विक्रम सम्वत के अनुसार, प्रत्येक वर्ष, भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से भगवान श्री गणेश की आराधना का पर्व, गणेशोत्सव प्रारम्भ होता है। वर्ष 2023 में यह दस दिन का उत्सव 18 सितम्बर से शुरू हो रहा है। भगवान श्रीगणेश को महादेव शंकर और देवी पार्वती का पुत्र माना जाता है, और प्रथम पूज्य के रूप में उनकी पूजा की जाती है। श्रीगणेश को बुद्धि का देवता माना जाता है, और विद्यार्थियों को गणेशजी की आराधना करने की सलाह अमूमन दी जाती है।
दस दिन चलने वाले इस महोत्सव को पूरे भारत देश में, और सबसे ज़्यादा महाराष्ट्र में बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। महाराष्ट्र में ही, लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक द्वारा इस उत्सव की शुरुआत की गई थी।
यह अक्सर देखा जाता है, कि विश्व की विभिन्न संस्कृतियों और सभ्यताओं में थोड़ी बहुत समानता होती ही है। वैसे भगवान गणेश का मूलतः सम्बन्ध तो हिन्दू धर्म और भारत से है, लेकिन विश्व के विभिन्न देशों में भी हम श्री गणेश को अलग-अलग रूप में देख सकते हैं। दुनिया के अलग-अलग कोनों में, अलग नाम और अलग स्वरुप में लोग श्री गणेश को पूजते हैं। और इन देशों में श्रीगणेश हिन्दू धर्म के नहीं, बल्कि उनकी स्वयं की स्थानीय मान्यताओं का प्रतिनिधित्व करते हैं।
इस लेख में हम उन्हीं देशों को जानेंगे जहां भगवान श्री गणेश की पूजा की जाती है, या उनसे जुडी कोई मान्यताएं उस स्थान में प्रचलित हैं।
तिब्बत में श्रीगणेश :-
तिब्बत प्राचीनकाल में त्रिविष्टप के नाम से जाना जाता था। आज तिब्बत बौद्ध धर्म बहुल है। गौतम बुद्ध की शिक्षाओं पर आधारित बौद्ध धर्म, समय के साथ-साथ विभिन्न शाखाओं में विभाजित हो गया। भारतीय बौद्ध भिक्षु गयाधारा द्वारा तिब्बत में बौद्ध धर्म का विस्तार किया गया।
गयाधारा द्वारा प्रचारित बौद्ध धर्म में गणेश पंथ का उल्लेख मिलता है। तिब्बत में भगवान गणेश को, समस्याओं एवं बाधाओं के विनाशक के रूप में पूजा जाता है। कुछ स्थानीय मान्यताओं में, गणेश को तांत्रिक देवता के रूप में भी माना जाता है।
तिब्बती बौद्ध धर्म में, गणेशजी के लाल रंग के स्वरुप को पूजा जाता है। उन्हें महारक्त के नाम से जाना जाता है।
इंडोनेशिया की मुद्रा पर गणेश की आकृति :-
इंडोनेशिया, भारत के दक्षिण पूर्व में हिन्द महासागर में स्थित, एक मुस्लिम बहुल राष्ट्र है। मुस्लिम बहुल होने के बावजूद यहां पर भारतीय सनातन संस्कृति की छाप स्पष्ट रूप से दिखती है। यहां के जावा और बाली द्वीप में हिन्दू संस्कृति के चिन्ह, एवं प्राचीन मंदिर देखे जा सकते हैं, एवं यहाँ की लोककथाओं एवं लोकनाट्यों में रामायण की कथाएं प्रदर्शित की जाती हैं।
इंडोनेशिया में भगवान श्री गणेश को शिक्षा और ज्ञान का प्रतीक माना जाता है। इंडोनेशिया के शैक्षणिक संस्थानों में भी भगवान श्री गणेश की मूर्तियां स्थापित हैं। इंडोनेशिया की मुद्रा में भगवान श्री गणेश की आकृति भी छपी हुई है। ये करेंसी नोट साल 1998 से प्रचलन में आये थे। उस वर्ष लोगों में शिक्षा का प्रचार करने हेतु, करेंसी नोटों की थीम शिक्षा पर आधारित थी। श्री गणेश को इंडोनेशिया में कला और शिक्षा से जोड़ा जाता है, इसलिए यहाँ के 20,000 के नोटों में श्रीगणेश की आकृति है।
