Laaptaa Ladies

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29 Apr '24
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कुछ कहानियां और उसके किरदार इस दुनिया को सुंदर और जीने लायक बनाने के लिए गढ़े जाते हैं और जब इन कहानियों में स्त्री और पुरुष एक दूसरे के सम और पूरक हो जाएं तो दुनिया की जीवंतता और सौंदर्य की वास्तविकता दुगनी हो जाती है ।
कितना ज़रूरी है एक पुरुष का कोमल होना , उसमें थोड़ी और संवेदना होना । कितना जरूरी है एक पुरुष का खुलकर रोना और उसका प्रेम में होना । कितना जरूरी है ना ...शायद उतना ही जितना एक स्त्री का सशक्त होना , उसका खुलकर हंसना, उसमे थोड़ी और संवेदना होना । उतना ही  और शायद उससे अधिक जरूरी है एक स्त्री का सपने देखना और उसे पूरा करने की पूरी कोशिश करना  । उसका  आत्मनिर्भर और शिक्षित होना .....उतना ही जरूरी है और
जब ये सारे जरूरी दृश्य आंखों के सामने नजर आने लगे तो समझ लेना चाहिए कि ये दुनिया थोड़ी और आसान और सहज होने लगी है वैसे भी दुनियादारी आजतक किसे समझ में  आई है ...?

हां इन सब चीजों से एक बात ज़रूर पता चलती है कि मानवीय मूल्यों का कोई जेंडर नहीं होता बस उन मूल्यों का मानवीय जीवन में मौजूद रहना जरूरी है ।

सबसे कठिन होता है जीवन को लोगो के लिए आसान बना देना ...ऐसी कहानियां गढ़ना और उसे जीवंत बना देना इतना जीवंत और सरल की देखने वाला अपने आस पास के समाज को वैसा बना कर महसूस करने लगे ।

किरण राव के निर्देशन में बनी
ऐसी ही एक फिल्म है ...."Laaptaa Ladies" जिसकी लेखिका हैं स्नेहा देसाई ...मैं दिल से शुक्रिया कहूंगी इन्हें ऐसी कहानी बनाने के लिए ।

फिल्म की मुख्य किरदार दो ग्रामीण पृष्ठभूमि की लड़कियां , जिनकी शादी के बाद लंबा घूंघट डालने और ससुराल जाते समय ट्रेन में बहुत भीड़ होने के कारण खो जाने के बाद हुए संघर्ष को दिखाती है ।
फिल्म पूरी तरह अपने लिखे संवाद और भाव को उतारने में कामयाब हुई है ।
उसी स्टेशन पर एक छोटी सी दुकान लगाने वाली एक अधेड़ उम्र की औरत जो अकेले रहती है आत्मनिर्भर और बहुत सशक्त भूमिका में है... कहती है कि "इस देश की लड़की लोग के साथ हजारों सालों से एक फिराड (fraud) चल रहा है ...उका नाम है ..."भले घर की लड़की"
इन शब्दों से कहानी की दृढ़ता और गहराई का अंदाजा आप खुद लगा सकते हैं .... मैं अपने सभी लोगो को कहूंगी कि ये फिल्म जरूर देखनी चाहिए ..…

Category:Movies and TV Shows



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Written by Aishwary raj