मन का डर

वहम

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12 Jun '24
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अलका : अरे जल्दी करो, बस निकल जाएगी। ( नाश्ता कर रहे अपने बच्चों, नीलू या रोहन पर अलका झल्ला कर बोली )

स्कूल बस निकल जाने के डर से दोनों को लेकर जल्दी से घर से निकल जाती है।

हड़बड़ाते हुए वापिस आती है और किचिन में खाना बनाने जुट जाती है।

हर दिन हर घर में, हर  इंसान के मन में  ना जाने कितने डर चलते रहते हैं, बहुत बार ये डर हमें खुल कर जीने नही देते , सुकून छीन लेते हैं ।

समीर: यार जल्दी करो अलका...मुझे देर हो रही है ...नाश्ता दे दो जल्दी से 

लंच पैक कर दिया ना..?(अपना बैग उठाकर किचन की ओर तेज़ी से बढ़ते हुए बोला )  

(अपने से बड़बड़ करते हुए )यार कहीं आज फिर ट्रैफिक जाम ना मिले.…

समीर: जल्दी करो ना अलका !

अलका : इतना तूफान क्यूं मचा देते हो, सब हो गया है, वो देखो.. टेबल पर नाश्ता लगा दिया है और ये रहा लंच बॉक्स .. तुम्हें पता है ना पहले बच्चों को स्कूल भेजना पड़ता है मुझे... उनकी बस ना छूट जाए बस यही डर लगा रहता है, ऊपर से तुम, इतनी अफरा तफरी मचा देते हो,मेरे हाथ पैर फूल जाते हैं ।

समीर : ओह सॉरी , मैं क्या करूं यार मैं भी प्रेशर में होता हूं, रोड पर पता नहीं होता कब कहां ट्रैफिक जाम मिल जाएगा..?

अच्छा भला  घर से टाइम से निकल जाओ..लेकिन ट्रैफिक जाम में फंस जाओ तो टेंशन हो जाता है..कौन सुनेगा रोज़ बॉस की चिक चिक...बस इसलिए मैं थोड़ा टाइम लेकर चलता हूं ताकि समय पर ऑफिस पहुंच जाऊं  ।

समीर बात करते करते नाश्ता करता है, फिर प्यार से पत्नी के गाल पर थपकी देकर तेजी से निकल जाता है।

समीर : (कार में ट्रैफिक जाम से जूझता हुआ ऑन टाइम ऑफिस पहुंच कर अपनी सीट पर पहुंचता है और कुर्सी पर बैठकर आंखे बंद कर लेता है)

नताशा : क्या बात है ऑफिस आते ही थक गए क्या हुआ सब ठीक है ना घर में..?

समीर : हां घर में सब ठीक ठाक बस ,ये बिना वजह की एंजायटी.... यूं ही अपने दिमाग के डरो में उलझा हुआ था यार ... ( हस्ते हुए) घर से टाइम पर निकलने की टेंशन, रास्ते में ट्रैफिक जाम की टेंशन , ऑफिस पहुंच कर बॉस की फाइलों की टेंशन 

नताशा : चलो अब एक और टेंशन के लिए तैयार हो जाओ, मुझे पता है इसे सुनकर जबरदस्त एंजायटी होने वाली है तुम्हे ( हंसते हुए)

समीर : अब क्या हुआ , ये बॉस मेरी जान लेकर छोड़ेगा, (लंबी सांस छोड़ते हुए) नताशा, जल्दी बताओ क्या बात है..?

नताशा : अरे काम डाउन , बॉस ने तुम्हारा और मनीष दोनों का नाम सझेस्ट किया है परमोशन के लिए, अब वोटिग होगी, जो जीतेगा वो नया मैनेजर बनेगा ।

समीर : क्या..? (झल्लाते हुए)  एक पार्मोशन... और इतनी टेंशन 

नताशा : इतनी टेंशन मत लो , चियर अप,प्रमोशन तुम्हें ही मिलेगा बस पार्टी की तैयारी कर लो ।

समीर : (नताशा के जाने के बाद गहरी सोच में) पता नहीं यार मुझे प्रमोशन मिलेगा या नहीं , और चलो मिल भी गया तो यह सब पार्टी मांगेंगे इन्हें पार्टी कैसे दूंगा..?

