यूं तो तुम दिवस विशेष की शुभकामनाओं की मोहताज नहीं क्योंकि तुम प्रत्येक दिन स्वयं विशेष हो..पर बात जब पत्र लिखने की आयी तो मुझसे रहा नहीं गया। हम दोनों के बीच सदैव भरपूर संवाद रहा और भावनाओं का आदान-प्रदान भी..इसलिए कुछ बहुत ज़्यादा अनकहा रहा भी नहीं..।
माँ! तुम मेरी जीवनी-शक्ति हो,.. .मेरी ताकत हो।जीवन-रण में जो मजबूती से टिकी हूँ इसका श्रेय तुम्हें ही है । मेरे कंधे पर रखा तुम्हारा हाथ विषम परिस्थितियों में भी मुझे विचलित नहीं होने देता ।
जानती हो..! मन की दहलीज को परम्पराओं से बांध , तन के आँगन में मातृत्व के फूल खिलाकर अभेद्य प्रार्थनाओं से सेवित-पल्लवित घर की तुलसी होना तुमसे सीखा है...तुम्हारे दिए संस्कारों के खाद-पानी से रिश्तों को सहेजते-सींचते मैं बिल्कुल तुम-सी हो गई हूँ।
मैंने सहेज कर रखे हैं तुम्हारे दिए संस्कार, तुम्हारे आदर्श , तुम्हारे जीवन-मूल्य..क्योंकि पीढ़ी-दर-पीढ़ी-पीढ़ी ये इतने ही कीमती और प्रासंगिक रहेंगे और मेरी कोशिश रहेगी कि मैं इस विरासत को सकुशल आने वाली पीढ़ी को सौंप सकूँ.. बस! तुम आशीर्वाद बनाये रखना।
तुम्हारी बेटी
“मातृ दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं सभी को”