लव विथ साइको

First meeting and forcefully kiss

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30 May '24
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ओम नमः शिवाय

लखनऊ सिटी सुबह का वक्त

एक छोटे से घर में एक रूम में एक लड़की ब्लैंकेट से खुद को कवर किए हुए सो रही थी, और सूर्य की हल्की रोशनी उस पर पड़ रही थी, की तभी रूम का दरवाजा खुला और एक 40 वर्षी औरत आई,

और तभी आवाज आई, “अरे सूर्या! उठ जा आज तेरा कॉलेज का पहला दिन है, आज ही लेट हो जायेगी”

तभी सूर्या एकदम से उठी और ब्लैंकेट फेक कर वाशरूम की तरफ भागते हुए जोर से चिल्ला कर बोली, “हे शिव जी ! आज ही के दिन लेट होना था, मैंने सुना है प्रोफेसर बड़ा ही खडूस है, अगर लेट हो गई तो बैंड बजा देगा ”

ऐसा कह कर सूर्या वाशरूम में गई तो उसकी मां सुमन जी, अपने सिर पे हाथ रख कर बोली, "अब तक बचपना नही गया, भगवान ना जाने आगे क्या क्या करेगी ये लड़की, कुछ तो अकाल दो इसको

ऐसा कह कर वो सूर्या के लिए नाश्ता लगाने चली गई।

वही सूर्या फ्रेश हुई और फिर शावर ले कर रेडी हुई, आज उसने व्हाइट कलर का कुर्ता एंड ब्लैक जींस पे पोनी टेल बांध रखा था, आखों में हल्का सा काजल और होता पे हल्के से लिप बाम, में भी वो कहर लग रही थी।

उसकी बड़ी बड़ी आंखें और पतले से होठ, दूध जैसा गोरा रंग, लगभग 5 फुट और कुछ 3 इंच हाइट थी, पतली सी कमर और सुडौल गर्दन, काफी हॉट लग रही थी आज सूर्या ।

लगभग रेडी हो कर वो अपना बैग ले कर जल्दी से नाश्ता करने के लिए आई

और हाथ में एक पराठा रोल बना करके खाती हुई भागी, तभी किचन में से आवाज आई, “अरे नाश्ता तो कर ले, हे भगवान! ये लड़की तो उड़न पताका है, हवा से बाते करते चलती है ”

तभी सूर्या अपनी स्कूटी पर बैठ कर कॉलेज चली गई

दूसरी तरफ

सूर्यवंशी मैंशन

एक लड़का जिस ने ब्लैक शर्ट पे ब्लैक ब्लेजर एंड ब्लैक जींस आंखों पे ब्लैक शेड्स, हाथो में ब्रांडेड वॉच और पैरो मे ब्रांडेड शूज पहने हुए फूल एटीट्यूड के साथ भूरी आंखों के साथ सर्द निगाहे, जो किसी को डरा देने के लिए काफी थी, बट हैंडसम तो हद से ज्यादा, वो लड़का स्टेयर्स से उतरते हुए नीचे आया, तभी एक सर्वेंट हाथो में कॉफी का मग लेकर उसके सामने आया और डरते हुए नजर झुका कर अपनी कांपती हुई  आवाज में बोला, “अद्वय बाबा! आप की कॉफी' ”

जी हा ये कोई और नहीं हमारी स्टोरी के हीरो अद्वय सिंह सूर्यवंशी है।

उसके इतना कहते ही अद्वय ने उसको घूर के देखा और चिल्ला कर बोला, “ I am your Boss not your rile- tive so तमीज से बात करो”

इतना ही बोलते हुए कॉफी का मग फेक दिया और आगे बोला, “सुबह सुबह दिमाग खराब कर दिया bloody he'll bloody poor people”

ऐसा कह कर वो भी अपने कार में बैठ कर निकल गया कुछ दूर जाते कार स्पीड में होने की वजह से वह अपनी कार को बैलेंस नहीं कर पया और सामने से आती हुई एक स्कूटी उसकी कार से टकरा गई।

और स्कूटी गिर गई, स्कूटी के साथ वो लड़की भी गिरी हुई थी। वो झटके में उठी और हेलमेट निकाला।

वो कोई और नहीं हमारी उड़न पताका सूर्या थी, जब सूर्या ने अपनी स्कूटी को देखते हुए जोर से चिल्लाई, साले कमीने छिले हुए छछूंदर, साले सड़े हुए मुर्गे की टांग, साले मुरझाई मरी हुई चुहिया की चटनी मेरी स्कूटी को तोड़ दी, छुप कर क्या बैठा है बाहर निकल

तभी अपने कार से अदवय एरोगेंट में स्टाइल में बाहर आया और अपनी सर्द आवाज में बोला, "let me go! Other wise!

