लाजो,एक व्यथा
कहानी की शुरुआत होती है शहर से जहां पुलिस के सायरन के साथ ही आगे बढ़ती हुई जिप्सी जिसके सामने अचानक से राजवीर की ओपन जीप आती है जिसे देखकर पुलिस की जिप्सी रुक जाती है झुनझुना के इंस्पेक्टर कविता साले देखकर नहीं चला सकता क्या कविता से एकतरफा प्यार करने वाला राजवीर कहता है मैडम जी जिसके दिल पर लगी हो उसे शिवा दिलबर के कुछ नहीं दिखता, तब कविता कहती है साले किसी दिन तेरे को लॉकअप में ले जाकर इतना तोडूंगी कि तेरे प्यार का भूत उतर जाएगा । तब राजवीर कहता है मैडम जी हम तो दोस्ती भी दिल से निभाते हैं और दुश्मनी भी दिल से निभाते हैं। कविता अपने ड्राइवर पांडे जी को बोलती है चलो पांडे जी यह तो पागल हो गया और पुलिस जीप आगे बढ़ जाती है।
कट टू
शहर की गलियो में एक एसिड अटैक कर के पीछे भागते दो पुलिस वाले अचानक से एक गली के मुहाने पर कविता की जीप ऐसीड अटेकर के सामने आती है और कविता दरवाजा खोलकर उसको एक लात मारती है। गिरने के साथ ही एसिड अटैकर अल्ताफ हंसते हुए कविता को कहता है बस 2 दिन में बाहर आ जाऊंगा। तब कविता गाली देते हुए उससे कहती है कि बाहर तो तब आएगा ना जब साले तेरे को मैं अंदर डालूंगी और अगले पल ही पांडे जी से कहती है पांडे जी साले की पेंट में इतना तेजाब डालो कि फिर कभी किसी लड़की पर एसिड फेंकने से पहले 7 बार सोचे है । सुनते ही पांडे जीप से एसिड की बोतल निकालता है और अल्ताफ की तरफ बढ़ता है उसके साथ ही कविता जीप की ओर बढ़ती है और उसके बैठने के साथ ही अल्ताफ की एक दर्द भरी चीख गूंजती है।
कट टु
एक मुखबिर अपना फोन निकाल कर नंबर मिलाता हुआ, उसी के साथ थाने का फोन बजता है। फोन उठाकर कविता कान के लगाती है और अगले की बात सुनने लगती है उसी के साथ कविता कहती है कि साले अगर तेरी बात झूठी निकली ना तो फिर किसी को खबर देने के लायक नहीं रहेगा । और पांडे जी से कहती है पांडे जी जीप निकालो साला जब से पुलिस की नौकरी ज्वाइन की है चैन ही नहीं पड़ता और अगले ही पल पुलिस जीप शहर की सड़कें नापते हुए होटल के बाहर जाकर रुकती है उसी के साथ इंस्पेक्टर कविता और 2’3 सिपाही फटाफट उतरते हुए होटल के अंदर जाते है और 1 रूम का दरवाजा खटखटाते हे रूम के अंदर से लाजो के साथ ही बिजनेसमैन गुप्ता जी गलत काम करते हुए पकड़े जाते हैं पुलिसवाले उनको लेकर थाने आ जाते हैं जहां इंस्पेक्टर कविता गुप्ता जी को चांटा मारकर खूब खरी खोटी सुनाते हुए कहती है। कि तुम्हारे बेटी की उम्र की लड़की के साथ ये सब करते हुए तुम्हे शर्म नहीं आती इस उम्र में लोग भगवान की आराधना और अपने पोते पोतियों के साथ अपना समय बिताते हैं और तुम यहां गुलछर्रे उड़ा रहे हो डालो इसको अन्दर ताकि इसकी अकल ठिकाने आए !
