जीवन में गुरु का महत्त्व

गुरु पूर्णिमा पर विशेष

ProfileImg
20 Jul '24
6 min read


image

जीवन में गुरु का महत्त्व अत्यंत महत्वपूर्ण और अनिवार्य है। गुरु केवल शिक्षक ही नहीं होते, बल्कि वे हमारे जीवन को दिशा देते हैं, मार्गदर्शन करते हैं और हमारी आत्मा को निर्मल  करते हैं। हमारे जीवन में आने वाली कठिन परिस्थतिया से सामना करने की कला सिखाते है | भारतीय संस्कृति में गुरु को भगवान माना गया है। 'गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु गुरुर्देवो महेश्वरः। गुरु साक्षात् परब्रह्म तस्मै श्रीगुरवे नमः।' इस श्लोक के माध्यम से गुरु की महिमा का वर्णन किया गया है। इस लेख में हम जीवन में गुरु के महत्त्व को विभिन्न पहलुओं से समझने का प्रयास करेंगे।

1. गुरु का अर्थ और महत्त्व

गुरु शब्द संस्कृत के 'गु' और 'रु' धातुओं से मिलकर बना है, जिसमें 'गु' का अर्थ होता है अज्ञानता और 'रु' का अर्थ होता है उसका नाश करने वाला। अर्थात्, गुरु वह है जो अज्ञानता का नाश कर ज्ञान का प्रकाश फैलाता है।  अंधकार से प्रकाश की और ले जाता है |   गुरु जीवन में सही और गलत का भेद बताते हैं, सच्चाई और ईमानदारी का मार्ग दिखाते हैं, और हमें आत्मा के सत्य स्वरूप से परिचित कराते हैं। हमारे जीवन में गुरु का विशेस महत्त्व है | गुरु की एक सिख से जीवन बदल जाता है | भारत भूमि पर साक्षत योगेश्वर भगवन श्री कृष्ण ने अवतार ले कर जीवन जीने के लिए गुरु संदीपनी  से सिक्षा प्राप्त की तथा 64 कलाओ का ज्ञान प्राप्त किया |मर्यादा पुर्शोतम भगवन श्री राम ने विश्वामित्र जी के आश्रम में रह कर गुरु के सानिध्य में सभी विधाए सीखी | बिना गुरु के जीवन में प्रकाश नहीं फेल सकता अत बिना गुरु के जीवन में हम कुछ नहीं कर सकते | माता पिता के बाद जीवन में गुरु का महत्त्व अधिक होता है | गुरु के बिना जीवन अधुरा होता है जेसे बिना जल के मछली |

,

2. गुरु की भूमिका

2.1. शिक्षा में गुरु का योगदान

प्राचीन गुरुकुल प्रणाली से लेकर आधुनिक शिक्षा व्यवस्था तक, गुरु हमेशा ही ज्ञान के स्रोत रहे हैं। वे न केवल शैक्षणिक ज्ञान देते हैं, बल्कि नैतिक और सामाजिक मूल्यों की शिक्षा भी प्रदान करते हैं। एक अच्छा गुरु विद्यार्थियों में सोचने की क्षमता, समस्या सुलझाने का ज्ञान और आत्मविश्वास को विकसित करता है। 

2.2. आध्यात्मिक मार्गदर्शन

आध्यात्मिक जीवन में गुरु का स्थान सर्वोपरि है। वे शिष्य को ध्यान, योग और साधना के माध्यम से आत्मज्ञान प्राप्त करने में सहायता करते हैं। संत कबीर, गुरु नानक, स्वामी विवेकानंद जैसे महान गुरुओं ने समाज को सही राह  दिखाने का कार्य किया है। वे हमें आत्म-साक्षात्कार और मोक्ष की ओर ले जाते हैं।

2.3. व्यक्तिगत विकास में

गुरु जीवन के विभिन्न पहलुओं में मार्गदर्शन करते हैं। वे हमें कठिनाइयों का सामना करने की शक्ति और हिम्मत प्रदान करते  हैं। वे हमारे आत्मविश्वास को बढ़ाते हैं और हमें सकारात्मक दृष्टिकोण से जीवन जीने की कला सिखाते है |अच्छे बुरे का भेद हमें गुरु ही सिखाते है | गुरु अंधेरे में रहकर  अपने शिष्य को प्रकाश रूपी संसार में उसके जीवन को उज्जवल करते है |

3. गुरु-शिष्य परंपरा

भारतीय संस्कृति में गुरु-शिष्य परंपरा का एक महत्वपूर्ण स्थान है। यह परंपरा केवल शिक्षा तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक जीवन जीने की कला है। गुरु और शिष्य के बीच का संबंध अटूट विश्वास, सम्मान और प्रेम पर आधारित होता है। गुरु अपने शिष्य को पूरी निष्ठा और समर्पण के साथ ज्ञान प्रदान करता है, और शिष्य उसी निष्ठा के साथ गुरु के उपदेशों का पालन करता है। और आगे जाकर अपने गुरु का नाम रोसन करता है |

