हमें कुछ बात करनी हैं तुमसे
जरा सुन तो लीजिए
इधर उधर क्या घूमती हो
पलभर ठहर तो लीजिए
तुम्हारे बाल तो
हवा में सूख ही जाएगे
तपती धूप में जलते हमारे
पैरों पर तो रहम कीजिए ।।
स्नेह ज्योति
कभी आंसमा में ढूँढता हैं कभी सपनों में खोजता हैं यें दिल हर पल ना जाने क्या-क्या सोचता है भीड़ मे तन्हाई में अपने को ही खोजता हैं