Ishq

इश्क के मुद्दे

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14 Jun '24
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तेरे इश्क़ में हो जायूं  फना बता तो आख़िर आना है कहां 

बो रास्ते बो गालियां  अब  तक नही भूली जलवा मेरा जिन गलियों में मै वर्षों तक रहा हूं   खड़ा तेरे इंतज़ार में 

तू क्यों फिक्र करती है   मेरी  कोइ मां का लाल पकड़ सका है अब तक जो अब मिलने से रोकेगा हमे 

लोगों ने  इश्क   को  बेवजह ही गालियां दीं  है हज़ार  अरे नदानों  तुम्हें पता है क्या बेशुमार मुर्दा दिलों को जिंदा किया है इश्क ने 

वीरान बस्तियों की दुआ लगती है इश्क को अरे जमाने वालों   ज़रा सोचा करो जब तुम  सताते हो इश्क़ मोहब्बत करने वालों को तो बेचारे और जाकर   बैठें कहां

बिखरी पड़ी थी उम्मीदें जमाने   की 

इश्क़ ने आकर  हाल रोशन कर दिया 

दिलों का

Ip  ki Kalam se 

Category:Poetry



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Written by IMRAN AHMAD

Master of arts Imran sir

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