अकेलापन
अकेलापन को कोई चुनता है,तो कोई मांगता है
कुछ अकेलेपन से दूर रहना चाहते है कुछ करीब
मगर कुछ लोग ऐसे भी होते है
जो ना अकेलेपन को चुनते है ना मांगते है ना दूर रहना चाहते है और ना ही करीब
कुछ लोगो को मिलता है बिना चाहे बिना मांगे
अब उस इंसान पर क्या गुजरती होगी इस अकेलेपन का बोझ ढोते हुए
कैसे संभालता होगा अपने आप को वो इस अनचाहे अकेलेपन के दर्द में
उसकी इस व्यथा को नही समझ सका आज तक कोई भी समझदार इंसान
सब उसको देते है ज्ञान
अगर तुम्हे मिले कोई ऐसा तो तुम ज्ञान
मत देना
तुम देना उसे सहारा तुम्हारा साथ तुम देना उसे तुम्हारा कांधा जिसपे की सिर रख कर दो पल सुकून के गुजर सके
तुम लगाना उसे अपने गले से की वो इस अनचाहे अकेलेपन का बोझ तुम्हारे गले लग के आंसुओ के सहारे बहा दे
तुम बनना उसके चहरे की असली मुकुराहट की वजह क्युकी झूठी मुस्कुराहट तो दुनिया के सामने दिखा ही रहा है
अगर तुम बन सको तो बनना उसके टूटी हुई हिम्मत को फिर से जुड़ने को वजह
Pawan✍
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