जीवन सफलताओं और असफलताओं की पटरी पर दौड़ने वाली ट्रेन है। यदि आप के जीवन में कोई सफलता आई है, तो वह निश्चित ही कई असफलताओं को पीछे छोड़ देने के बाद आई है। बस जरूरत है यह बात समझने की, कि व्यक्ति की कोई असफलता या असफलता उसके सम्पूर्ण जीवन का अंत नहीं है। यदि असफलता आई है, तो सफलता भी ज़रूर मिलेगी, बस ज़रुरत है पूरे विश्वास और धैर्य के साथ अपने कार्य में जुटे रहने की। लेकिन अक्सर यह देखा जाता है, कि लोग अपनी हार से इस कदर निराश हो जाते हैं, कि आगे वह प्रयत्न नहीं करते। वह उस हार को ही अपनी तकदीर मान लेते हैं, जिसके कारण उनके हाथ से कामयाबी फिसल जाती है।
पर कई लोग ऐसे भी होते हैं, जो लगातार मिलती हारों में भी खुद पर से विश्वास नहीं उठने देते। उनके प्रयत्नों में कमी नहीं पड़ती। और अंत में वे ही लोग कामयाबी के मुकाम तक पहुँच जाते हैं। उन सभी व्यक्तियों का संघर्ष अपने-आप में एक उपन्यास होता है, जिसे पढ़ना और जीना हमारे स्वयं के लिए भी काफी महत्वपूर्ण हो जाता है।
ऐसे ही एक व्यक्तित्व के बारे में हम इस लेख में आपको बताएंगे, जिसके संघर्ष की कहानी लाखों बच्चों को प्रेरणा देती है। हम बात कर रहे हैं मध्यप्रदेश के मुरैना से ताल्लुक रखने वाले आईपीएस ऑफिसर मनोज कुमार शर्मा की, जिनका जीवन संघर्ष की कलम से लिखा गया उपन्यास है। अत्यंत गरीब परिवार में पले-बढे मनोज शर्मा ने लगातार चट्टान बनकर सामने आती असफलताओं को ना ही खुद पर हावी होने दिया, बल्कि अपने परिश्रम और ढृण विश्वास के बल पर उनपर विजय भी पाई।
अतः आप सभी को यह लेख अंत तक ज़रूर पढ़ना चाहिए। किसी भी व्यक्ति के संघर्ष को पढ़ना और समझना किसी और के लिए काफी मददगार साबित होता है। यह मुश्किल वक्त में हमारे धैर्य और भरोसे को बांधे रखने में सहायक होता है, और हमें लगातार परिश्रम करने की प्रेरणा भी देता है। अतः अंत तक बने रहें।
मनोज कुमार शर्मा, 2005 बैच के महाराष्ट्र कैडर के आईपीएस ऑफिसर हैं। वे देश में सबसे मुश्किल मानी जाने वाली प्रतियोगी परीक्षा UPSC में सफलता प्राप्त करके इस मुकाम तक पहुंचे हैं। मनोज शर्मा ने UPSC परीक्षा की तैयारी दिल्ली के प्रसिद्ध मुखर्जीनगर से की। यह इलाका वर्तमान में सिविल सर्विसेस की तैयारी में लगे छात्रों का हब बन चुका है। आज अपने शिक्षण के लिए पूरे देश में प्रसिद्ध सिविल सर्विसेज परीक्षा के अध्यापक विकास दिव्यकीर्ति, मनोज शर्मा जी के शिक्षक रह चुके हैं, जिनके संस्थान से मनोज शर्मा ने परीक्षा के लिए तैयारी की थी।
मनोज शर्मा को देश के सबसे ईमानदार और कर्मठ अफसरों में गिना जाता है। लेकिन इस पद को प्राप्त करने से पहले जिन चुनौतियों का सामना मनोज शर्मा ने किया, वह चीज़ ही उन्हें ख़ास बनाता है। मनोज शर्मा हमेशा से कोई अद्भुत प्रतिभा वाले नहीं थे। समय के साथ उन्होंने स्वयं में प्रतिभा का निर्माण किया है। वे एक औसत दर्जे के छात्र थे, तीन बार UPSC परीक्षा में अनुत्तीर्ण हो चुके थे, फिर भी वे डटे रहे और अंत में स्वयं को साबित करके दिखाया।
आपको बता दें कि इस समय आईपीएस मनोज शर्मा सुर्ख़ियों में बने हुए हैं। इसका कारण है एक फिल्म, जो इनके जीवन पर आधारित है। मशहूर लेखक अनुराग पाठक ने मनोज शर्मा के जीवन पर एक किताब लिखी थी, जिसका शीर्षक है "ट्वेल्थ फेल"। इसी शीर्षक पर एक फिल्म का निर्माण किया गया है, जिसमें मनोज शर्मा के किरदार को प्रसिद्ध अभिनेता विक्रांत मैसी निभा रहे हैं। इस फिल्म को थ्री इडियट्स, संजू और मुन्ना भाई एमबीबीएस जैसी ब्लॉकबस्टर फिल्मों के निर्माता विधु विनोद चोपड़ा द्वारा निर्मित किया गया है।