उसके बाद इंस्पेक्टर कविता लाजो को 1 नज़र देखती है दुखी लाजो गर्दन झुकाये खड़ी है तभी इंस्पैक्टर कविता हवलदार सुमन से कहती है इसको अंदर लेकर आओ और सुमन उसको इंस्पेक्टर के केबिन में लेकर जाती है ! जहां इंस्पेक्टर कविता सुमन के सामने ही लाजो को पूछती हे तुम इस दलदल में कैसे आ गई ! और इस बूढ़े को कैसे जानती हो और ये सब कब से कर रही हो ! तुम्हें देख कर ऐसा नहीं लगता कि तुम ये सब शौक से कर रही हो हो न हो कोई तो मजबूरी हे !
ये सुनकर लाजो की आंखें भर आती है और 1 नज़र हवलदार सुमन की ओर देखकर ! मेरा भी सपना यही खांकी थी ! परन्तु हमारे गाँव में बेटियों को सपने देखने का अधिकार नहीं है वहां तो !
कट टु फ्लैश बेक स्टोरी !
फ्रेम में लाजो का गांव नजर आ रहा है। उसी के साथ लाजो का घर जहाँ चौक में खाट के ऊपर लाजो के पिता के साथ ही कुछ गाँव वाले बैठे हुए हैं तभी लाजो कपड़े का थैला खाक में दबाए स्कूल से घर आती हुई उसे देखकर 1 गाँववाला कहता हे ! बाकी सब तो ठीक है हरिराम पर तेरी छोरी स्कूल जाए यह बात हमारे नहीं जमी ! तुम तो अपने गाँव की परम्परा को जानते हों लडकीयों पढ़ाने का मतलब खुद के पैरों पर कुल्हाड़ी मारना ! मेरी नज़र में 1 बन्दा है तेरी छोरी के लाइक अच्छे पैसे मिल जायेंगे तेरी छोरी के !
और अगले ही दिन गाँव वाले के कहने पर मोहन और उसका 35 साल का बेटा बलराम हरिराम के यहां पहुंचते हैं और लाजो का सौदा तय करते हैं न चाहते हुए भी 50000 मे सरपंच के सामने लाजो का सौदा तय होता है और उन्हीं के साथ लाजो को भेज दिया जाता है रोते बिलखते लाजो बिना शादी के बलराम के घर आ जाती है उसकी पत्नी बनके सास ससुर की सेवा व बलराम का ख्याल रखने वाली लाजो किसी न किसी बात पर रोज ताने सुनती है और तानों में ही उसकी सास उसको कभी कभार कहती कि हम तुझे खरीद कर लाए हैं अब जल्दी से पोते का मुह दिखा दे ! पर ये सब लाजो के वश मे कहां था उसकी कोख से संतान पैदा होती नहीं और 1 दिन उसका पति उसको मारपीट कर उसके पिता के घर ले जाता है जहां भरी पंचायत में उस सौदे को कैंसिल करके अपने 50000₹ ब्याज सहित वापस लेता है कि तुम्हारी लड़की बाँझ है इसका मैं क्या करूंगा ! मजबूरन हरिराम को ₹ ब्याज सहित वापस लौटाने पड़ते हैं और बलराम ₹ लेकर अपने गांव चला जाता हे ! हरिराम के घर मे भी लाजो को कहां सुख मिलने वाला था यहां भी अब माँ बाप के ताने शुरू हो गए कि तुम्हारी वजह से हाथमे आई हुई रकम वापस चली गई तुम्हारी वजह से अब तुम्हारी छोटी बहन का सौदा कौन करेगा ! लाजो ना घर की रही ना घाट की और इन रोज के तानों से परेशान होकर वह रात को घर छोड़ देती है और चलते चलते हाईवे पर पहुँच जाती हे ! जहाँ ट्रक ड्राईवर रामू व उसके खलासी सूरजभान की नजर लाजो पर पड़ती है ! वो मदद के बहाने से लाजो को अपने ट्रक मे बिठाकर उसकी इज्जत लुट लेते हे ओर जाते जाते उसको एक ढाबे पर पटक जाते हे 100 ka not देकर ! चाहकर भी लाजो कुछ नही बोल पाती ! भूखी प्यासी लाजो अपनी मुट्ठी में बंद उस 100 के नोट को गौर से