- कहने को तो ना जाने आजकल कितने कितने दिवस मनाते हैं लोग ,क्या मां का भी हो सकता है दिन, क्यों सोच में नही पड़ते हैं कभी हम।
- मां तो जननी है , एक एक पल जो रहती है हमारे दिल के पास, उनकी सांसों में बसती है हमारी जान ।
- प्रथम गुरु भी मां ही है, बोलना चलना, सब कुछ सीखा है उनसे।
- हर पल जिनका रहता है आशीष
- जीवन की हर मोड़ पे रहती है जो खड़ी
- हर सुबह शुरू हो जिससे, फिर कैसे कोई कहे की आज चलो मनाते है मां का दिवस,
- जिस मां के बिना नहीं चलता हमारा कोई काम ,
- उस मां को बार बार प्रणाम!
- जिस मां ने कर दिया हर पल खुद को समर्पित, बच्चो के लिए, हाए ये कैसे बच्चे है आज कल, जो मनाने लग गए मातृ दिवस।
हर दिन हर पल जिससे है , वही तो हमारी मां है।
फिर तो सोचो, कैसे मातृ दिवस नही हर रोज है..!