उसने इतना ही कहा था की तभी सूर्या बीच में ही उसकी बात काट कर बोली, “अबे ओ other wise की टूटी हुई दुकान, साले फीके पकवान एक तो मेरी स्कूटी तोड़ दी ऊपर से मुर्गे की तरह में में कर रहा है, पहले दिन ही दिमाग का गोबर भरता कर दिया।”

उसकी बात सुन कर अद्वय अपने दांत पीसते हुए बोला, देखो "

सूर्या फिर से उसकी बात काट कर बोली, “इतने हैंडसम नहीं हो की तुम्हे निहारते चलेंगे, अब मेरी स्कूटी सही कराओ नही तो देखो की सूर्या क्या करती है ”

उसकी बात सुनकर अदवय अपनी एक आईब्रो उचका कर बोला, “तुम जानती नही हो की किस से बात कर रही हो, देखना अगर तुम्हे पछताने के लिए मजबूर ना कर दिया ना तो मैं भी अदवय सिंह सूर्यवंशी नहीं ”

“तुम भी मुझे नही जानते की मैं क्या हूं! अगर चौबे जी के चौराहे पे तुम से चार दिन चार प्लेट में चमकू  के चाट ना बिकवाए तो मेरा नाम भी सूर्या सिंह भारद्वाज नही' ”

अदवय पब्लिक में सूर्या को नुक्सान नहीं पहुंचा सकता था ऐसा नहीं था की ओ किसी से डरता था बट वो पब्लिक प्लेस था।

लेकिन ओ इरिटेट हो चुका था, बहोत बोल चुकी थी सूर्या । अदवय ने अपनी आंखे बंद कर के एक गहरी सास ली और अपने बालो में हाथ फेर कर एक बार अपनी गर्दन पे हाथ फेरा और एक झटके में सूर्या के गर्दन पे हाथ रख के अपने करीब खींचा और बिना कुछ सोचे सूर्या के गुलाबी पतले होठों पे अपने सख्त होठों को रख कर उसके होठों को कस कर दबा लिया और जोर जोर से उसको हर्ट करते हुए सक करने लगा।

अचानक अपने साथ हुई ऐसी हरकत से सूर्या शॉक में थी, और , वो एकदम से हड़बड़ा गई थी, उसकी आंखे खुली की खुली रह गई थी, वो अभी के लिए समझ , नही पा रही थी की आखिर उसके साथ हो क्या रहा था, और अद्वय सूर्या के होठों से अपना बदला लेने  में लगा हुआ था।

कुछ वक्त बाद सूर्या अपने सेंस में आई और अपने नाजुक हाथो से अदवय वॉल जैसी body को पीछे ढकेल रही थी, खुद को अदवय से छुड़ाने की कोसिस कर रही थी, लेकिन अद्वय सूर्या को छोड़ने के मूड में बिलकुल नहीं था।

सूर्या को जब कुछ नही सुझा तो उसने अपना खुरापाती दिमाग लगाया और अपना एक घुटना उठा कर अदवय के मेन पार्ट पर कस के मारा जिससे अदवय के हाथ सूर्या के गर्दन से हट गया और उसकी पकड़ सूर्या के ऊपर से ढीली पड़ गई और सूर्या छूट गई और वहा खड़े सारे लोग दोनो को देख रहे थे। सूर्या तो छूट गई थी लेकिन अदवय का गुस्सा और बड़ गया था।

वो सूर्या की तरफ गुस्से से देखते हुए ! अपनी कार की तरफ चला गया । और फिर अपनी कार में बैठ के वहा से निकल गया ! 

 

 

फिर सूर्या भी वहा से कॉलेज के लिए निकल गई ! 

 

 

To be continued ✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️

Category:Stories



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Written by Deepanjali Singh

Story writer