महाकाल और लेखक

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23 Jul '24
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जब पृथ्वी पर जीवन की शुरुआत हुई तो तीनों देवताओं ने अपने-अपने काम बांट लिये।
ब्रह्मा जी बोले कि वो मनुष्य को जन्म देंगे।
विष्णु जी ने कहा कि वो मनुष्य का पालन-पोषण करेंगे।

अब ये समस्या आई कि अगर इसी तरह जीवन चलता रहा तो इतने मनुष्य पृथ्वी पर समायेंगे कैसे? उनकी मृत्यु होना भी तो आवश्यक  है! इस काम के लिए सभी देवताओं ने अपने हाथ खडे कर दिए। 
तब सभी देवता भगवान शिव के पास गए और उन्होंने ये काम अपने हाथ में लिया। महाकाल का रूप बनाया और बोले मैं करूँगा इन मनुष्यों को मारने का काम।

इसीलिए महादेव से बढकर कोई नही। ये काम हर कोई नही कर सकता।
उदाहरण के लिए, छोटे-छोटे बच्चों की माँ मर जाती है और वो रोते रह जाते हैं, घर में बस पिता ही सहारा है और किसी दुर्घटना में वो चले गए, बूढे माँ-बाप का एकमात्र सहारा इस दुनियाँ से चला गया, पीछे से रो-रोकर पागल हो जाते हैं लोग।
अब इतना सब देखने के बाद भी महादेव इस काम को करते हैं, कितना मुश्किल है ये करना।

हम लेखक तो अपनी कहानी में ही किरदार को नही मार पाते। ब्रह्मा की तरह उसे बनाते हैं, विष्णु की तरह उनका विकास करते हैं लेकिन जब महाकाल बनने की बारी आती है तो हमारे हाथ-पैर फूल जाते हैं। बुरे लोगों को तो मारना आसान होता है लेकिन अच्छे लोगों को मारना बहुत मुश्किल।
लेकिन महाकाल तो सबको लेकर जाते हैं। शायद इसीलिए वो देवों में भी सबसे ऊपर हैं तभी तो उन्हें महादेव कहते हैं।🙏

कुछ लेखक बन भी जाते हैं महाकाल! जिनका दिल काफी मजबूत होता है, मार देते हैं अपनी कहानी के किरदारों को। सोचते तो हम भी हैं पर ये पाप कर नही पाते। 

जय महाकाल 

Category:Spirituality



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Written by Sanyogita