होली का दिन था ! शांतिवन निवास मे सुबह से ही चहल पहल हो रही थी ! शांतिवन निवास जिसमे नाम की भी शांति नही थी ! केशव जी , जो इस घर के मुखिया थे ,हमेशा की तरह वो अपनी आरामदायक कुर्सी पर बैठे अखबार पढ़ते हुए चाय की चुस्किया ले रहे थे !! वैसे वो तो बस नाम के मुखिया थे , पूरे घर मे हुकुमत तो उनकी पत्नी शोभना की चलती थी ! मजाल है उनकी मर्जी के बिना एक पत्ता भी इधर से उधर हो जाए !! शोभना एक तेज तरार और पुराने विचारो की महिला थी ! अपने आगे वो किसी की नही सुनती थी और उनके गुस्से से उनका पूरा परिवार वाखिफ़ था !
शोभना इस वक्त रसोई मे लगी हुई है ! होली का पर्व है तो खूब पकवान बन रहे है , उसके साथ उसकी बेटी कंचन भी हाथ बंटा रही है ! शोभना जल्दी जल्दी हाथ चला रही है और कंचन को अनेको हिदायते दे रही है कि ये काम ऐसे नही ऐसे होगा , ये यहां मत रखो , इसमे पहले ये डलेगा ये नही ....और भी ना जाने क्या क्या वो उसे सुनाती जा रही है !! कंचन भी अपनी मा की इस टोकने की आदत से बहुत परेशान थी पर हिम्मत नही थी उसकी कि कुछ कह सके !!
इतने मे उसका बेटा वहां आकर - मां मेरा लेपटाप नही मिल रहा , और ना मेरे कपडे प्रैस हुए है अभी ! और अभी तक ...अभी उसकी बात पूरी नही हुई थी कि तभी केशव भी वहा आ जाते है और शोभना की तरफ देखकर - कितना टाईम लगेगा अभी शोभना ...? मेरे दोस्त अभी आते ही होंगे और मुझे नाश्ता...इससे पहले की वो अपनी बात पूरी करते उससे पहले ही शोभना बोल उठती है - चार हाथ नही है मेरे , मैं भी सुबह से काम कर रही हू , इतनी जल्दी है तो अपना नाश्ता खुद बना लो ! कब से जान खा रहे है .. मेरा ये नही मिल रहा , वो नही मिल रहा ! ये नही हुआ वो नही हुआ ! समय लगता है रसोई बनाने मे ...बड बड करती हुई वो काम करने लगती है !
बाप बेटा मूंह लटकाकर वापस आकर अपनी अपनी जगह पर बैठ जाते है ! केशव धीरे से - अब महीनो महीनो बाद किचन मे कदम रखोगी तो यही होगा ! उसका बेटा सक्षम उसकी बात सुन लेता है और हंस पड़ता है !
उधर शोभना का गुस्से से बड़बडाना अभी भी चालू था ! असल मे ये गुस्सा किसी और का था जो आज सब पर बरस रहा था !! कुछ ही देर मे मेहमानो का आगमन शुरू हो जाता है ! सब लोग खुशी खुशी एक दूसरे को रंग लगा रहे थे , पकवानो का आँनद ले रहे थे ! शोभना भी अपनी सहेलियो के साथ थी और भी रंगो का आँनद ले रही थी ! हर काम के लिए कंचन को पुकारा जा रहा था ! कंचन पानी लाओ , कंचना ठंडाई लाओ , कंचन पकौडे लाओ , कंचन ये , कंचन वो ...!
वही इसी घर के दूसरे माले पर स्टोर रूम मे बैठी एक लड़की सब सुन रही थी , उसके कानो तक भी सबकी आवाजे पहुंच रही थी ! यूं तो हर रोज हर काम के लिए उसे ही पुकारा जाता था ! शोभना तो एक काम नही करती थी और कंचन की तो पढाई ही नही खत्म होती थी ! सफेद कलर की सूती साडी मे लिपटी लड़की कोई और नही इस घर की बहू थी जिसका नाम नैना था ! तीन साल पहले नैना और नितेश का विवाह हुआ था ! दोनो के घरवालो ने दोनो का रिश्ता पक्का किया था !