ये तो एक नई परेशानी खड़ी हो गई ।

अलका से पार्टी के लिए पैसे ले नहीं सकता(वह जानता था अलका मिडिल क्लास परिवार की साधारण सी मानसिकता वाली औरत है जो दिखावे और पार्टी वगैरा से दूर ही रहती है। इसलिए समीर ने भी उसको अपने ऑफिस के एडवांस एटमॉस्फेयर के बारे में बताने की जरूरत नहीं समझी )

आज अगर उसका प्रमोशन हो जाता है और ऑफिस के लोगों को उसे पार्टी देनी पड़ती है तो यह उसके लिए चिंता का विषय था) 

समीर :  मेरे पास पर्सनल सेविंग्स है नहीं इससे अच्छा है, ये प्रमोशन मनीष को ही मिल जाए.. नहीं चाहिए मुझे प्रमोशन( यह कहकर लंबी सांस ली और फाइल में खो गया)

(ऑफिस के फर्स्ट हाफ में सभी लोग अपने-अपने काम में व्यस्त हो गए लंच के बाद पता चला की समीर का नाम प्रमोशन के लिए सिलेक्ट हो गया है)

  स्टाफ के सभी मेंबर से एक-एक करके समीर को शुभकामनाएं देने के लिए आने लगे और पार्टी के डिमांड शुरू हो गई.. समीर, मन में खुश होने की बजाय चिंता लगातार सर उठा रही थी

समीर:....अब क्या होगा...?  अरे दोस्त परमोशन की पार्टी मांग रहे हैं...बीवी को बिना बताए खर्चा कैसे एडजस्ट करूंगा...?

समीर :अरे खर्चा तो फिर एडजस्ट कर लेगा...लेकिन जो पार्टी में दारू पिएगा...उसकी परमिशन बीवी से कैसे लेगा...(ये डर तो उस के सिर चढ़ कर नाचने लगा)

इसी जद्दोजहद में घर पहुंच कर…

अलका : क्या हुआ आज बहुत थके थके से नजर आ रहे हो चेहरा क्यों बुझा हुआ है इतना..?

समीर : नहीं कुछ नहीं वह आज मेरी प्रमोशन हो गई 

अलका : अरे प्रमोशन हो गई थी तो खुशी की बात है ना तुम इतनी अपसेट से क्यों हो इतने बजे मुझे क्या कोई और कारण है..?

समीर : नहीं..? बस वह थोड़ी टेंशन में था ऑफिस के कॉलीग सब पार्टी मांग रहे हैं 

अलका : अरे खुशी की बात है पार्टी तो वह लोग मांगेंगे ही तुम इतना परेशान क्यों हो तुम्हारे पास पार्टी के लिए पैसे नहीं है तो मैं दे दूंगी मेरे पास कुछ सेविंग्स है तुम बस चिंता मत करो

समीर : थैंक यू अलका तुम बहुत अच्छी हो,( यह बोलकर समीर सोने की कोशिश करने लगा लेकिन वर्ल्ड का के सामने यह बात नहीं रख पाया कि उसके हाई प्रोफाइल ऑफिस में पार्टी का मतलब होता है कॉकटेल पार्टी अभी उसने इस बात को छिपा लेना ही बेहतर समझा )

समीर : अच्छा सुनो अलका आज ऑफिस में मेरी प्रमोशन पार्टी है मैं रात को थोड़ा लेट आऊंगा तो तुम सो जाना मैं एक्स्ट्रा की लेकर जा रहा हूं मैं घर आ जाऊंगा तुम परेशान मत होना ।

