प्रिय मेरी मुस्कान अधर बन जाओ अगर तुम,
सुनो अगर तुम नाम तुम्हारा मैं रखता हूं सुनो अगर तुम,
और तुम भी मुझे बुलाती कह कर ‘सुनो' अगर तुम
तो कोई नाम ना हो अब से मेरा कहो अगर तुम,
सुनो अगर तुम।
चार दिवारी, एक छोटा कमरा, किचन और छत,
और छत पर छाया नीला अम्बर चाहो अगर तुम,
मैं वहीं कहीं रहता हूं देखो अगर तुम ।
मैंने कहा सुनो...छत पर पौधे लगाए हैं,
इनमें फूल खिल सकते हैं,
एक बार आजाओ अगर तुम,
मेरा निवेदन स्वीकार करो अगर तुम,
सुनो अगर तुम।
I am professional theatre actor and writer
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