गुलाबी कलर की साडी , कमर तक लहराते बाल , नैनो मे काजल लगाए जब जब नैना नितेश के सामने आई तो पहली नज़र मे ही उसे नैना भा गई थी ! ऊपर से उसकी सादगी और मिलनसार स्वभाव का तो वो कायल हो गया था ! उसने झट से शादी के लिए हा कर दी और धूमधाम से दोनो का विवाह हो गया !! दुल्हन बनकर नैना शांतिवन आ गई और अपने अच्छे स्वभाव से उसने जल्दी ही सबका दिल जीत लिया सिवाए शोभना के ! नैना कितना भी अच्छा काम कर ले , कितना ही अच्छा खाना बना ले पर मजाल है जो शोभना कभी खुश हुई हो या कभी उसने नैना की तारिफ की हो !!
हा पर अगर कभी नैना से कोई गलती हो जाती तो वो नैना को जली कटी सुनाना नही भूलती !! नैना बिचारी कभी पलटकर जवाब़ नही देती ! जल्दी ही उसे शोभना का स्वभाव समझ मे आ गया था ! वैसे तो नितेश नैना से बहुत प्यार करता था पर अपनी मा के सामने उसकी जुबान नही खुलती थी ! यहां तक की अपनी मा की गलत बात का विरोध भी नही कर पाता था वो ! एक बार की थी उसने कोशिश नैना का पक्ष लेने की जब नैना की मा बहुत बीमार थी और वो अपने मायके जाना चाहती थी तब शोभना ने जाने के लिए साफ मना कर दिया था उस वक्त बडी हिम्मत करके नितेश ने अपना मूंह खोला था कि जाने दो उसे दो दिन मे आ जाएगी !
बस फिर क्या नाटक किया शोभना ने , और खूब बुरा भला कहा नैना को कि वो मेरे बेटे को भड़का रही है ! खाना पीना त्याग कर बैठ गई कि करो जो करना है , अब मेरी कौन है सुनने वाला ! घर का माहौल खराब होता देखकर नैना ने खुद ही जाने से मना कर दिया और नितेश से भी कह दिया कि वो आगे से कभी कुछ न बोले !! कितना तड़पी थी वो उस दिन , कितना रोई थी नितेश के गले लगकर !! उस वक्त नितेश को भी बहुत अफसोस हुआ था कि वो चाह कर भी नैना के लिए कुछ कर नही पा रहा , यहां तक कि वो अपनी पत्नी के लिए खुलकर कोई तोहफा नही ला सकता , मा की मर्जी के बिना उसे घूमाने नही ले जा सकता , उसकी पंसद का कुछ खाने का लाना हो तो वो भी मा से छिपा कर लाना पड़ता है और उसमे भी कभी शोभना को पता चल जाता तो वो बखेडा़ खडा़ कर देती !!
तब नैना ने ही उसे समझाया कि आपका प्यार ही काफी है मेरे लिए ! मुझे और कुछ नही चाहिए !! केशव भी नैना को बहुत स्नेह करता था ,अपनी बेटी ही मानता था उसे पर पत्नी के आगे मजबूर था !! कंचन और सक्षम भी भाभी भाभी कहकर उससे लिपटे रहते थे और शोभना से चोरी उसकी पंसद की चीजे उसे लाकर देते थे ! कुल मिलाकर नैना इन सब मे भी बहुत खुश थी ! कि शोभना ना सही बाकि परिवार तो उसे बहुत प्यार करता है और सबसे ज्यादा नितेश ...शोभना की जानकारी के बिना वो जितना हो सके उसकी इच्छाए पूरी करता था ! पर किस्मत को कुछ और ही मंजूर था ! शादी को बस एक साल ही हुआ था कि नितेश को एक मामूली बुखार आया जिसमे एक दवाई उसे रियेक्शन कर गई और वो कुछ ही दिनो मे इस दुनिया को अलविदा कह गया !
