जीवन है परिवर्तनशील

गीत

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04 Feb '25
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धर्म नित्य, सुख-दुख अनित्य है, जीवन है परिवर्तनशील।

अभय रहें जब तक जीवन है, पकड़े रहें ज्ञान की कील।।

 

सर्वभूतहित कर्म करें सब, रहें बढ़ाते सात्विक कोष।

प्रतिकूलता अगर आए तो, दें न विधाता को हम दोष।।

भला करें सारे समाज का, मग में बोएं नहीं करील।

अभय रहें जब तक जीवन है, पकड़े रहें ज्ञान की कील।।

 

त्याग फलाशा कर्म करें हम, इससे बड़ा न कोई ज्ञान।

सुख में, दुख में सदा सम रहें, मानें इनको एक समान।।

डाल गंदगी काम-क्रोध की, गंदी करें न मन की झील।

अभय रहें जब तक जीवन है, पकड़े रहें ज्ञान की कील।।

 

लोभ-मोह-मद-मत्सर आदिक, सब विकार जाएंगे छूट।

भाग अकिंचनता जाएगी, नाम रतन धन लें यदि लूट।।

झंझावातों  में  न  बुझेगी,  राम नाम वेष्ठित  कंदील।

अभय रहें जब तक जीवन है, पकड़े रहें ज्ञान की कील।।

 

युक्ताहार विहार न भूलें, करें बुजुर्गों का सम्मान।

भक्ति पंथ पर पांव पसारें, परहित करें निछावर जान।।

राम राम रट रहें लगाए, दें न कभी सुमिरन में ढील।

अभय रहें जब तक जीवन है, पकड़े रहें ज्ञान की कील।।

 

 @ महेश चन्द्र त्रिपाठी

Category:Poem



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Written by Mahesh Chandra Tripathi

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