इस फिल्म में उनके जीवन की उन घटनाओं को प्रदर्शित किया जाएगा, जिन्होंने उन्हें इस मुकाम तक पहुँचाया। यह फिल्म 27 अक्टूबर 2023 को बड़े पर्दे पर प्रदर्शित होने वाली है। रोचक बात यह है, कि मनोज शर्मा को सिविल सर्विसेज की तैयारी करवाने वाले शिक्षक और दृष्टि कोचिंग के संचालक विकास दिव्यकीर्ति इसमें अपने ही किरदार को निभाने जा रहे हैं।
आईपीएस मनोज शर्मा आज भले ही देश के सबसे कठिन एग्जाम को सफल किये हुए हैं, लेकिन वे हमेशा से ऐसे नहीं थे। मनोज शर्मा बचपन में पढ़ाई में बेहद कमज़ोर थे। नौवीं और दसवीं में उन्होंने तीसरे दर्जे से परीक्षा पास की थी। 12वी कक्षा में उन्हें उपन्यास पढ़ने का बहुत शौक था। जब 12वी कक्षा का परिणाम आया, तो उसमें वे हिंदी छोड़, सभी विषयों में फेल हो गए थे। अपने परिणाम से वे बेहद निराश हुए। उन्हें उनके दोस्त ने समझाया और अगले साल उन्होंने फिर से 12वी की परीक्षा दी, जिसमें वे 70 फीसदी अंकों के साथ उत्तीर्ण हो गए थे। इसके बाद उन्होंने वापस पीछे नहीं देखा। अपने कॉलेज में भी उन्होंने टॉप किया था।
लेखक अनुराग पाठक ने अपनी किताब में इस बात का ज़िक्र किया है कि स्कूल के दिनों में मनोज शर्मा को एक लड़की से प्यार हो गया था। लेकिन अपने बेहद खराब परिणाम के चलते उन्हें इज़हार करने में बहुत शर्म महसूस हो रही थी। अंत में हिम्मत करके उन्होंने इज़हार करते हुए यह कहा था, कि अगर वो हाँ कर दे तो वे दुनिया पलट देंगे। ये बात बाकी प्यार में पड़े आशिक़ों जैसी झूठी नहीं निकली। उन्होंने वास्तविकता में दुनिया बदल के रख दी।
मनोज शर्मा बेहद अभावों में पले-बढे हैं। उन्होंने अपनी उपस्क की पढ़ाई पूरी करने के लिए टेम्पो चलाया था। कई रातों तक उन्होंने फुटपाथ पर भिखारियों के बीच सोकर अपनी नींद पूरी की है। उन्होंने दिल्ली एवं ग्वालियर के पुस्तकालयों में चपरासी की नौकरी भी की। इन पुस्तकालयों में नौकरी करते हुए उन्होंने अब्राहम लिंकन, मार्टिन लूथर किंग जूनियर जैसे महान व्यक्तित्वों के बारे में पढ़ा, उनके विचारों को समझा। इस अध्ययन ने उन्हें जीवन के वास्तविक पहलुओं से अवगत करवाया और ज़िन्दगी में काफी मदद की।
मनोज शर्मा ने कुल चार बार UPSC की परीक्षा दी थी। इनमें से तीन एटेम्पट में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। लेकिन फिर भी उन्होंने अपनी पूरी हिम्मत जुटाई रखी और चौथे प्रयास में पूरे देश में 121वी रैंक लाये और सफलता को हासिल किया। वर्तमान में मनोज शर्मा मुंबई में एडिशनल कमिशनर के पद पर कार्यरत हैं। यहाँ ये बात उल्लेखनीय है कि मनोज शर्मा के अलावा उनकी पत्नी श्रद्धा भी भारतीय राजस्व सेवा ( Indian Revenue Services, IRS ) में कार्यरत हैं।
मनोज कुमार शर्मा का जीवन एक प्रेरणादाई पुस्तक से कम नहीं है। उनका संघर्ष देश के लाखों विद्यार्थियों के लिए प्रेरणास्त्रोत है। आशा है यह लेख आप सभी को पसंद आया होगा, एवं आईपीएस मनोज शर्मा के बारे में अभी तक इस लेख में आपने जो पढ़ा वह आपके जीवन को एक नई दिशा प्रदान करे, इसी शुभकामना के साथ आपको यह लेख पूरा पढ़ने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।
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