नैना पर तो जैसे दुखो का पहाड़ टूट गया था ! उसका तो सब कुछ नितेश ही था वही उसका साथ छोड़ गया ! वो तो सदमे मे चली गई थी ! नितेश के जाने के बाद तो शोभना ने नैना जा जीना और भी मुश्किल कर दिया ! उसकी जली कटी बाते और ताने अक्सर ही नैना को सुनने पड़ते !! नैना के मायके की हालत भी ज्यादा अच्छी नही थी , कि जो वो नैना को वापस ले जाते और फिर कंचन और सक्षम ने रोते हुए नैना से लिपटकर कहा कि भाभी हमारे भाई तो चले गए अब आप भी हमे छोड़ कर चली जाओगी , उस वक्त तीनो कितना रोए थे !!
नैना भी कहा आजाद हो पाई नितेश की यादो से , वो भी वही रह गई और धीरे ,धीरे शोभना के ताने सुन सुन कर वो बिल्कुल पत्थर हो गई थी ! अब तो उसने उसकी बातो को दिल से लगाकर रोना भी छोड़ दिया था ! क्योकि समझ गई थी वो कि चाहे वो कितना भी रो ले नितेश तो आएगा नही उसे चुप करवाने ! हालांकि कंचन और सक्षम जितना हो सके नैना का दिल लगाने की कोशिश करते पर शोभना को ये भी पंसद नही था ! उसने नैना पर बिल्कुल पांबदी लगा रखी थी !
वही केशव जिसने नैना को अपनी बेटी मान लिया था उसे चिंता होती थी उसकी कि अभी नैना की उम्र ही क्या है ? उसके आगे उसकी पूरी जिदंगी पडी़ है , जो अकेले नही काटी जा सकती ! वो ये भी समझ रहे थे कि आज जिस कंचन और सक्षम ने नैना को बांध रखा है यहां वो कल को अपने अपने परिवार मे बिजी हो जाएगे और नैना को भूल जाएगे ! कंचन शादी करके अपने घर चली जाएगी और सक्षम का भी अपना परिवार होगा ! वो भी आज है कल नही ऐसे मे नैना सब पर एक बोझ बन कर रह जाएगी या घर की नौकरानी !! जो कि शोभना ने उसे बना ही दिया था !!
बस यही सोच कर एक बार केशव ने शोभना से नैना की दूसरी शादी की बात की ये सोचकर कि एक औरत होने के नाते वो शायद नैना की तकलीफ को समझेगी पर शोभना ने साफ मना कर दिया ये कहकर कि हमारे यहां लड़कियो की दूसरी शादी नही होती ,उसे पूरी जिदंगी नितेश की विधवा बनकर जीना होगा ! बेपरवाही से बोलती है शोभना और फिर करवट बदल कर सो जाती है पर केशव को नींद नही आती !! वो समझ जाता है कि शोभना बहुत स्वार्थी हो गई है आखिर फ्री की नौकरानी जो मिली हुई है ! लेकिन केशव ने भी ठान लिया था कि वो अपने लिए तो चुप रह गया पर नैना के लिए चुप नही रहेगा !! वो उसके लिए एक अच्छा लड़का ढूंढ कर रहूंगा ! और जल्दी ही उसके मन की मुराद पूरी हो गई !
एक दिन किसी काम से शोभना और केशव कहीं गए हुए थे ! कंचन कालेज गई हुई थी ! घर पर बस नैना थी जो कि किचन मे खाना बना रही थी ! उसने सफेद कलर का सूट पहना हुआ था क्योकि शोभना ने उसे कोई रंग पहनने के लिए मना कर दिया था ! अपने लम्बे बालो की उसने चोटी बनाई हुई थी जो कि उसकी कमर तक आ रही थी ! ठीक उसी वक्त सक्षम अपने दोस्त के साथ घर पर आ गया जो कि उसके आफिस मे ही काम करता था ! दोनो कहीं जा रहे थे और घर के पास गाडी खराब हो गई इसलिए दोनो को घर आना पडा़ !!