4. आधुनिक समय में गुरु का महत्त्व

आधुनिक समय में भी गुरु का महत्त्व कम नहीं हुआ है। हालांकि, तकनीकी विकास और इंटरनेट के व्यापक प्रसार के कारण शिक्षा के तरीके बदल गए हैं, लेकिन गुरु का स्थान आज भी अनिवार्य है। ऑनलाइन शिक्षा, कोचिंग सेंटर, और निजी ट्यूटर के माध्यम से भी गुरु अपने शिष्यों को शिक्षित कर रहे हैं। आज के डिजिटल युग में भी एक सच्चे गुरु की आवश्यकता है जो न केवल विषयों का ज्ञान दे, बल्कि नैतिक और आध्यात्मिक मूल्यों की भी शिक्षा दे।

5. गुरु का आदर्श चरित्र

एक आदर्श गुरु का चरित्र उच्च नैतिक मूल्यों से संपन्न होता है। वे सदाचारी, धैर्यवान, और प्रेममय होते हैं। वे अपने शिष्यों के प्रति दयालु होते हैं और उनकी भलाई के लिए सदा तत्पर रहते हैं। उनका जीवन स्वयं एक शिक्षा होता है। वे अपने आचरण, विचार और कार्यों के माध्यम से अपने शिष्यों को सिखाते हैं।

6. गुरु के बिना जीवन की कठिनाइयाँ

गुरु के बिना जीवन में अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। सही मार्गदर्शन के अभाव में व्यक्ति गलत निर्णय ले सकता है, जिससे उसके जीवन में समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं। गुरु के बिना व्यक्ति के आत्म-विकास में भी रुकावट आ सकती है। एक सच्चे गुरु के बिना जीवन में संतुलन बनाए रखना कठिन हो जाता है। 

7. गुरु की आवश्यकता क्यों?

गुरु की आवश्यकता इसलिए होती है क्योंकि वे हमें जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में मार्गदर्शन करते हैं। वे हमें सही निर्णय लेने की क्षमता प्रदान करते हैं और हमें जीवन की जटिल समस्याओ  से निपटने में सहायता करते हैं। वे हमारे भीतर छिपे हुए संभावनाओं को पहचानने और उन्हें विकसित करने में मदद करते हैं। वे हमारे आत्मविश्वास को बढ़ाते हैं और हमें जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाने की प्रेरणा देते हैं।

8. गुरु का आशीर्वाद

गुरु का आशीर्वाद व्यक्ति के जीवन में बहुत महत्वपूर्ण होता है। गुरु का आशीर्वाद उसे सफलता, शांति और समृद्धि की ओर ले जाता है। गुरु का आशीर्वाद प्राप्त करना व्यक्ति के लिए सौभाग्य की बात होती है। गुरु के आशीर्वाद से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं और वह जीवन में सफल होता है। गुरु अपने शिष्यों का कभी अहित नहीं करते उनकी गलतियों को अजरंदाज, करके सही राह दिखाते है |

9. गुरु का आदर और सम्मान

गुरु का आदर और सम्मान करना हमारा कर्तव्य है। गुरु के प्रति सम्मान दर्शाना उनके प्रति हमारी कृतज्ञता का प्रतीक है। गुरु के आदर में न केवल उनके ज्ञान और शिक्षाओं का सम्मान होता है, बल्कि उनके जीवन के प्रति हमारी श्रद्धा भी व्यक्त होती है। गुरु के प्रति सम्मान व्यक्त करने से हमें उनके आशीर्वाद और मार्गदर्शन का लाभ मिलता है। आपके आदर और सम्मान से गुरु के मन में आपके प्रति प्रेम बड़ता है |

10. निष्कर्ष

जीवन में गुरु का महत्त्व अत्यंत महत्वपूर्ण है। वे हमारे जीवन को सही दिशा देने वाले, हमारे मार्गदर्शक, और हमारे आत्मिक मार्गदर्शक होते हैं। गुरु के बिना जीवन अधूरा और असंतुलित हो सकता है। गुरु के मार्गदर्शन में ही हम जीवन की जटिल कठिनाइयों  से निपट सकते हैं और आत्म-विकास की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं। गुरु का सम्मान और उनके आशीर्वाद का महत्व हमारे जीवन में सदैव रहेगा।

इस प्रकार, गुरु का महत्त्व जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में जरूरी  है। गुरु  हमें सही मार्ग दिखाते हैं, हमें प्रेरित करते हैं, और हमारे जीवन को सार्थक बनाते हैं । गुरु के बिना जीवन की कल्पना करना कठिन है, और उनकी महिमा का वर्णन शब्दों में करना संभव नहीं है। उनके प्रति हमारी कृतज्ञता सदैव बनी रहनी चाहिए।

               गुरु की महिमा अपरम्पार, गुरु बिन सब सुन। 

                  गुरु कृपा से जीवतर, गुरु ही सच्चा धन।

( रघुवीर सिंह पंवार  " राघवेन्द्र )

        उज्जैन मध्यप्रदेश  9754812418

 




ProfileImg

Written by Raghuvir Singh Panwar

लेखक सम्पादत साप्ताहिक समाचार थीम