दूर नशे से रहना सीखें

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31 May '24
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दूर नशे से रहना सीखें, तभी भला है, भाई !
नशा छोड़ने की तुमने क्यों, कसम न अब तक खायी?

सभी तरह का नशा बुरा है, हो चाहे वह जैसा।
इससे क्षति शरीर की होती, व्यय होता है पैसा।।
इसके चंगुल में फंसकर, लुट जाती पाई-पाई।
दूर नशे से रहना सीखें, तभी भला है, भाई!!

दूर रहें बीड़ी-सिगरेट से, मदिरा से मुंह फेरें।
साथ न जाएं मद्यपियों के, चाहे जितना घेरें।।
गांजा-चरस-भांग ने भी है, क्षति अकूत पहुंचाई।
दूर नशे से रहना सीखें, तभी भला है, भाई!!

चाय और काफी सीमा से, ज्यादा जो पीते हैं।
ऐसे नशेबाज  भी लम्बी, आयु नहीं जीते हैं।।
रोगों से लड़ने की क्षमता, घटती राई - राई।
दूर नशे से रहना सीखें, तभी भला है, भाई!!

तम्बाकू उत्पादों का जो , चर्वण करते रहते ।
कैंसर ग्रस लेता है उनको, चतुर चिकित्सक कहते।।
हैं कोकीन-अफीम आदि के, नशे बहुत दुखदाई।
दूर नशे से रहना सीखें, तभी भला है, भाई!!

हेरोइन-स्मैक आदि की, लत जिनको लग जाती।
लुट जाता है उनका सब कुछ, संतति ठोकर खाती।।
नशामुक्त परिवार धन्य है, पाता सुयश बड़ाई ।
दूर नशे से रहना सीखें, तभी भला है, भाई !!
_______________© महेशचन्द्रत्रिपाठी
 

Category:Poem



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Written by Mahesh Chandra Tripathi