वो दोनो अँदर आते है ! हाल मे कोई नज़र नही आता हा पर किचन से जरूर खिट पिट की आवाजे आ रही थी ! सक्षम को लगता है कि कंचन है रसोई मे वो उसे आवाज़ लगाते हुए - कंचन जरा दो गिलास पानी लाना !! इतना कहकर वो अपने दोस्त शुभम को बैठने का इशारा करता है और खुद फोन पर बात करते हुए दूसरी तरफ चला जाता है !!
तभी पानी के गिलास लिए , अपना दुप्पटा सम्भालती नैना किचन से बाहर आती है और टेबल पर पानी के गिलास रखते हुए - लीजीए !! उसकी आवाज सुनकर शुभम नजरे उठाकर उसकी तरफ देखता है और फिर देखता ही रह जाता है ! गरमी मे काम करने की वजह से उसका गोरा रंग लाल हो गया था , और माथे पर पसीने की बूंदे मोतियो की चमक रही थी ! शुभम तो उसकी सादगी देखकर हैरान रह गया था ! जहां वो एक टक उसकी तरफ देख रहा था वही नैना एक बार भी उसकी तरफ नही देखती वापस रसोई मे चली जाती है !!
वो तो चली गई और जाते जाते शुभम का दिल भी ले गई ! वो अभी भी वही देख रहा था और उसे नैना की तरफ इस तरह देखते हुए सक्षम उसे देख लेता है ! वो वापस उसके पास आकर बैठते हुए - ये मेरी भाभी है नैना !! ये सुनते ही शुभम और भी हैरान रह जाता है और सक्षम की तरफ देखता है जैसे पूछ रहा हो सच मे ??
अगले ही पल सक्षम नैना की सारी सच्चाई उसके सामने रख देता है ! नैना के बारे मे जानकर शुभम को बहुत दुख होता है ! लेकिन उसके दिल मे नैना के लिए जो फिलिंग आ गई थी वो कहीं ना कहीं और मजबूत हो गई थी !!
कुछ दिन आने बहाने से वो सक्षम के साथ घर आने लगा ! हालांकि कभी नैना की उससे कोई बात नही होती पर जितना वो नैना को देखता , जितना उसे समझता उतना ही नैना से प्यार कर बैठता ! सक्षम भी सब समझ रहा था और एक दिन तो उसने शुभम से कह दिया कि देख भाई - मै भी चाहता हू कि नैना भाभी का घर फिर से बस जाए , वो फिर से खुश रहने लगे लेकिन तू पहले अच्छे से सोच ले ऐसा ना हो कि बाद मे तुझे अपने फैसले पर अफसोस हो !! ये सुनकर शुभम अपने दिल की बात उससे कह देता है कि वो नैना से शादी करना चाहता है !
सक्षम ये बात केशव से करता है ! केशव तो पहले से नैना के लिए कोई अच्छा लड़का ढूंढ रहा था और शुभम को तो वो अच्छे से जानता था तो वो भी राजी था ! उसने ये बात शोभना को नही बताई और होली के दिन शुभम को अपने परिवार के साथ आने के लिए कहा !! अभी तक ये बात नैना को भी नही पता थी !!
और आज होली का ही दिन था ! मेहमानो का आना जाना शुरू हो गया था ! हर कोई कंचन कंचन पुकार रहा था !! वैसे तो सारे घर का काम नैना करती थी पर त्यौहार के दिन उसे नीचे आने की अनुमति नही थी , कि वो विधवा है उसका चेहरा नही दिखना चाहिए !!
नैना अपनी सोच मे गुम स्टोर रूम मे बैठी थी ! जहां उसे नीचे से आ रही आवाजे कम से कम सुनाई दे !
खैर ...दोपहर तक शुभम अपने मा पापा के साथ शांतिवन पहुंच जाता है ! शुभम के माता पिता नेक दिल और खुले विचारो के थे ! उन्हे नैना से कोई दिक्कत नही थी ! उनका कहना था कि जो कुछ भी हुआ उसमे नैना की क्या गलती है !
