माँ
माँ बनकर ही जाना है
जीवन पाकर ही एक
नया जीवन दे जाना है
माँ जो शिशु को जन्म देकर
अंधेरे से उजाले की ओर लाती है
वो माँ ही है जो अपने अंश से
एक नया वंश बना जाती है
माँ बनकर ही जाना है
जीवन पाकर ही एक
नया जीवन दे जाना है
उसके नन्हें हाथों की एक छूअन
ममता के अनगिनत भाव जगा जाती है
एक एहसास से जुड़ा रिश्ता
माँ उम्रभर के लिए निभा जाती है
माँ बनकर ही जाना है
जीवन पाकर ही एक
नया जीवन दे जाना है
उसके नन्हें क़दमों की आहट
एक नया जोश जगा जाती है
अपनो को अपनेपन की
एक नई राह दिखा जाती है
माँ बनकर ही जाना है
जीवन पाकर ही एक
नया जीवन दे जाना है
उसकी नटखट शरारतो में माँ
अपना बचपन फिर से जी जाती है
उसकी एक मुस्कुराहट पर वो
ना जाने कितने गम भुला जाती ॥
स्नेह ज्योति
कभी आंसमा में ढूँढता हैं कभी सपनों में खोजता हैं यें दिल हर पल ना जाने क्या-क्या सोचता है भीड़ मे तन्हाई में अपने को ही खोजता हैं
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