जापान में कांगितेन गणेश :-
विश्व में अपनी अत्याधुनिक तकनीक के कारण प्रसिद्द देश, जापान में भी भगवान श्री गणेश की मूर्तियां मिलती हैं। जापान एक बौद्ध देश है। यहाँ की बौद्ध मान्यताएं, विभिन्न स्थानीय मान्यताओं से मिलकर बनी हुई हैं। यहाँ पर बौद्ध धर्म की वज्रयानी और महायानी परम्पराओं का प्रभुत्व दिखता है, जिसमें कई देवी-देवताओं की आराधना शामिल है।
जापान में भगवान श्रीगणेश को महान देव "शोशिन" और आनद के देवता "कांगितेन" के रूप में पूजा जाता है। कांगितेन देवता का स्वरुप यहाँ दो शरीर वाले व्यक्ति के तौर पर उल्लेखित किया जाता है। कंगीतें देव को आमतौर पर शुभ माना जाता है, परन्तु बौद्ध विनायक नाम से प्रचलित एक अन्य गणेश आकृति वाले देव को नकारात्मक दृष्टिकोण से दिखाया जाता है, और समस्याओं का निर्माता के रूप में जाना जाता है, जोकि सनातन मान्यता के एकदम विपरीत है, जहां गणेश को विघ्नहर्ता के रूप में पूजा जाता है।
थाईलैंड में गणेश :-
थाईलैंड में हिन्दू धर्म का बहुत प्रभाव दिखता है। इस देश का राष्ट्रीय ग्रन्थ रामकियेन, रामायण पर आधारित है। राजधानी बैंकाक को भारतीय धार्मिक तीर्थ अयोध्या की तर्ज पर अयुथ्या का जाता है, एवं यहाँ के शासक को रामा की उपाधि दी जाती है। थाईलैंड में भगवान श्रीगणेश को फ्ररा फिकानेत और फ्ररा फ़ीकानेसुअन कहा जाता है। थाईलैंड में शिक्षा, व्यापार एवं कला से श्रीगणेश को जोड़ा जाता है, और उन्हें भाग्य का देवता माना जाता है। थाईलैंड के ललित कला संस्थान के प्रतीक के रूप में श्रीगणेश की आकृति बनी हुई है। गणेश को समर्पित कई मंदिर थाईलैंड में बने हुए हैं। कई मीडिया संस्थान, बड़ी निर्माता कंपनियों में श्री गणेश की मूर्तियां स्थापित हैं।
देश के फ्रोंग अकाट मंदिर में गणेशजी की 49 मीटर ऊँची प्रतिमा स्थापित है, जिसमें श्री गणेश बैठे हुए हैं। ख्लोंग खुएन गणेश इंटरनेशनल पार्क में खड़ी मुद्रा में गणेशजी की 39 मीटर ऊँची प्रतिमा स्थापित हैं। ये प्रतिमाएं थाईलैंड की सबसे ऊँची गणेश प्रतिमाएं हैं।
श्रीलंका में भगवान श्रीगणेश :-
श्रीलंका का प्राचीनकाल से ही भारत के साथ गहरा सम्बन्ध रहा है। रामायण ग्रन्थ में खलनायक रावण को लंका का राजा बताया गया है। श्रीलंका के तमिल बहुल क्षेत्रों में भगवान गणेश को पिल्लयार के नाम से पूजा जाता है । भगवान पिल्लयार की मूर्तियों का निर्माण काले पत्थर से किया जाता है। श्रीलंका के प्राचीन बौद्ध मंदिरों में भी गणेश भगवान की मूर्तियां स्थापित हैं। श्रीलंकाई शहर कोलंबो के पास बहने वाली केलान्या नदी के तट पर स्थित बौद्ध मठों में श्रीगणेश की मूर्तियां देखी जा सकती हैं। इसके अलावा श्रीलंका में भगवान श्री गणेश को समर्पित 14 प्राचीनकालीन मंदिर स्थित हैं।
इन देशों के अलावा नेपाल में भी भगवान श्री गणेश की पूजा की जाती है। नेपाल भारत का पडोसी देश है, जो कई तरीके से भारत से समानता रखता है। नेपाल में महादेव शिव को समर्पित विश्व प्रसिद्ध पशुपतिनाथ मंदिर स्थित है। नेपाल में पहला गणेश मंदिर स्थापित करने का श्रेय मौर्य सम्राट अशोक की पुत्री को दिया जाता है। नेपाल के अलावा चीन के प्राचीन हिन्दू मंदिरों में भी भगवान श्री गणेश की आकृतियां दिखाई देती हैं।