केशव जी सबका अच्छे से स्वागत करते है ! और इशारे से कंचन को ऊपर भेज देते है क्योकि उन्होने कंचन को पहले ही सब समझा दिया था ! लेकिन इन सब मे शोभना समझती है कि ये लोग कंचन के रिश्ते के लिए आए है ! और शुभम उसे भी पंसद था !!
चाय पानी का दौर चलता है ! और फिर शुभम के पापा केशव से - आप तो जानते है कि हम यहा क्यू आए है ! आप जरा बिटिया को ... इतने मे शोभना चहकते हुए - मैं अभी , पर केशव बीच मे ही उसे रोकते हुए - तुम रोको , अपनी बेटी को आज मैं खुद लेकर आऊँगा ! इतना कहकर वो ऊपर चला जाता है नैना को लेने के लिए !!
उधर कंचन नैना को उसके कमरे मे ले गई थी और जबरदस्ती उसे हल्के नीले कलर की साडी पहना दी थी और उसके बाल भी अच्छे से बना दिए थे ! गले मे मोतियो की माला पहना दी थी और आँखो मे हल्का काजल लगा दिया था !! बाकि वो बिल्कुल सिंपल थी ! नैना बार बार उससे सवाल कर रही थी कि ये सब क्या है और मां जी देखेगी तो ...कुछ नही कहेगी मां जी !! केशव अँदर आते हुए बोलता है ! उसको वहा देखकर नैना हैरान रह जाती है ! केशव अँदर आता है और कंचन को बाहर जाने का इशारा करता है !
इसके बाद वो नैना के पास जाता है और उसके सर पर हाथ रखते हुए - मैं तुमसे एक जरूरी बात करने आया हू बेटा ! मैं जानता हू कि अपनी आँखो के सामने गलत होते हुए देख कर भी चुप रहना बहुत गलत है जो कि मैं हमेशा करता आया हू !! लेकिन आज मैने एक पिता होने के नाते तेरे लिए एक फैसला लिया है ! और उम्मीद करता हू कि तू मेरे फैसले का मान रखेगी !!
क्या बात है पिताजी ? ऐसी क्या बात है जो आप ...! उसके सवाल सुनकर केशव उसे सारी बात बता देते है कि शुभम उसे बहुत पंसद करता है और उससे शादी करना चाहता है और मैं भी यही चाहता हू कि अपने जीते जी तेरा घर बसा दू , वरना ये पहाड जैसी जिदंगी तू अकेले कैसे काटेगी !! उनकी बात सुनकर नैना अपनी आसू भरी नज़रो से उसकी तरफ देखते हुए - पर पिताजी ..मैं ऐसे कैसे ? मुझसे नही होगा पिताजी , बिल्कुल नही होगा ये कहते हुए उसकी आँखो से आसू छलक जाते है !!
केशव उसकी हालत अच्छे से समझ रहा था ! उसको रोते हुए देखकर केशव की आँखे भी भर आती है ! पर ये वक्त नैना को सम्भालने का था ! केशव उसको चुप करवाते हुए - तू तो मेरी प्यारी और समझदार बेटी है ना , अपने पापा की बात नही मानेगी बेटा , शुभम बहुत अच्छा लड़का है , तुझे बहुत पंसद करता है ,तुझे बहुत खुश रखेगा ! वही नही उसका परिवार भी बहुत अच्छा है बच्चे ! अपने पापा की बात मान ले बेटा !! ये कहते हुए केशव भी रो पड़ता है !!
उसको रोते देख नैना एक बच्ची की तरह उसके सीने से लगते हुए - पर नितेश !! बस इतना ही बोल पाती है वो ! केशव उसे समझाते हुए - नितेश कहीं नही है बेटा , वो चला गया है और वो अब कभी वापस नही आएगा ! और यकीन कर मेरा कि नितेश भी यही चाहता होगा कि तू अपनी जिदंगी मे आगे बढ़ जाए !! तेरे सामने तेरी पूरी जिदंगी पडी है बेटा , जीते जी अपनी जिदंगी खराब मत कर ! शुभम से शादी कर ले बेटा और निकल जा इस नर्क से ! केशव उसे समझाते हुए बोलते है !!
