मुझे चाह नहीं कि आसमान में उड़ सकूँ
काबिल इतनी बनूँ की जमीं से जुड़ सकूँ
मेरे अरमान नहीं बुलन्दियों को छूने की
इतना सा ख्वाब अपनों के दिल में रहने की
इतना ना करूँ कुछ कि अभिमान आ जाए
यहीं हैं लक्ष्य लोगों के बीच सम्मान पा जाए
करुणा हो ह्रदय में ,ताकि सुख बाँट सकूँ
सहनशक्ति हो मन में ,तो दुःख काट सकूँ
जो जरूरतमंद हैं उनका करूँ सहयोग
अब इतना बनना हैं मुझे सुयोग्य
बस यहीं हैं मेरे अंतस मन की कल्पना
मानवता की सेवा ही एकमात्र सपना
उठो जागो और करो सपना साकार
तभी मिलेगा मन की कल्पना को आकार
बस यहीं हैं मेरे अंतस मन की कल्पना
मानवता की सेवा ही एकमात्र सपना
उठो जागो और करो सपना साकार
तभी मिलेगा मन की कल्पना को आकार
उठो जागो और करो सपना साकार
तभी मिलेगा मन की कल्पना को आकार
जागो जागो जागो जागो जागो
उठो जागो और करो सपना साकार
Nice to meet u
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