अरे ये क्या ये तो बारिश हो रही है । ये अभी अभी ऑफिस के लिये निकले है ,,,और बच्चे भी तो स्कूल अभी गये है चलो ये तो शुक्र है इनके पापा का जो बच्चो के लिये बस लगवा दी ,,,कम से कम मेरी एक ड्यूटी खत्म हो गई। नेहा की नजर घर के काम करते करते खिडकी पर जाती है और वो मन ही मन सोचने लगती है । घर मे वो अकेली थी पति बच्चे सब चले गये थे ।
एक काम करती हूं अपने लिये चाय बनाती हूं मस्त सी अदरक इलायची और दालचीनी वाली ,,,मजा आ जायेगा ,,,ये धीमी धीमी बारिश और,,,, मै और मेरी मस्त चाय । मन ही मन चाय बनाने का सोच कर वो रसोई की तरफ जाती है ।
वो चाय बनने रखती है ,,,तभी उसे याद आता है छत पर कपडे सुखने डाले थे सुबह ,,,अरे वो तो भीग गये होंगे । एक काम करती हूं ,,,,चाय ऊपर ले जाती हूं कपडे ऊपर वाले कमरे मे ही डाल दूंगी और फिर चाय ऊपर ही पी लूंगी वो भी बारिश के साथ । एक काम करती हूं चाय के साथ कुछ खाने का भी ले लेती हूं। और चाय कप मे लेकर वो छत पर जाती है । छत पर जाकर देखती है ,,,,,ओहो कपडे तो सारे भीग गये है ,,,,,कोई नही ,,,वो अपनी चाय अंदर कमरे मे रखकर ,,,कपडे उतारने लग जाती है ,,,,कपडे उतारते उतारते वो पूरी तरह भीग जाती है । वो सारे कपडे अंदर कमरे मे फैलाती हो ,,,तो उसका ध्यान खुद पर जाता है वो पूरी तरह भीग चुकी थी ।
ओहो मै तो पूरी तरह भीग चुकी हूं ,,,,और जब मै भीग ही गई हूं तो क्यों ना थोडी देर और बारिश का मजा ले लूं । वैसे भी बहुत दिन हो गये बारिशमे भीगे हुऐ । और वो फिर से छत पर जाकर बारिश मे भीगते लगती है ,,,,थोडी देर वो छत पर से कूडा उठाकर कूड़ेदान मे डालती है जिससे छत का पानी ना रूके । और फिर वो छत की रैलिंग पर वो खडी हो जाती है आती जाते लोगो को देखती रहती है । तभी उसकी नजर एक लडकी पर पडती है जो बारिश से बचने के लिए एक घर के बाहर खडी थी ,,वो बहुत मॉर्डन लग रही थी ,,,उसे देखकर नेहा को अपने दिन याद आ गये ।
नेहा तू भी तो ऐसे ही टीप टॉप होकर रहती थी ,,,कभी आंखो से काजल मसकारा लाइनर हटने नही दिया ,,,बिना लिपस्टिक के तो बाहर कदम भी नही रखा । और अब तो चेहरे पर क्रीम लगे हुऐ भी कई कई दिन हो जाते है ,,,,,। और वो एक लंबी सांस लेकर अपने पुराने दिन याद करने लगती है । और वो कमरे मे जाकर अपना चाय का कप लेकर यादो के गहरे समुंदर मे डूब जाती है । चाय की चुस्की लेते हुऐ उसकी नजर कमरे मे रखे पुराने और टूटे शीशे पर जाती है । वो उसमे खुद का अक्स देखकर जोर जोर से रोने लगती है । रोते रोते उसके हाथ से चाय का कप गिर जाता है । लेकिन उसका रोना बंद नही होता ।
पापा क्या कर दिए आपने ,,,मै तो यहां आने के बाद खुद को ही भूल गई हूं । अकेला लडका हो खुश रहोगी । पापा खुशी की उम्र बहुत छोटी थी ,,,,जल्दी एकसपायर हो गई। अब तो दूसरो को दिखाने के लिये खुश रहती हूं । वो रो रो कर बोले जा रही थी । मै क्या थी क्या हो गई। साडी जो कभी पहननी पसंद नही थी अब सुबह से शाम तक पहन कर रखनी पडती है । चूडी जो उलझन लगती थी अब पापा बेडियां बन गई है । अपनी मर्जी से कभी कुछ नही कर सकती । जिसे भूखे रहना बिल्कुल पसंद नही था आज वो निर्जला व्रत रखती है । अपने लिये नही पति और बच्चो के लिये । वो रो रही थी ,,,,तभी उसके फोन की घंटी बजी ,,,और उसका ध्यान टूटा । उसने फोन उठा कर देखा तो उसके पापा का फोन था । उसने जल्दी से अपने आंसू पौंछे और फोन रिसीव किया ।