अलका : ठीक है अपना ध्यान रखना ।

ऑफिस के बाद  पार्टी शुरू हो गई सभी ने खूब इंजॉय किया दो-दो तीन दिन पैक लगाने के बाद सभी खुलकर डांस का मजा ले रहे थे अपने सहकर्मी नताशा की डांस करते देख, समीर भी उसके साथ डांस करने लगा...थोड़ी ही देर मे उन दोनों की कॉर्डिनेशन और डांस स्टेप का मज़ा पूरा स्टाफ लेने लगा, दोनों का कपल डांस ने सबको जैसे सम्मोहित ही कर लिया, दोनों की धड़ाधड़ फोटो और वीडियोस  बनने लगी )

समीर का नशा तब हिरण हुआ जब नताशा डांस करते हुए उसके गले लग गई )

समीर : अरे नताशा संभालो खुद को..चलो खाना खाते हैं सब ने मिलकर खाना खाया लेकिन समीर के मन में अनजाने से दर लगातार चल रहे थे वह काफी नशे में था...अब...सबसे बड़ा डर...दारू पी के घर कैसे जाऊं...बीवी का चेहरा याद करके कालेजा मुंह को आ रहा है.. डर  की वजह ..सिर्फ दारू ही नहीं थी .. पार्टी में नताशा के काफी करीब आ गया था और उसकी वीडियो या कुछ तस्वीरें ऑफिस कॉलीगौ ने आपके पास धरोहर की तरह रख ली थी ...जो कभी भी उसे ब्लैकमेल कर सकता थे ।

ऑफिस की गाड़ी में किसी तरह घर भी पहुंच गया...अलका जागी हुई थी और बूक पढ़ रही थी... उस ने उसे नशे में देखा मगर कुछ  नहीं कहा... समीर कपड़े बदलकर बिस्तर पर लेता तो उसने भी लाइट बंद कर दी और सोने का प्रयास करने लगी ।

समीर :( मन ही मन मन ही मन बहुत बताते हुए)...हे भगवान इसने कुछ कहा क्यों नहीं.....क्या चल रहा है इसके मन में.....शायद सुबह होश में आने पर मुझसे झगड़ा करेगी।  ..!

इसी उठे पटक में  नशे से चूर दिमाग कब नींद की गिरफ़्त में आ गया पता ही नहीं चला.....!  फिर सुबह हुई.....आंखें खोल मेने घर का.. अपने हालात का जाएजा लिया..…

अलका रोज की तरह अपने छोटे-छोटे डरो में कसमसाती, हदबाती हुई बच्चों को समय से स्कूल बस तक पहुंचाने का भरसक प्रयास कर  रही थी...ये रोज़ होता है......!  पर समीर का असली डर तो कल रात की पार्टी या उसमें ली गई वो तस्वीरें थी..अपने ही मन से उलझते हुए मैं भी ऑफिस  के लिए तैयार होने लगा ।

अलका : कैसी रही तुम्हारी पार्टी"...बच्चों को स्कूल बस में  बिठा कर अलका ने घर में घुसे ही...अपना पहला वार किया।  "

समीर :अच्छी थी...(नज़रें बचाते हुए  जवाब दिया) अलका : आपने मुझे कभी बताया क्यूं नहीं ...? अलका झूठ-मुठ की नाराजगी जताते हुए बोली 

समीर : क्या नहीं बताया..?( डर से हकलाते हुए)

अलका : अरे यही कि आप तो बड़ा अच्छा डांस करते हो...सच मुझे तो पता नहीं था...."अलका खुश होते हूए बोली

समीर :अपने मन के डर पे काबू करते हुए.. क्या मतलब..कोन  सा डांस...?