देखतीहे और खाने के लिए कुछ सामान लेकर एक तरफ जाकर बैठ जाती हे तभी वहां कार से महेन्द्र अपने कुछ दोस्तों के साथ ढाबे पर पहुंचता है और सिगरेट वगैरह लेकर पीने लगते हैं तभी उनकी नजर 1 तरफ बैठी लाजो पर पड़ती और मदद के बहाने से लाजो को अपनी कार मे बिठा लेते हे कि वो उसको शहर छोड़ देन्गे ! दुखी लाजो को इतना भी होश नहीं कि सामने वाले बंदे कि क्या नीयत है और वो चुपचाप उनकी कार में बैठ जाती है पहले 2 थे अब 4 फिर वही सब होता है बारी बारी से लाजो कि इज्जत के साथ खेलते हे ! लाजो बेहोश हो जाती हे ओर जब होश आता हे तो अपने आप को दलाल सोनु के सामने पाती हे जहाँ लाजो हिम्मत करके सोनु से पुछती हे ! मे यहाँ केसे आई तब सोनु कहता हे तुम आइ नहीँ कुछ लोग तो में 50000₹ में मुझे बेच कर गए हैं ! सुनते ही लाजो के पैरों तले से जमीन खिसक जाती उसकी आंखों से आंसू निकल पड़ते हैं तब सोनू कहता है ! इस बेरहम दुनिया में इन आंसुओं की कोई कीमत नहीं ! अगर किसी चिज कि किमत हे तो वो हे तुम्हारा ये बदन ! इसीलिए रोना धोना छोड़ो और आज से ही काम पर लग जाओ उसके बाद देख कैसे तुम्हारे सपने पूरे होते हैं ! और न चाहते हुए भी लाजो का पहला सौदा गुप्ता जी के साथ होता है ! ओर तभी पुलिस के पास मुखबिर का काल आता हे !
कट टु कन्टिन्यु
थाने मे अपनी कहानी सुनाती लाजो कहती हे आज मेरा पहला दिन था ओर आपने मुझे बचा लिया कहने के साथ ही रोने लगती हे ! ये देख सुमन भी उदास हो जाती है और अगले ही पल गुस्सा करते हुए इंस्पैक्टर कविता कहती है अगर कानुन कि बंदिश नही होती ना तो उन सब कुत्तों को एक लाईन मे खडा करके गोली से उडा देती ! उनको सजा अवश्य मिलेगी अब तुम क्या चाहती हो तुम कहो तो मैं तुम्हे तुम्हारे घर छुड़वा देती हूं ! और रही बात तुम्हारे उन गुनहगारों को सजा दिलाने की तो मैं तुमसे वादा करती हूं कि उनको सजा दिलाने का काम मेंरा है ! तब लाजो
कहती हे ! इससे होगा क्या मैं नहीं चाहती कि जो हालत मेरी हुई । वो मेरी छोटी बहन की ना हो हमारे गांव में आज तक बेटियों को सिर्फ और सिर्फ 1 मोल भाव की वस्तु समझा है उन्हीं गांववालों को मैं कुछ दिखाना चाहती हु अपने दम पर की बेटियां किसी से कम नहीं होती है !और उसके लिए मुझे मेरा वो सपना पूरा करना हे जो मैंने बचपन में देखा था ! और लाजो के उसी सपने को पूरा करने के लिए कविता उसकी मदद करती हैं उसको ट्रेनिंग देती हैं। ट्रेनिंग के दौरान ही कई बार कविता का सामना राजवीर से हो जाता है और उनके बीच नानू कर और कुछ बातें होती रहती है पर कविता हर बार राजवीर को इग्नोर करती है। और राजवीर उसे एक ही बात कहता है कि हम दोस्ती भी दिल से निभाते हैं और दुश्मनी भी दिल से। और अगले ही महीने पुलिस की भर्ती में लाजो का चयन होता है ! पुलिस की ड्रेस में लाजो अपने आप को शीशे के सामने निहारती हुई रोने लग जाती है तब कविता आगे बढकर उसे सिने से लगाती है ओर कहती हे अब क्या करना है तब लाजो कहती हैं कि अब मुझे अपने गाँव जाना है और कविता उसको लेकर गांव जाती है जहां