हैलो पापा नमस्ते ,,,आप कैसे हो ।
मै अच्छा हूं और मेरी परी कैसी है ।
मै भी अच्छी हूं ।
क्या कर रही थी मेरी बच्ची ।
पुरानी नेहा से मुलाकात (अपने मे ही खोये हुऐ उसने जवाब दिया )
अच्छा ,,,,,,,तो अब इस नेहा को जाने मत देना ,,,,पुरानी नेहा आज की नेहा के साथ चाहिए मुझे ।
अपने पापा की बातो से उसका ध्यान टूटा और पापा क्या कह रहे हो ।
हां बेटा ,,,पता नही क्यों ,,,,लेकिन आज मुझे लगा मेरा दिल रो रहा है ,,और मैने तुझे फोन लगाया तो मुझे एहसास हुआ तू दुखी है । बेटा देखो घर के काम मे कोई तेरा हाथ नही बेटा सकता है ,,,वो तुझे खुद करने है । तो खुश भी तुझे कोई नही कर सकता ,,,वो भी तुझे खुद ही रहना है । जैसे शादी से पहले रहा करती थी। सुबह नहा धोकर पहले खुद को खुश करो और अगर तुम खुश रहोगी तो तुम्हारे साथ वाले भी खुश रहेंगे । बेटा समझाना मेरा काम है और समझना तुम्हारा । अच्छा चलो मै फोन रखता हूं । बाय बोलकर उन्होने फोन रख दिया। कुछ देर तक वो सोचती रही फिर उसने अगला फोन अपने पति सौरभ को लगाया ।
हैलो ,,,आप क्या कर रहे हो ।
मै ऑफिस मे क्या करूंगा ।
क्या मेरे साथ चाय पार्टी करोगे ।
क्या तुम मुझे डेट पर चलने का आग्रह कर रही हो ।
हां ऐसा ही कुछ समझ लो ।
खैरियत तो है मैडम।
हम्म मुझे आज एक दोस्त चाहिए,,,क्या आप आज मेरे दोस्त बनोगे । उसकी आवाज मे काफी उदासी लग रही थी जिसे उसके पति सौरभ ने भांप ली थी ।
ओहो मेरी जान क्या हुआ,,,,,ठीक हो ना ।
हम्म ठीक हूं ,,,आज चाय पीते पीते पुरानी नेहा से मुलाकात की ,,,तो लगा एक दोस्त होना चाहिए,,साथ मे चाय की चुस्की लेने वाला । तीन बजे बच्चे आ जायेंगे और अभी एक बजा है तो तुम और मै कुछ पल अपने लिये जी सकता है । अगर तुम्हे सही लगे तो नही तो कोई बात नही ।
( आजतक नेहा ने इस तरह बात नही की जबसे बच्चे हुऐ हो तबसे वो बच्चो मे बिजी हो गई और मै ऑफिस मे आज कुछ तो हुआ है ,,,,मुझे घर जाना चाहिए) (मेन मे सोचते हुऐ सौरभ)और अपने बॉस के पास जाकर आधे दिन की छुट्टी लेता है। और घर के लिये निकल पडता है ।
घर पहुंचता है । तो नेहा उसे पहले की तरह तैयार हुई मिलती है ।
क्या बात यार तुम तो आज वही पुरानी नेहा लग रही हो बस थोडी मोटी हो गई हो । नेहा शरमा कर सौरभ के गले लग जाती है ,,,और रोने लगती है ,,,,सौरभ भी उसे अपनी बांहो मे जकड लेता है ।
पगली अगर तुझे अकेलापन लगता है तो मुझसे बोल सकती है ना ,,,,तुझे मेरा समय चाहिए तो मुझे बोल । चल अब चुप हो जा और चाय कहां है। चाय पार्टी करनी है ।
हम्म बनाती हूं ,,,और मैने समोसे जलेबी ऑर्डर कर दिये थे आने वाला होगा । और फिर दोनो साथ मिलकर चाय पार्टी करते है और सौरभ नेहा की सभी बाते चुपचाप सुनता रहता है ।
कभी कभी एक औरत को पति से ज्यादा दोस्त की जरूरत होती है । और उसको समझना एक पति का ही फर्ज होता है ।
एक लडकी को ऐसा ही तो लाइफ पार्टनर चाहिए जो उसे समझे और वक्त पडने पर पति से दोस्त बन जाए ।
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