कहावतों में जीवन सन्देश

ज़ब जागो तभी सवेरा

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04 Jul '24
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भारत की लोक भाषाओं में अनेक ऐसे प्रचलित शब्द होते हैं, जो कई भावों को अभिव्यक्त करते हुए एक अलग ही प्रकार का अर्थ प्रकट करते हैं। मुहावरों का प्रयोग किसी बड़ी बात को छोटे शब्दों में कहने का एक प्रकार है। मुहावरों के प्रयोग से भाषा अत्यंत आकर्षक एवं रोचक बन जाती है। जिस वाक्य में मुहावरों का प्रयोग होता है, वह प्रभाव छोडऩे वाली और व्यक्ति को आनंदित करने वाली बन जाती है। किसी भी लेखन में रुचि पैदा करने के लिए मुहावरों का प्रयोग करना अच्छा माना जाता है। मुहावरे किसी भी वाक्य को परिमार्जित करने का काम करते हैं। मुहावरे के बिना किसी भी वाक्य में भाव नहीं आ सकता। किसी भी वाक्य में भाव नहीं है या उसका अर्थ नहीं है, तो हिन्दी साहित्य की दृष्टि से उसे वाक्य की श्रेणी में नहीं लाया जा सकता।
आज के समय में लेखन बहुत हो रहा है, लेकिन वह लेखन ऐसा है, जो अपने आपमें एक अर्थ ही है, जिसका भावार्थ नहीं निकाला जा सकता, क्योंकि वह लेखन स्वयं में ही भावार्थ है। लेखन वही है जिसमें भाव की अभिव्यक्ति हो... अर्थ प्रधान हो। हम जब पढ़ते थे तो हिन्दी की पुस्तकों के अध्याय व्यापक दृष्टिकोण लिए हुए होते थे। जिनका भावार्थ भी पढ़ाया जाता था। कविताओं के अर्थ समझाए जाते थे।
अनुभवी लोग आज भी अपनी बातों में मुहावरों का प्रयोग करते हैं। हालांकि आज की पीढ़ी में मुहावरों का प्रचलन कम हो गया है, लेकिन ऐसा नहीं है कि मुहावरों का प्रयोग समाप्त हो गया है। नई पीढ़ी भी किसी का मजाक बनाने के लिए मुहावरों का प्रयोग करते देख जा सकती है। वह सूरज को दीपक दिखाने की चेष्टा करती है, लेकिन उसकी परिणति दिया तले अंधेरा वाली ही होती है। ऊंची दुकान फीके पकवान की तरह ही लगती है। मुहावरा एक ऐसा वाक्य होता है जो वाक्य की रचना करने पर अपना एक अलग अर्थ या विशेष अर्थ प्रकट करता है। इनका प्रयोग करने से भाषा, आकर्षक, प्रभावपूर्ण तथा रोचक बन जाती है। मुहावरा एक ऐसा वाक्य है, जो बहुत बड़ा आशय प्रकट करता है।
मुझे भली भांति स्मरण है कि मेरी माताजी हमेशा ही अपने बोलचाल में मुहावरों का प्रयोग करती हैं। ग्रामीण परिवेश से आने के कारण बहुत से मुहावरे उन्हें रटे थे। ऐसा लगता था कि माताजी बिना मुहावरों के अपना वाक्य पूरा भी नहीं कर पाते थीं।
हमने कहावतें बहुत सुनी होंगी, परन्तु हमने कभी यह नहीं सोचा कि उन कहावतों में कितना बड़ा सन्देश होता है। यह कहावत ऐसे ही नहीं बनी, इसमें हिंदी के विद्वानों ने अपने अनुभव को आधार बनाकर ही इन कहावतों का प्रयोग किया है। हमने एक कहावत अक्सर सुनी होगी, ज़ब जागो तभी सवेरा। यह कहावत कहने और सुनने में भले ही सामान्य जैसी लगती हो… लेकिन इस कहावत में जीवन का बहुत बड़ा सन्देश देता है। इस कहावत का सामान्यतः प्रयोग तब किया जाता है, ज़ब कोई व्यक्ति अँधेरी गलियों में भटक रहा हो और वह अचानक से अच्छे कार्य करने की दिशा में चल पड़े। 
 

Category:Literature



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Written by Suresh Hindusthani

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