सरपंच व लाजो के पिता उसकी छोटी बहन सुमन का बलराम के साथ सौदा करते हुए मिलते हे वहां लाजो को देख कर वो चौंक जाते हैं ! सुमन अपनी बड़ी बहन को पुलिस की वर्दी में देख कर फूले नहीं समाती और भाग कर उसके गले लगती है और कहती है दीदी मुझे बचा लो नही तो ये लोग मुझे बेच देंगें तब लाजो कहती हैं मेरी बहन ऐसा कुछ नहीं होगा जो मेरे साथ हुआ था वो अब किसी भी लडकी के साथ नही होगा अब यहाँ वही होगा जो मैं चाहूंगी । कविता और लाजो को खाकी ड्रेस में देख कर गांव का सरपंच गुस्से में आ जाता है और वह अपने बदमाशों को उन्हें मारने के लिए कहता है। कविता और लाजो बदमाशों का सामना करती है और आखिर में बदमाशों उन्हें पकड़कर बांध देते हैं। अब चाह कर भी कविता कुछ नहीं कर पाती तभी वहां राजवीर की फेमिन होती है यह कहते हुए कि हम दोस्ती भी दिल से निभाते हैं और दुश्मनी भी दिल से। और वह बंधी हुई कविता के पास जाकर अपनी जेब से एक गुलाब का फूल निकालता है और कविता की ओर बढ़ाकर क्यों तड़पा रही हो अब तो इसे स्वीकार कर लो तब कविता कहती है तू नहीं सुधरेगा, कविता राजवीर के प्रपोज का जवाब मुस्कुरा कर देती है तभी एक बदमाश पीछे से आगे राजवीर पर वार करता है। तब राजवीर उस बदमाश को मारते हुए कहता है साले जिंदगी में पहली बार प्यार हुआ और तू कहां से बीच में आ गया और यहीं से एक अच्छी फाइट सीक्वेंस उसके दौरान ही राजवीर कविता और लाजो के हाथ खोल देता है। और आखिर मैं सरपंच के आदमी मार खाकर बेहोश हो जाते हैं कुछ भाग जाते हैं तब राजवीर सरपंच को पकड़कर कविता और लाजो के सामने बिठा कर । तब लाजो के साथ हि कविता गांव वालों को समझाती है कि आपने बेटियों को हमेशा मोलभाव की वस्तु समझा अरे कभी अपने दिल पर हाथ रखकर ये क्यों नहीं सोचते कि बेटियां भी इन्सान होती है इनके भी सपने होते हे ज़रुरत है तो बस इनका साथ देने की और आज देखो आपकी बेटी ने अपने दम पर अपना सपना पूरा करके आपके पूरे गांव का नाम रोशन किया है कम से कम अब तो अपनी आँखें खोलो और बेटियों के महत्व को समझो बेटे कुल दीपक हो सकते हैं पर उस दिपक कि रोशनी तो बेटियां ही होती है !आप लोगो ने तो इसकी लाज को बेच दिया पर इसने आज पुरे गांव की लाज रखी हे ! कविता और लाजो की समझाइश का असर गाँव वालों पर होता है और वो उसी दिन कसम खाते हैं कि आज के बाद हमारे गाँव की किसी भी बेटी का सौदा नहीं होगा !आज के बाद गांव में वही होगा जो हमारी बेटी लाजो चाहेगी और उसी के साथ हंसी ख़ुशी लाजो के मां-बाप उसे गले लगा लेते हैं और अपनी गलती का प्रायश्चित करते हैं। उधर राजवीर कविता के पास जाकर एक और गुलाब का फूल निकालता है और उसे देते हुए हम दोस्ती भी दिल से निभाते हैं और दुश्मनी भी दिल से कविता राजवीर के गले लग जाती है कहानी अपने अंजाम को पहुंचती है !
जहाँ छोटी बहन सुमन कहती है दिदी, अब तो में भी आपकी तरहा ही बनके दिखाऊगी ।
समाप्त
Concept by Hanuman Singh @ writer.com
Karam pardhan kalam
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