समीर ने अलका के चेहरे पर गुस्से के लकीरों को खोजते हुए  उसके चेहरे की और देखा।

अलका खुशी जाहिर करते हुए..."वही डांस जो आपने कल की पार्टी में अपनी सहकर्मी....नताशा  के साथ किया". अलका के चेहरे पर ख़ुशी और  हैरानी के मिलेजुले भाव थे.

समीर की घबराहट और परेशानी चर्मसीमा पर थी 

समीर : मन ही मन इसे ये सब किसने बताया यार..?

(समीर के दिमाग में ये प्रश्न हथोड़े  कि तरह बज रहा था)

समीर : तुम्हें कैसे पता मैंने किसके साथ डांस किया था...? उसने हिचकते हुए पूछा अलका से...!

अलका : क्या आपने वो वीडियो  नहीं देखी... जो आपके फोन में  सैंड की है आपके दोस्त ने... कल रात की पार्टी की वीडियो है...उसी में देखा  मैने..अलका ने बात क्लियर की.

समीर : (हैरानी से)..मेरे फोन में...? और  झट से फोन उठाकर चेक करने लगा कि किस  वीडियो की बात कर रही है अलका)

पूरे 2 मिनट तक फोन में आंखे  गड़ाए वो अपना और  नताशा का डांस देखता रहा...वीडियो के अंत में नताशा समीर के  गले लग गई।

समीर ने घबराकर  अलका की ओर  नजर घुमाई...जो अभी भी मुस्कुराये हुए मोबाइल को ही देख रही थी ।

अलका : ओय होय क्या बात है आपने मुझे कभी बताया ही नहीं...कि आप  इतने अच्छे डांसर है... कि किसी को भी अपना फैन बना लो ..अलका ने उसकी तारीफ की 

समीर : अलका तुम्हें बुरा नहीं लगा मेरा यूं शराब पीकर किसी और लड़की के साथ डांस करना" अपने मन के डर पर काबू करते हुए समीर ने सवाल किया।  

अलका : कैसी बात करते हैं आप.. मैं नैरो माइंडेड नहीं हूं..माना मैं एक मध्यम वर्ग के परिवार से बिलॉन्ग करती हूं और बहुत फैशनेबल भी नहीं हूं लेकिन आजकल के एडवांस माहौल को खूब समझती हूं..आजकल तो ये सब कॉमन हो गया है..और फिर पार्टी में नाच गाना तो होता ही है.. और सबसे बड़ी बात ये है ...कि मुझे आप पर पूरा भरोसा है...तो फिर  बुरा लगने का तो सवाल ही पैदा नहीं होता... लेकिन हां...बड़े छुपे रुस्तम निकले आप.. कितनी क्वालिटी छुपा रखी हैं अपने भीतर... जिसका इतने सालों  साथ रहने के बाद भी, मुझे आज तक पता नहीं चला ।

अच्छा है वीडियो ये मुझ तक पहुंचा वरना मैं तो जान ही नहीं पाती कि बाहर से सीधा-साधा लगने वाला मेरा पति अंदर से एकदम झकास हीरो है।

समीर के चेहरे पर जो हवाइयां उड़ रही थी.. अलका की बातों से वो धीरे धीरे गायब हो गई उसने धीरे से आगे बढ़कर अलका को उसे गले लगा लिया... वो सोच रहा था वो कितना बेवकूफ था जो इतना भरोसा करने वाली बीवी के प्यार को भी ठीक से समझ नहीं पाया

समीर : तुम जैसी समझदार पत्नी को पाकर मेरे दिल को बहुत सुकून मिला है... वरना जीवन के कितने ही बहुमूल्या पल मैंने मन के अनजाने डर के आगे गवां दिए... आज तुम्हारे प्यार और भरोसे ने मेरे उस  मन के डर से हमेशा के लिए छुटकार दिला दिया..( समीर ने प्यार से अलका को गले लगा लिया ।

लेखिका 

रोज़ सैनी 

@Rose

 

 

Category:Stories



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Written by ROSE SAINI

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