, मैंने अपनी पूरी डॉक्टरी लाइफ़ में ऐसा क़भी नहीं देखा. डॉक्टर ने X-Ray ऊपर उठाकर देखते हुए कहा.
और ताज़्जुब हो भी क्यों न, दो महीने पहले जो फ़ेफ़डे 5 फ़ीसदी ही सलामत बचे थे वो आज 55फ़ीसदी ठीक हो गए हैं डॉक्टर्स और सभी के लिए ये एक सपना जैसा लग रहा था.
जब राजू ने ये सब सुना तो ख़ुशी के मारे आँसू छलक आये ,भाग के गया और मां के गले से लग गया
मां;- क्या हुआ बेटा..? तू रो क्यों रहा है..? तेरी मां मरी थोङे ना है..अचानक से राजू को क्या सूझा, वो उठा और अपने आंसू पोंछते हुए डॉक्टर के चेम्बर की ओर दौड़ लगा दी.थेंकयू सो मच डॉक्टर साहब ये कहकर वो डॉक्टर के पैरों में गिर पड़ा और बोला- सुना था कि डॉक्टर भगवान होते हैं आज देख भी लिया है. आपने मेरी मां को जीवनदान दे दिया है, थेंकयू.... थेंकयू.... सर्.
राजू, आज जो आपकी मां ज़िंदा हैं उसकी वज़ह मैं नहीं बल्कि आपकी मां ख़ुद हैं. क्यूंकि इस स्टेज़ पर कोई भी इंसान का बचना नामुमकिन होता है, हमने जो इलाज़ दिया वो ठीक करने बाला नहीं वल्कि कुछ समय के लिए उस बीमारी को वहीं रोके रखने बाला था,क्यूंकि इस स्टेज़ के लिए ऐसी कोई दवाई बनी ही नहीं जो ठीक कर सके.ये कैसे हुआ हमें भी नही पता.राजू को उठाते हुए डॉक्टर ने कहा.
ये सब सुन कर राजू हक्का-बक्का हो गया उसका शरीर सुन्न सा पड़ गया .
ऐसा कैसे हो सकता है? कहीं ये डॉक्टर झूठ तो नहीं बोल रहे? कहीं ये रिपोर्ट ग़लत तो नहीं बता रही?
अभी इसी उधेड़बुन में खोया राजू मां के कमरे की ओऱ बड़ ही रह था कि एकाएक उसके कानों में एक आवाज़ पड़ी- अरे राजू भाई !
ख़ुद को संभालते हुए राजू ने अपने दाईं ओऱ देखा तो दवाई, इंजेक्शन ,सीज़र और ग्लूकोज़ बॉटल से भरा बॉक्स लिए एक वॉर्डबॉय खड़ा था.
ह्म्म्म... कहिए..... राजू ने कहा.
वॉर्डबॉय;- आपकी मां कैसी हैं अब?
हां! अच्छी हैं वो ! पहले से बेहतर हैं. राजू ने कहा!
वॉर्डबॉय;- सचमुच आपकी मां बहुत बहादुर है .सबकुछ जानते हुए भी मौत को चकमा देकर आ गईं.
इक मिनट.....
सबकुछ जानते हुए मतलब ? राजू ने आश्चर्यजनक प्रश्न किया.
वॉर्डबॉय;- माफ़ करना राजू भाई दो महीने पहले जब आप आये थे तब 5 फ़ीसदी बाली बात पता चली थी और आपकी मां ने मुझे मेरे बेटे की कसम देखर अपनी हालत के बारे में पूछा तो मुझे भी मज़बूरन सब कुछ सच बताना पड़ा था.
राजू;- मतलब जो बात डॉक्टर और मैने, मां को नहीं बताई वो सब तुमने पहले ही बता दिया था.
हां..राजू भाई ! माफ़ कर देना, मैं मजबूर था. वॉर्डबॉय ने नज़र झुकाते हुए कहा.
अब तो राजू अचरज़ की भट्टी तले दब कर तपने लगा.मतलब माँ सबकुछ जानते हुई भी अनजान बनी रही, जैसे उसे कुछ पता ही नही हो, अपनी मौत का पता होते हुए भी उसे झुठलाती रही.राजू, एकटक मां को देखे जा रहा था.
मां;- क्या हुआ ? ऐसे क्या देख रहा है बेटा?
बिन कुछ कहे राजू , मां के गले लगकर हिलकी भर भर के रोने लगा.
चुप हो जा बेटा. मुझे सब पता था पहले दिन से ही, लेक़िन तुझे औऱ छुटकी को छोड़कर कैसे जा सकती थी? फ़िर तुम दोनों का ख़्याल कौन रखता? मेरे अलावा तुम्हारा है ही कौन इस दुनियां में? और ऐसी कोई बीमारी नहीं जो मुझे तुम दोनों से अगल कर दे, मैं मर ही नहीं सकती हूं मेरी जान तो तुम दोनों में बसती है. मां ने राजू के आंसू पोंछते हुए कहा.
आई लव यू मां..राजू बस इतना ही कह आया
चल अब घर चलें छुटकी इंतज़ार करती होगी मां ने अपने पल्लू से अपने आंसू पोंछते हुए कहा.
राजू ने अपने हाथों का सहारा देखर मां को उठाया और आग़ोश में लेकर, घर की ओऱ चल दिया.
है पांव में जिसके ज़न्नत
ममता की जिसे मूरत कहते हैं..!
जो मौत को भी मात दे दे
औलाद की ख़ातिर, उसे मां कहते हैं..!!
नोट;- दुनियां में पचास फ़ीसदी मौतें Via Disease नहीं Via Fear होती हैं. डर सबसे बड़ी बीमारी है और आस सबसे बड़ी दवाई.
-- Mahi Kumar
IG @mahikumar.95
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