नैना उसकी तरफ देखती है जो बडी आस भरी नज़रो से उसकी तरफ देख रहे थे ! पापा जी पर मां जी ....अरे तू छोड़ उसे , वो औरत कभी तेरा भला नही सोचेगी और जिस मा जी कि तू बात कर रही है ना , अगर नितेश की जगह तू चली गई होती तो कब की नितेश की दूसरी शादी कर चुकी होती तेरी मां जी ! अब तो सबके बारे मे सोचना छोड़ और अपने बारे मे सोच , बस बहुत रह लिया दूसरो के हिसाब से पर अब नही ! अभी तेरे पापा जी जिंदा है , मैॆ तेरे आगे हाथ जोड़ता हू बेटा , तोड़ दे ये बेडिया , छोड़ इस रिश्ते की डोर जो कबकी टूट चुकी है ...! और मेरी बात मान ले !!
केशव को अपने सामने हाथ जोडते हुए देखकर नैना एक दम से उसके हाथ पकड़ लेती है और उसके हाथ अपने माथे से लगा कर बेतहाशा रोने लगती है ! केशव समझ गया था कि नैना से अपनी सहमती दे दी है !!
नीचे शोभना मन मे - ये इतना टाईम क्यू लगा रहे है ? आखिर कर क्या रहे है ये ऊपर ?? वो अभी सोच ही रही थी कि तभी उसे सीढियो से उतरते हुए केशव और उसका हाथ थामे नैना उतरती हुई नैना नज़र आती है ! उसको रंग दार साडी मे देख कर , शोभना के तन बदन मे आग लग जाती है ! वो समझ जाती है कि केशव नैना की शादी करवा रहा है ! और उससे ये बात छिपाई गई है !!
वो एक दम से नैना पर गरजते हुए - ये सब क्या है ? और तेरी हिम्मत कैसे हुई रंगदार कपडे पहनने की ?? नैना तो उसका रूप देखकर ही घबरा जाती है !! केशव शोभना को आँखे दिखाते हुए - चुप रहो तुम !! इतना कहकर वो नैना का हाथ पकड़कर शुभम के बराबर खडा़ करते हुए - ये है मेरी बेटी नैना ! शुभम नैना की तरफ देखता है ! आज पहली बार उसने नैना का ये रूप देखा था वरना तो हमेशा उसे सफेद लिबास मे ही देखा था !! नैना को देखकर वो अपनी प्लके तक झपकाना भूल गया था ! और हमेशा की तरह नैना एक बार भी ,उसकी तरफ नही देखती ! शुभम की मा नैना के पास आती है और प्यार से उसका गाल थपथपाते हुए - बहुत प्यारी बच्ची है ! फिर वो शुभम की तरफ देखकर - मुझे तेरी पंसद पर नाज है बेटा , ये कहते हुए वो अपने खानदानी कंगन नैना के हाथो मे पहनाने लगती है !
लेकिन तभी शोभना अपनी रोबदार आवाज़ मे बोलती है - ठहरो ! ये क्या पाप करने जा रही है आप , अरे ये विधवा है ! मेरे बेटे को खा गई , ऐसी मनहूस लड़की को आप अपने घर की बहू बनाने चली है ! शोभना अपना जहर उगलतेे हुए बोलती है ! उसकी बातेे सुनकर एक बार फिर नैना की आँखो से आसू बह जाते है जिन्हे शुभम भी देख लेता है !!
शुभम की मा अल्पा शोभना का मूंह बंद करवाते हुए - पाप ये नही है बहन जी , पाप तो वो है जो आप कर रही है ! एक फूल सी बच्ची जिसकी कोई गलती भी नही है उसे आपने अपनी घटिया सोच की वजह से जीते जी मार डाला है ! ये पाप है , जिंदगी की तमाम खुशियो से इसे वंचित रखना ये पाप है ! आप अपना पाप और पुण्य अपने पास रखिए , ये कहते हुए वो नैना के हाथो मे अपने कंगन पहना देती है और एक दम से उसे अपने सीने से लगा लेती है !!
