देखा जब तुमको राम प्रिय
मै तेरी ही तब हो बैठी
ह्रदय पल्लवित पुष्पित था
मै आनंदित हो बैठी
मै शबरी न बन पाऊंगी
न चरण धूलि ले पाऊंगी
छुआ पाषाण अहिल्या को
वो चरण भी न छू पाऊंगी
मन करता है गांऊ मै
छोड़ तुझे कहां जाऊ मैं
पंख लगा कर तितली के
तेरे चरणों में आऊं मैं
करम गठरी या लेकर के
क्या कभी तुम्हे मिल पाऊंगी
पाप, पाप ही भरा हुआ है
पुण्य कहां से लाऊंगी
मेरे राम मेरे राम 🙏🏻
तुम सबसे मिलने जाते हो रघुवर
मै तुमसे मिलने आई हूं
अश्रु सिंचित हृदय व्यथा को
तुम्हे सुनाने आई हूं
पर देखा तुमको तो भूल गई
ये अथा व्यथा और कथा सभी
शबरी, अहिल्या, कौशल्या बन
कितने भावों से थी गुजरी
नयन अश्रु से भर बैठे
ह्रदय आनंदित पीर उठी
मै तुमको जी भर कर देखू
तुम मुझको देखो राम प्रिय
स्वरचित
Sunita tripathi अंतरम 🙏🏻
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