जाग जरा ऐ जिंदगी

जाग जरा ऐ जिंदगी

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26 May '24
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जाग जरा ऐ जिंदगी, अभी कुछ काम बाकी है
अभी तेरा कुछ नाम बाकी है, तो कुछ बदनाम बाकी है
अभी कुछ दर्द बाकी है, तो कुछ हमदर्द बाकी है
अभी तेरी जिंदगी का, कुछ अंजाम बाकी है
जाग जरा ऐ जिंदगी................................
अभी कुछ आस बाकी है, अभी कुछ पास बाकी है
अभी कुछ ख़ास बाकी है, अभी तेरी प्यास बाकी है
अभी तेरी जिंदगी का, वो खाली जाम बाकी है
जाग जरा ऐ जिंदगी................................
अभी वो रात बाकी है, इक मुलाकात बाकी है
अभी राहत भी बाकी है, तेरी चाहत भी बाकी है
अभी तेरी गर्दिशों का भी तुझको, कुछ ईनाम बाकी है
जाग जरा ऐ जिंदगी...............................
अभी वादा भी बाकी है, तो कुछ इरादा भी बाकी है
अभी कस्में भी बाकी है, तो कुछ रस्में भी बाकी हैँ
अभी तेरी बेरुखी पर, वो कत्लेआम बाकी है
जाग जरा ऐ जिंदगी...............................
अभी गाना भी बाकी है, और बजाना भी बाकी है
अभी हँसना भी बाकी है, तो अभी रोना भी बाकी है
अभी तेरी रुखसती का वो चर्चा, शहर में आम बाकी है
जाग जरा ऐ जिंदगी अभी कुछ काम बाकी है 

Category:Poem



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Written by Pandit sanjay sharma aakrosh

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