ये सब देखकर शोभना जलभून जाती है ! शरेआम उसकी हार हो रही थी ! उसकी बात को काटा जा रहा था ये उसे बिल्कुल बर्दाशत नही था ! अगले ही पल वो नैना पर घटिया इल्जाम लगाते हुए - आखिर दिखा ही दिया तूने अपना असली रंग , अरे हमारे सामने ही जब तूने इसको रिझा लिया तो हमारी पीठ पीछे तो रंग रलिया मनाती हो बदचलन कहीं की ...ये कहते हुए वो उसे थप्पड मारने लगती है पर केशव एक दम से उसका हाथ पकड़ लेता है और जोऱ से एक थप्पड़ शोभना के गाल पर मारता है और गुस्से से - काश ये थप्पड़ मैने तुझे पहले मारा होता ..! शोभना की नज़रे झुक जाती है क्योकि आज सबके सामने उसकी बेज्जती हुई थी !!
इसके बाद वो शुभम के आगे हाथ जोड़ते - मेरी बेटी मे कोई खोट नही है बेटा ..शुभम एक दम से उसके हाथ पकड़ते हुए - कैसी बात कर रहे है आप अँकल , आपको नैना जी के लिए सफाई देेने की कोई जरूरत नही है , मैॆ जानता हू इनको अच्छे तरीके से हा पर एक बात है कि मैं आज यहां नैना जी से अपना रिश्ता पक्का करने आया था पर कुछ लोगो की घटिया सोच देखकर मेैं एक पल के लिए भी नैना जी को यहां नही छोड़ सकता ...!! ये कहता हुआ वो मंदिर मे जाता है और माता रानी का सिदूंर अपनी मुट्ठी मे भरकर एक दम से नैना की मांग मे सजा देता है !! जिससे नैना के चेहरे पर , गले पर , उसके कपडो पर भी सिदूंर लग जाता है और वो पूरी लाल रंग मे रंग जाती है ! किसी को उम्मीद नही थी कि वो ऐसा भी कुछ कर सकता है !! नैना हैरानी से उसकी तरफ देखती है ! आज पहली बार उसने शुभम की तरफ देखा था ! नैना की आँखो मेे आसू थे जो़ शुभम के दिल पर गिर रहे थे ! शोभना की आँखो के सामने ये सब होता है और वो कुछ नही कर पाती !!
कुछ ही देर मे केशव एक पिता की तरह नैना को शुभम के साथ विदा कर देते है , या हम कह सकते है कि इस नर्क से आजाद करवा देते है !! शुभम का परिवार नैना को अपने साथ ले जाता है ! उनके जाते ही शोभना अपने पति पर बरसते हुए - कर ली अपने मन की , पड गया चैन तुम सबको !
बस मा बहुत हो गया अब हमने जो किया है बिल्कुल सही किया है ! ये तो हमे बहुत पहले ही कर देना चाहिए था पता नही क्यू हम पहले ये करने की हिम्मत नही जुटा पाए एक बात समझ लीजिए मा , अब आपकी मनमानी नही चलेगी ! इतना कहकर सक्षम वहा से चला जाता है !
अरे शर्म करो , एक औरत होकर दूसरी औरत का दर्द नही देख पाई ! कम से कम यही सोच लेती कि तुम भी किसी की लड़की हो , तुम्हारे साथ ये सब होता तो , आगे तुम्हारे भी एक बेटी है भगवान न करे कि उसके साथ ये सब .., धिकार है तुम पर छी ...केशव भी उसको दुत्कारते हुए वहा से चला जाता है !!
वही शुभम अपनी नैना को लेकर घर पहुंच गया था ! नैना के लिए ये नई जिदंगी , नया सफर , नए रिश्ते सब कुछ अलग था ! आसान तो नही था नैना के लिए ये सब ! घर मे बहू का स्वागत होता है और अल्पा उसको नई नवेली दुल्हन की तरह तैयार कर देती है ! पूरा दिन तो मेहमानो के आने मे और नई बहू को देखने के लिए आने वाले लोगो की आवभगत मे ही निकल जाता है और रात होती है !
