लुटा के जान अपनी वे
देश पे बलिदान हो गये।
मेरे भारत के फौजी
इक नई पहचान हो गये।
काश्मीर की सरहद पर
खड़े रहे वो सीना ताने।
बर्फ की ठंडी हवा में
गाते रहे नये तराने।
करके वादा घर आए
छुट्टी आएंगे होली पे।
किन्तु खबर नहीं उनको
नाम लिख गया गोली पे।
हम भी बड़े हो एक दिन
भर्ती होंगे निज फौज में
कर सुरक्षा सीमाओं की
देश को रखेंगे मौज में।
भूल न जाना वीरों को
कसम आज ये उठानी है।
स्वर्ण अक्षरों में लिखनी
उनकी हमको कहानी है।
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