रात का वक्त नैना अपने कमरे मे थी ! शुभम जिसके दोस्त उसे छोड़ ही नही रहे थे वो बडी मुश्किल से उनसे पीछा छुडवाकर आया था ! जैसे ही वो अँदर आता है तो उसकी नज़रे नैना पर ठहर जाती है ! नैना जो अपनी सोच मे गुम थी वो हड़बडा कर बिस्तर से उठ जाती है ! लाल साडी , कमर तक आते खुले लहराते बाल , आँखो मे गहरा काजल , मांग मे सिदूंर , होंठो पर लाल लिपस्टिक और चेहरे पर घबराहट और शर्म के भाव जिनमे वो बहुत खूबसूरत लग रही थी ! शुभम तो नजरे नही हटा पा रहा था अपनी ! बडी मुश्किल से वो खुद पर काबू पाता है और नैना के पास जाते हुए - अरे तुम खडी क्यू हो गई , बैठो प्लीज आराम से बैठो ये कहते हुए वो भी बिस्तर पर बैठ जाता है !
नैना भी सकुचाते हुए उससे कुछ दूरी पर बैठ जाती है ! शुभम अच्छे से समझ रहा था कि उसे पति के रूप मे अपनाने के लिए नैना को वक्त लगेगा और जो कि वो उसे देना भी चाहता था ! वो नही चाहता था कि नैना किसी दवाब मे आकर उसके साथ अपनी जिदंगी की शुरूवात करे !! आखिर वो ही बातो का सिलसिला शुरू करता है - कुछ अपने बारे मे बताओ नैना !! वो उसको सहज करते हुए बोलता है !
नैना धीरे से - सब तो आप जानते है मेरे बारे मे ! मैं इस नैना की बात नही कर रहा उस नैना की बात कर रहा हू जो बहुत पीछे छुट गई है ! ये कहते हुए वो आहिस्ता से उसके हाथ पर अपना हाथ रख देता है ! धीरे धीरे वो अपनी बातो से , अपनी अच्छाई से नैना को सहज करता है और नैना को पता ही नही चलता कि कब वो उसके साथ बात करने लगी और फिर एक वक्त ऐसा भी आया जब सिर्फ नैना बोल रही थी और शुभम मुस्कुराता हुआ उसे सुन रहा था !!
वक्त गुजरता गया और नैना अपनी जिदंगी शुभम के साथ खुशी खुशी बिताने लगी ! देखते देखते एक साल बीत गया ! आज एक साल बाद फिर से होली का दिन आया है !! लेकिन इस बार नैना उदास नही है , वो किसी कमरे मे छिप कर नही बैठी है , बल्कि वो चहकते हुए रसोई मे पकवान बना रही है , उसके साथ अल्पा भी है और दोनो सांस बहू की हसने की आवाजे पूरे घर मे गूंज रही है ! वही शुभम मौका ढूंढ रहा है नैना को रंग मे रंगने का ....
नैना जैसे ही काम से फ्री होकर बाहर आती है तभी शुभम उसका हाथ पकड़कर अपनी तरफ खींच लेता है और कमरे का दरवाजा बंद ! नैना उसे देखती है जो पूरा गुलाल से रंगा हुआ था ! उसे देखकर नैना के होंठो पर मुस्कुराहट बिखर जाती है !! अगले ही पल वो उसे कमर से पकड़कर अपने करीब करता है और उसके गाल से अपना गाल सटा देता है और धीरे धीरे उसे अपने रंग मे रंग देता है ! नैना उसके सीने से लग जाती है और दोनो समा जाते है एक दूसरे मे ! नैना की बेरंग जिदंगी ने शुभम ने अपने प्यार से , खुशियो के इतने रंग भर दिए कि आज नैना खुशी खुशी अपनी जिदंगी बिता रही है और वो पूरी तरह शुभम के रंग मे रंग चुकी है ..!
अगर आपको ये कहानी पंसद आए तो कमैंट मे जरूर बताए 😊🙏
समाप्त